सत्य नारायण व्रत तिथियां 2024 (Satyanarayan Vrat dates 2024)

satyanaran1 सत्य नारायण व्रत को करने से मनुष्य मोह से छुट जाता है. यह व्रत पुण्य देने वाला, स्वर्ग तथा मृ्त्यु दोनों लोकों में उतम व्रत है. इस व्रत को जो जन विधि-विधान से करता है, वह इस धरती पर सुख भोगकर, मरने पर मोक्ष को प्राप्त करता है. इस व्रत में भगवान श्री सत्य नारायण के अतिरिक्त भगवान श्री राम, लक्ष्मण, कृ्ष्ण, श्री गणेश जी की पूजा भी की जाती है. इसलिये इन सभी भगवानों का शुभ आशिर्वाद भी व्यक्ति को प्राप्त होता है.


वर्ष 2024 में इस व्रत की तिथियां निम्न रहेगी: (In 2024 the Dates of this Vrat will be as follows:)

दिनाँक हिन्दु चन्द्रमास
06 जनवरी, दिन शुक्रवार पौष माह
05 फरवरी, दिन रविवार माघ माह
07 मार्च, दिन मंगलवार फाल्गुन माह
05 अप्रैल, दिन बुधवार चैत्र माह
05 मई, दिन शुक्रवार वैशाख माह
03 जून, दिन शनिवार ज्येष्ठ माह
03 जुलाई, दिन सोमवार आषाढ़ माह
01 अगस्त, दिन मंगलवार श्रावण माह
30 अगस्त, दिन बुधवार श्रावण माह
29 सितंबर , दिन शुक्रवार भाद्रपद माह
28 अक्तूबर, दिन शनिवार आश्विन माह
27 नवंबर, दिन सोमवार कार्तिक पूर्णिमा
26 दिसंबर, दिन मंगलवार मार्गशीर्ष पूर्णिमा

सत्य नारायण व्रत सामग्री (Equipments of Satyanarayan Vrat)

सत्य नारायण व्रत करने के लिये जो सामग्री चाहिये, वह इस प्रकार है, केले के खंभे, कलश, पंचरत्‍न, चावल, कपूर, धूप, पुष्पो कि माला, श्रीफल, ऋतुफल, अंग वस्त्र, नैवेद्य, कलावा, आम के पत्ते, वस्त्र, गुलाब के फूल, दीप, तुलसी दल, पान, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर), केशर, बंदनवार, चौकी, भगवान श्री सत्यनारायण की तस्वीर चाहिए.


सत्य नारायण पूजा विधि (Worshiping Method of Satyanarayan)

इस व्रत को रखने वाले व्यक्ति को व्रत की तिथि में सांयकाल के समय स्नान कर, स्वच्छ होने के बाद पूजा स्थल में बैठकर सबसे पहले चौकी स्थापित कर श्री सत्यनारायण की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए. इसके पश्चात सभी देवों में सबसे पहले श्री गणेश कि पूजा की जाती है. व इसके बाद माता सीता- भगवान राम, राधा- कृ्ष्ण, माता लक्ष्मी, महादेव और ब्रह्मा जी की पूजा होती है.


साथ ही यह संकल्प लिया जाता है कि हे सत्य नारायण भगवान मै पूर्ण श्रद्धा से आपका पूजन कर रहा हूं कृ्पया मेरी प्रार्थना सुन मेरी मनोइच्छा को पूरा करना. पूर्ण श्रद्धा विश्वास से साथ मैं जो सामग्री आपको अर्पित कर रहा हूं. मैं जल, फल व सामगी सभी आपको अर्पित कर रहा हूं.


इसके बाद सत्यनारायण जी की कथा पढें, अथवा श्रवण करें. पूजा करने के बाद सभी देवों की आरती की जाती है. और चरणामृ्त लेकर प्रसाद वितरत किया जाता है. पुरोहित जी को दक्षिणा व वस्त्र दे व भोजन करायें, पुरोहित जी के भोजन के पश्चात उनसे आशिर्वाद लेकर आप स्वयं भोजन करें.