देवों के देव भगवान भोले नाथ के भक्तों के लिये श्री महाशिवरात्रि का व्रत विशेष महत्व रखता हैं. यह पर्व फाल्गुन
कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है.
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सत्य नारायण व्रत को करने से मनुष्य मोह से छुट जाता है. यह व्रत पुन्य देने वाला, स्वर्ग तथा मृत्यु दोनों लोकों में
उतम व्रत है. इस व्रत को जो जन विधि-विधान से करता है, वह इस धरती पर सुख भोगकर, मरने पर मोक्ष को प्राप्त
करता है.
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05 नवंबर, रविवार 2024 के दिन अहोई अष्टमी का व्रत किया जायेगा. अहोई अष्टमी का व्रत अहोई आठे के नाम से भी जाना जाता है.
यह व्रत कार्तिक मास की अष्टमी तिथि के दिन संतानवती स्त्रियों के द्वारा किया जाता है.
अहोई अष्टमी का पर्व मुख्य रुप से अपनी संतान की लम्बी आयु की कामना के लिये किया जाता है.
इस पर्व के विषय में एक ध्यान देने योग्य पक्ष यह है कि इस व्रत को उसी वार को किया जाता है. जिस वार को दिपावली हों.
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अमावस्या तिथि प्रत्येक धर्म कार्य के लिए अक्षय फल देने वाली बतायी गयी है. पर पितरों की शान्ति के लिये अमावस्या व्रत पूजन का विशेष महत्व है.
जो लोग अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति, सदगति के लिये कुछ करना चाहते है उन्हें प्रत्येक माह की अमावस्या को उपवास रख, पूजन कार्य करना चाहिए.
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सभी उपवासों में एकाद्शी व्रत श्रेष्ठतम कहा गया है. एकाद्शी व्रत की महिमा कुछ इस प्रकार की है,
जैसे सितारों से झिलमिलाती रात में पूर्णिमा के चांद की होती है. इस व्रत को रखते वाले व्यक्ति को अपने चित,
इंद्रियों, आहार और व्यवहार पर संयम रखना होता है. एकाद्शी व्रत का उपवास व्यक्ति को अर्थ-काम से
ऊपर उठकर मोक्ष और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है.
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श्री गणेश चतुर्थी के दिन श्री विध्नहर्ता की पूजा- अर्चना और व्रत करने से व्यक्ति के समस्त संकट दूर होते है.
इस माह में यह चतुर्थी शनिवार के दिन रहेंगी. चतुर्थी के दिन एक समय रात्री को चंद्र उदय होने के पश्च्यात
चंद्र उदित होने के बाद भोजन करे तो अति उत्तम रहता है.
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श्री गणेश को सभी देवताओं में सबसे पहले प्रसन्न किया जाता है. श्री गणेश विध्न विनाशक है. श्री गणेश जी बुद्धि के देवता है.
इनका उपवास रखने से मनोकामना की पूर्ति के साथ साथ बुद्धि का विकास व कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है.
श्री गणेश को भोग में लडडू सबसे अधिक प्रिय है.
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करवा चौथ व्रत मुख्य रुप से उतरी भारत में एक पर्व के समान मनाया जाता है. करवा चौथ का पर्व विवाहित महिलाएं अपने
वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाये रखने के लिये करती है. तथा माता का पूजन कर अपने पति की लम्बी आयु के लिये प्रार्थना करती है.
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मंगला गौरी व्रत श्रावण मास में पडने वाले सभी मंगलवार को रखा जाता है. श्रावण मास में आने वाले सभी व्रत-उपवास व्यक्ति के सुख- सौभाग्य में वृ्द्धि करते है.
सौभाग्य से जुडे होने के कारण इस व्रत को विवाहित महिलाएं और नवविवाहित महिलाएं करती है.
इस उपवास को करने का उद्धेश्य अपने पति व संतान के लम्बें व सुखी जीवन की कामना करना है.
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अपने पूर्वज पितरों के प्रति श्रद्धा भावना रखते हुए पितृ पक्ष एवं श्राद्ध कर्म करना नितान्त आवश्यक है.
हिन्दू शास्त्रों में देवों को प्रसन्न करने से पहले, पितरों को प्रसन्न किया जाता है.
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प्रत्येक चन्द्र मास की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखने का विधान है. यह व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों को किया जाता है.
सूर्यास्त के बाद के 2 घण्टे 24 मिनट का समय प्रदोष काल के नाम से जाना जाता है. प्रदेशों के अनुसार यह बदलता रहता है.
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सप्तमी व्रत प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष कि सप्तमी तिथि के दिन किया जाता है. यह व्रत विशेष रुप से संतान प्राप्ति, संतान रक्षा और संतान की उन्नति
के लिये किया जाता है. यूं तो प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष के व्रत का विशेष महत्व है.
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भारतीय हिन्दू शास्त्रों में उपवास की विशेष महिमा मानी गई है. शास्त्रों में मानसिक शान्ति-सुख - समृद्धि और मनोकामनाओं कि पूर्ति के लिये उपवास करने की मान्यता है.
चिकित्सा शास्त्र के अनुसार भी उपवास करना स्वास्थय सुख में वृ्द्धि करता है. और व्यक्ति को स्वस्थ बने रहने में सहयोग करता है.