Articles in Category jyotish
जन्म कुंडली से जानें सूर्य महादशा का प्रभाव
सूर्य महादशा का आगमन जब होता है, तो व्यक्ति के जीवन में काफी बदलाव का समय होता है. सूर्य दशा का प्रभाव जातक को कई तरह के जीवन में प्रभाव दिखाता है. सूर्य ग्रह का प्रभाव विशेष माना जाता है. सूर्य की
चिकित्सा ज्योतिष में मानसिक विकार का कारण
ज्योतिष शास्त्र में मानसिक विकार से संबंधित योगों का वर्णन मिलता है. ज्योतिष अनुसार मस्तिष्क में उत्पन्न होने वाले विकार एवं नकारात्मक सोच के पीछे ज्योतिषिय कारण बहुत असर डालते हैं. मानसिक रुप से
अपनी कुंडली से जाने शुभ और अशुभ ग्रहों के बारे में विस्तार
कुंडली विषण एक बहुत विस्तृत प्रक्रिया है, और कुंडली में सभी सूक्ष्म बातों को देखना होता है. इन विवरणों में शुभ और अशुभ ग्रहों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह एक कठिन काम है क्योंकि कोई ग्रह एक ही
केतु महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा प्रभाव
केतु महादशा का समय बेहद महत्वपूर्ण होता है. इस दशा के समय व्यक्ति को अस्थिरता अधिक परेशान कर सकती है. जातक अपने लिए उचित एवं अनुचित के मध्य की स्थिति को समझ पाने में कुछ कमजोर रह सकता है. केतु की
कुंडली के प्रत्येक 12 भावों में भौम मंगल का प्रभाव
मंगल ग्रह को आक्रामक, क्रियाशीलता एवं शक्ति से संबंधित होता है. मंगल ग्रह साहस, नेतृत्व और प्रभुत्व से जुड़ा है जो मुख्य रूप से हिंसा, आग से होने वाली सभी तबाही का प्रतिनिधित्व करता है. मंगल क्रोध,
बृहस्पति महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति महादशा का समय एक शुभ दशा के रुप में देखा जाता है. बृहस्पति महादशा की अवधि सोलह वर्ष की अवधि तक रहती है.बृहस्पति को शुभ ग्रह माना गया है, इस दशा के समय पर जातक के जीवन में
शुक्र महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा का प्रभाव
शुक्र की महादशा 20 वर्ष तक रहती है. यह संपूर्ण दशा चक्र में अन्य ग्रहों के बीच सबसे लंबी अवधि की दशा का प्रभाव देने वाला ग्रह है. ( Xanax ) यह अत्यधिक शुभ ग्रह है, जो सुख-सुविधाओं और भौतिकवादी लाभ को
मंगल महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा का प्रभाव
मंगल महादशा सात वर्ष की दशा का प्रभाव रखती है. इस दशा समय पर व्यक्ति मंगल के प्रभाव से सबसे अधिक प्रभावित होता है. मंगल ग्रह को एक अत्यधिक शक्तिशाली और आक्रामक ग्रह माना गया है. इसकी शक्ति एवं साहस
बुध महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा का प्रभाव
बुध, को बुद्धि का ग्रह माना गया है, यह बोलने और वाणी के प्रभाव को दिखाता है. बुध एक शुभ ग्रह की श्रेणी में आता है इसे सामान्य रूप से सकारात्मक ग्रह माना जाता है. इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में कई
सूर्य से होने वाले रोग और उनका प्रभाव
सूर्य को ज्योतिष में अग्नि युक्त प्राण तत्व के रुप में माना गया है. ज्योतिष के आकाश में सूर्य सबसे शक्तिशाली ग्रह है. यह जीवन को उसकी समग्र ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने का अवसर देने में सक्षम होता है.
सूर्य महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा का फल
सूर्य एक शक्तिशाली ग्रह है जो शक्ति और आत्मा के लिए कारक रुप में विराजमान है. इस महादशा में जीवन को गति मिलती है. व्यक्ति को ऊर्जा मिलती है जिसके द्वारा वह अपने कार्यों को करता है. सूर्य महादशा 6 साल
लग्न अनुसार जाने कैसी रहेगी चंद्रमा की दशा परिणाम और प्रभाव
विंशोत्तरी महादशा प्रणाली की गणना के अनुसार मनुष्य के जीवन में 9 ग्रह और 9 महादशाएं होती हैं. वैदिक ज्योतिषीय गणना के अनुसार चंद्र महादशा का समय दस वर्ष का होता है. चंद्रमा की महादशा का पुर्ण
राहु जब इनकम भाव पर डालता है अपना असर ?
ज्योतिष में सभी ग्रहों और राशियों का अपना महत्व होता है. वैदिक ज्योतिष में किसी भी अन्य भाव की तुलना में ग्यारहवें भाव का अधिक महत्व है. ग्यारहवां भाव स्थान राहु के लिए अच्छे परिणाम देने वाला होता
शनि आपकी कुंडली में इस भाव या राशि में देगा शुभ फल
ज्योतिष शास्त्र मे शनि का संबंध धीमी गति और लम्बे इंतजार से रहा है. शनि को एक पाप ग्रह के रुप में भी चिन्हित किया जाता रहा है. शनि को बुजुर्ग और अलगाववादी ग्रह कहा गया है. शनि मंद गति से चलने वाला
धनु संक्रांति 2024 : सूर्य के राशि प्रवेश का समय
धनु संक्रांति सूर्य का धनु राशि प्रवेश समय है. इस समय पर सूर्य वृश्चिक राशि से निकल कर धनु राशि में प्रवेश करते हैं और एक माह धनु राशि में गोचरस्थ होंगे. इस गोचरकाल के समय को खर मास के नाम से भी जाना
बुध का कुंभ राशि में गोचर क्यों होता है विशेष
कुंभ राशि में बुध ग्रह का होना बहुत सी विशेषताओं को लिए होता है. कुम्भ की विशेषताओं में बुद्धि, रचनात्मकता और परिवर्तन की इच्छा शक्ति शामिल होती है. कुम्भ राशि का दुनिया पर एक बड़ा प्रभाव पड़ता है.
कुंडली में अमावस्या दोष? भाग्य पर क्यों लगाता है अंकुश
ज्योतिष में कई तरह के योग ऎसे हैं जो जीवन में भाग्य के निर्माण के लिए बाधा का कार्य करने वाले होते हैं इन्ही में से एक अमावस्या दोष के रुप में जाना जाता है. इस दोष का प्रभाव व्यक्ति के भविष्य निर्माण
राहु काल: ज्योतिष में राहुकाल का महत्व और इसका प्रभाव
पंचांग निर्माण में ग्रहों एवं समय गणना के आधार पर कई तरह के योग एवं कालों का विभाजन संभव हो पाता है. इस में एक विशेष काल की गणना बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है जिसे राहुकाल के नाम से जाना जाता है.
कुंभ राशि के लिए शनि साढ़ेसाती का प्रभाव
साढ़े साती से तात्पर्य साढ़े सात साल की अवधि से है जिसमें शनि तीन राशियों, चंद्र राशि, और एक राशि चंद्रमा से पहले और एक उसके बाद में चलता है. साढ़े साती तब शुरू होती है जब शनि जन्म चंद्र राशि से
ग्रहों में दिशाओं की शक्ति और दिग्बल दिलाता है नई चेतना
जन्म कुंडली में ग्रह भाव और राशि का प्रभाव काफी महत्वपूर्ण होता है. ग्रहों के क्षेत्र में कारक तत्वों का आधार ही व्यक्ति के लिए विशेष परिणाम देने वाला होता है. ग्रहों में उनका दिशा बल भी बहुत कार्य