पितृ पक्ष में श्राद्ध- 2024 (Shraddh in Pitru Paksha in 2024)
अपने पूर्वज पितरों के प्रति श्रद्धा भावना रखते हुए पितृ पक्ष एवं श्राद्ध कर्म करना नितान्त आवश्यक है. हिन्दू शास्त्रों में देवों को प्रसन्न करने से पहले, पितरों को प्रसन्न किया जाता है.
पितृ पक्ष का महत्व (Importance of Pitru Paksha)
देवताओ से पहले पितरो को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी होता है।देवकार्य से भी पितृकार्य का विशेष महत्व होता है. वायु पुराण ,मत्स्य पुराण ,गरुण पुराण, विष्णु पुराण आदि पुराणों तथा अन्य शास्त्रों जैसे मनुस्मृति इत्यादि में भी श्राद्ध कर्म के महत्व के बारे में बताया गया है.
पूर्णिमा से लेकर अमावस्या के मध्य की अवधि अर्थात पूरे 16 दिनों तक पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिये कार्य किये जाते है. पूरे 16 दिन नियम पूर्वक कार्य करने से पितृ-ऋण से मुक्ति मिलती है. पितृ श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है. भोजन कराने के बाद यथाशक्ति दान - दक्षिणा दी जाती है. इससे स्वास्थ्य समृ्द्धि, आयु व सुख शान्ति रहती है. सन 2024 में श्राद्ध की तिथियों का विवरण इस प्रकार रहेगा.
पितृपक्ष तर्पण कब करें (When to do Pitru Paksha Tarpan)
पितृ्पक्ष अर्थात श्राद्धपक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्चिन कृ्ष्ण अमावस्या तक रहते है. इस प्रकार प्रत्येक साल में पितृ पक्ष के 16 दिन विशेष रुप से व्यक्ति के पूर्वजों को समर्पित रह्ते है. पूर्वजों का मुक्ति मार्ग की ओर अग्रसर होना ही पितृ ऋण से मुक्ति दिलाता है. वर्ष 2024 में निम्न तिथियों को श्राद्ध किया जा सकता है.
2024 श्राद्ध तिथियां
Dates of Shradh in 2024
दिनाँक | दिन | श्राद्ध तिथियाँ |
---|---|---|
29 सितंबर | शुक्रवार | प्रोष्ठपदी/पूर्णिमा श्राद्ध |
29 सितंबर | शुक्रवार | प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध |
30 सितंबर | शनिवार | द्वितीया तिथि का श्राद्ध |
01 अक्टूबर | रविवार | तृतीया तिथि का श्राद्ध |
02 अक्टूबर | सोमवार् | चतुर्थी तिथि का श्राद्ध |
03 अक्टूबर | मंगलवार | पंचमी तिथि का श्राद्ध |
04 अक्टूबर | बुधवार | षष्ठी तिथि का श्राद्ध |
05 अक्टूबर | बृहस्पतिवार | सप्तमी तिथि का श्राद्ध |
06 अक्टूबर | शुक्रवार | अष्टमी तिथि का श्राद्ध |
07 अक्टूबर | शनिवार | नवमी तिथि का श्राद्ध |
08 अक्टूबर | रविवार | दशमी तिथि का श्राद्ध |
09 अक्टूबर | सोमवार | एकादशी तिथि का श्राद्ध |
10 अक्टूबर | मंगलवार | मघा श्राद्ध |
11 अक्टूबर | बुधवार | द्वादशी तिथि का श्राद्ध |
12 अक्टूबर | बृहस्पतिवार | त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध |
13 अक्टूबर | शुक्रवार | चतुर्दशी का श्राद्ध |
14 अक्टूबर | शनिवार | अमावस्या व सर्वपितृ श्राद्ध |
श्राद्धपक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्चिन कृ्ष्ण अमावस्या के मध्य जो भी दान -धर्म किया जाता है. वह सीधा पितरों को प्राप्त होने की मान्यता है. पितरों तक यह भोजन ब्राह्माणों व पक्षियों के माध्यम से पहुंचता है. जिन व्यक्तियों की तिथि का ज्ञान न हो, उन सभी का श्राद्ध अमावस्या को किया जाता है.
चतुर्दशी तिथि के श्राद्ध की विशेषता (Importance of 14th Day)
ऎसे सभी जो आज किसी कारण वश हमारे मध्य नहीं तथा इस लोक को छोड कर परलोक में वास कर रहे है, तथा इस लोक को छोडने का कारण अगर शस्त्र, विष या दुर्घटना आदि हो तो ऎसे पूर्वजों का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है. व चतुर्दशी तिथि में लोक छोडने वाले व्यक्तियों का श्राद्ध अमावस्या तिथि में करने का विधान है.