ज्योतिष अनुसार जानें अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता
ज्योतिष अनुसार स्वास्थ्य के विषय में कई तरह के मुद्दों को समझ पाना संभव होता है. यदि सेहत अच्छी हो तो व्यक्ति एक लम्बी आयु का सुख अच्छे स्वास्थ्य के रुप में देख पाता है. स्वास्थ्य ही धन है, अच्छे स्वास्थ्य के बिना, कुछ भी स्वस्थ नहीं हो सकता. ज्योतिष शास्त्र में कुछ ऐसे ग्रह हैं जो स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं तो कुछ ऎसे ग्रह है जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को अच्छा बनाने में सक्षम होते हैं. कई बार सेहत में लम्बे समय तक उप्चार पश्चात भी जब स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पाता है तो ऎसे समय में ज्योतिषीय परामर्श लेना अनुकूल रहता है.
रोग प्रभावित भाव
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में ग्रहों के साथ साथ भाव की स्थिति भी बहुत विशेष होती है. कुंडली में दूसरा भाव, तीसरा भाव, छठा भाव, आठवां भाव, सातवां भाव, एकादश भाव और बरहवां भाव रोग की स्थिति को दर्शाने वाला होता है. इस भाव के अधिपति एवं इसमें बैठे ग्रहों की दशाओं में रोग से संबंधित परेशानियों से प्रभावित होने की स्थिति अधिक प्रभावी दिखाई देती है. एक राशि और कुंडली में स्थिति के अनुसार ग्रह काम करते हैं. भाव के साथ ग्रह का संबंध प्राप्त होने वाली परिस्थितियों को दर्शाने वाला होता है. कुंडली में एक बाधक या अशुभ ग्रह स्वभाव से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है.
स्वास्थ्य समस्या का निदान विशेष रूप से ग्रहों के स्वभाव से होता है. उदाहरण के लिए शुभ ग्रह अगर कुंडली में किसी ऎसे भाव स्थान में हो जहां उसके लिए स्थिति अनुकूल नहीं है, तो ग्रह की शुभता कमजोर हो सकती है. जिसका असर स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. इसे हम किसी कुंडली के अनुसार भी समझ सकते हैं कर्क लग्न में बृहस्पति शुभ है और भाग्य भी है लेकिन गुरु छठे भाव का स्वामी भी है ओर लग्नेश के साथ गुरु का होना जहां शुभ योग बनाएगा वहीं वह स्वास्थ्य के लिए परेशानी भी देगा. इस स्थिति में गुरु काफी संघर्षपूर्ण समय दे सकता है. व्यक्ति सर्दी-खांसी जैसे रोगों से जल्द प्रभावित हो सकता है.
इसी प्रकार कुंडली में जब दूसरे भाव में कोई ग्रह न हो तो जो ग्रह दूसरे भाव के स्वामी के साथ स्थित होता है वह अपनी दशा में जातक को मार सकता है, स्वास्थ्य संबंधी चिंता जानने के लिए किसी ग्रह का गोचर भी बहुत महत्वपूर्ण है, आम तौर पर, लग्नेश का गोचर जीवन के सभी क्षेत्रों में अच्छे परिणाम देता है जैसे स्वास्थ्य और पाप ग्रहों का गोचर उनके गोचर के दौरान समस्याएं और बीमारी देता है. आठवा भाव जीवन शक्ति और जीवन काल का प्रतिनिधित्व करता है, इस घर के स्वामी का स्थान लंबी उम्र के लिए मजबूत होना चाहिए, लेकिन बेहतर और स्वस्थ जीवन के लिए यह स्थान बुरे प्रभावों से मुक्त भी होना चाहिए. छठा घर ऋण, बीमारी और कर्ज के लिए जाना जाता है, यदि इस घर के स्वामी की स्थिति कमजोर हो और उसका प्रभाव कम हो तो यह जीवन और स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है, आम तौर पर यह माना जाता है कि छठे भाव में पाप ग्रह की स्थिति स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है,
मेष राशि
मेष राशि का स्वास्थ्य एक अच्छी श्रेणी में आता है. इस राशि का स्वामी मंगल होता है और इन लोगों की रोगों से लड़ने की क्षमता अच्छी होती है. लेकिन यह दुर्घटनाओं से प्रभवैत होने वाली राशि है जो जोखिम की स्थिति को बताती है. इस राशि के लोगों को सिर, दिमाग और चेहरे के रोग होने की संभावना रहती है, गंजापन, शारीरिक और मानसिक तनाव की संभावना है, जिससे सिरदर्द, माइग्रेन और स्ट्रोक जैसी परेशानी अधिक हो सकती है.
वृष राशि
वृष राशि वालों को जल तत्व से संबंधित रोग अधिक प्रभावित कर सकते हैं. इस राशि केवालों को गर्दन, कान और गले से संबंधित रोग होने की संभावना है. सर्दी-खांसी, गले में खराश और कानों में परेशानी होने की संभावना अधिक बढ़ सकती है. संक्रमण रोगों के होने का भी खतरा अधिक बढ़ सकता है.
मिथुन राशि
मिथुन राशि वालों के लिए त्रिदोष की समस्या रहती है. इस राशि के लोगों को फेफड़े, कंधे, हाथों-बांहों में परेशानी हो सकती है. सर्दी और खांसी के अलावा तंत्रिका का भी खतरा रहेगा, इस राशि में चिंता, अनिद्रा और नसों से संबंधित समस्याएं भी परेशानी दे सकती है.
कर्क राशि
इस राशि में जल तत्व की प्रकृति अधिक होती है. इसके प्रभाव से व्यक्ति को छाती के रोगों का खतरा अधिक होता है. ब्रेस्ट और पेट से जुड़ी समस्याएं भी जल्द प्रभाव होती हैं. चंद्रमा मन का कारक होता है. यह हमारी सभी मानसिक अनुभूतियों पर असर डालता है जल तत्व से युक्त है इस कारण जल से उत्पन्न होने वाले रोग भी इसके प्रभाव के चलते अधिक प्रभाव डाल सकते हैं. अवसाद और भावनात्मक असंतुलन जैसे मानसिक मुद्दे भी कर्क राशि वालों को प्रभावित करते हैं. क्षय रोग मधुमेह की स्थिति, भोजन एवं जल संबंधी विषाक्तता भी सेहत को कमजोर करने वाली होती है.
सिंह राशि
सिंह राशि अग्नि प्रधान राशि है. इस राशि के प्रभाव का भी रोग प्रतिरोधक क्षमता में बेहतर होता है. इस राशि वालों को विशेष रुप से पित्त प्रकृत्ति की अधिकता के कारण परेशानी हो सकती है. हृदय, पीठ और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. गैस्ट्रिक समस्या ओर रक्त संबंधी रोग कष्ट दे सकते हैं. उच्च रक्तचाप, धमनियों का अवरुद्ध होना और दिल की धड़कन का अनियमित होना, ज्वर, शरिर में जलन जैसी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है.
कन्या राशि
कन्या राशि वालों को संक्रमण एवं जल से संबंधित रोग अधिक परेशान कर सकते हैं. स्नायु तंत्र की दिक्कत रह सकती है. माइग्रेन की स्थिति थाइराइड का प्रभाव भी रह सकता है. इस राशि के लोगों को पेट और आंतों से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. अक्सर अपने वजन से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा अल्सर, एसिडिटी और कब्ज जैसी पेट की समस्याएं भी परेशानी देने वाली होती हैं.
तुला राशि
तुला राशि के लोगों के लिए स्थिति कई तरह के असर दिखाने वाली होती है. संक्रमण से संबंधित रोग परेशानी दे सकते हैं. गुर्दे, अधिवृक्क ग्रंथियों और त्वचा के रोग समस्या दे सकते हैं. पेट के रोग ओर कफ की समस्या भी परेशानी दे सकती है. कब्ज का सामना करना पड़ सकता है, मूत्राशय, मलाशय, जननांग, अंडाशय और वृषण के रोग इन्हें बहुत परेशान कर सकते हैं.
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वालों की रोगों से लड़ने की अच्छी क्षमता देखने को मिलती है. गुप्त रोग, यौन संक्रमण, रक्त संबंधी विकार परेशानी दे सकते हैं. पेट के रोग. गैस की शिकायत, दुर्घटनाओं की संभावना भी इनकी सेहत को प्रभावित कर सकती है.
धनु राशि
धनु राशि वालों की भी रोगों से लड़ने कि अच्छी क्षमता होती है. इन लोगों को अपने पैरों को लेकर दिक्कत रह सकती है. घुटनों एवं जोड़ों के दर्द की शिकायत कर सकते हैं. इस राशि के लोगों को कूल्हे, जांघों और दृष्टि से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है. नेत्र रोगों के अलावा कुछ पित्त की अधिकता से उत्पन्न होने वाले रोग भी अपना असर डालते दिखाई देते हैं. दुर्घटनाओं का असर भी अधिक रहता है. दृष्टि खराब होने से दुर्घटना हो सकती है,
मकर राशि
मकर राशि वालों के लिए हड्डियों, घुटनों, दांतों, त्वचा और जोड़ों से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं अधिक रह सकती है. मकर राशि वालों को गैस्ट्रिक की परेशानी रह सकती है. हड्डियां भी कमजोर हो सकती हैं. माइग्रेन एवं दिमागी रोग परेशान कर सकते हैं. वात की अधिकता का प्रभाव रहता है.
कुंभ राशि
कुंभ राशि के लोगों को वात कफ की समस्या हो सकती है. पैरों के निचले हिस्से और टखनों में परेशानी होने की संभावना भी अधिक रह सकती है. जोड़ों के रोगों का असर भी पड़ सकता है. स्नायु तंत्र की समस्या भी प्रभावित कर सकती है. नसों से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है,
मीन राशि
मीन राशि वालों को गैस्ट्रिक समस्या, पेट के रोग अधिक परेशानी देने वाले हो सकते हैं. इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कुछ कमजोर अधिक दिखाई दे सकती है. पैरों के रोग भी उभर सकते हैं. कफ की अधिकता, माइग्रेन, रक्त के विकार परेशानी दे सकते हैं.