बृहस्पतिवार के दिन आने वाला प्रदोष व्रत गुरु प्रदोष व्रत के रुप में जाना जाता है. प्रत्येक माह आने वाला प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा का समय होता है. प्रदोष व्रत का फल जीवन को समस्त प्रकार के दोषों से मुक्त करने हेतु तथा सुखमय जीवन को

शास्त्रों के अनुसार, चतुर्मास के दौरान भगवान विष्णु शयन करते हैं और इस अशून्य शयन व्रत के माध्यम से शयन उत्सव मनाया जाता है. यह व्रत भगवान शिव के पूजन का भी समय होता है, इस कारण से इस समय पर भगवान श्री विष्णु एवं भगवान भोलेनाथ दोनों का ही

सावन माह की शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि के रुप में जाना जाता है. श्रावण माह के दौरान आने वाली शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव के अभिषेक से संबंधित कार्य संपन्न होते है. इस साल सावन माह में अधिकमास शिवरात्रि का समय भी होगा, लेकिन आने वाली

व्यास पूर्णिमा का समय वेद व्यास जयंती के रुप में हर साल अषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है. इस वर्ष 21 जुलाई 2024 को रविवार के दिन मनाई जाएगी व्यास पूर्णिमा भारतीय संस्कृति में वेदों का बेहद विशेष स्थान और इन्हीं के रचियता के रुप

अधिक मास एक विशेष अवधि है जो धार्मिक दृष्टि के साथ-साथ धार्मिक गतिविधियों के लिए भी महत्वपूर्ण है. काल गणना की उचित व्याख्या के लिए इस समयावधि को अपनाया जाता है. जिस प्रकार समय गणना के उचित क्रम के लिए लीप वर्ष का उपयोग किया जाता है, उसी

भगवान हनुमान के जन्म से संबंधित कई कथाएं प्रचलित रही हैं. धर्म ग्रंथों में हनुमान जन्मोत्सव के विषय में कई उल्लेख प्राप्त होते हैं.  हनुमान जी के जन्म दिवस और तिथि का एक साथ मिलना एक विशेष संयोग माना जाता है. विशेष योग में की गई

चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को भालचंद्र संकष्टि चतुर्थी के रुप में मनाया जाता है. भगवान गणेश को बाधाओं को दूर करने वाले, कला और विज्ञान के संरक्षक के रुप में स्थान प्राप्त है. बुद्धि और ज्ञान को प्रदान करने वाले देव हैं. अपने सभी

शनि त्रयोदशी का पर्व पंचाग अनुसार त्रयोदशी तिथि के दिन शनिवार के दिन पड़ने पर मनाया जाता है. शनि त्रयोदशी का समय भगवान शिव और शनि देव के पूजन का विशेष संयोग होता है. इस समय पर भगवान शिव के साथ शनि देव का पूजन करने से समस्त प्रकार के रोग

फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को नरसिंह द्वादशी के रुप में पूजा जाता है. भगवान श्री विष्णु के दो स्वरुप इस दिन विशेष रुप से पूजे जाते हैं. इस दिन भगवान को नृसिंह रुप में और  गोंविद रुप में भी पूजा जाता है. नृसिंह अवतार में

बुध प्रदोषम से मिलता है ज्ञान एवं बुद्धि का आशीर्वाद प्रदोष तिथि में रखा जाने वाला व्रत भगवान शिव से संबंधित रहा है. प्रदोष का समय शिव पूजन के लिए अति शुभ एवं विशेष होता है. बुधवार के दिन प्रदोष व्रत का होना बुध प्रदोषम व्रत के नाम से जाना

ज्योतिष में सूर्य का महत्व सर्वोपरी रहा है. प्राचीन भारतीय ज्योतिष में सबसे महत्वपूर्ण दिन चंद्रमा की गति पर आधारित होते हैं, संक्रांति सूर्य की गति का प्रतीक है. प्रत्येक संक्रांति उस संक्रमण काल को दर्शाता है जहां सूर्य राशि चक्र की एक

भुगुवारा प्रदोष किसी भी माह के त्रयोदशी तिथि के दिन यदि शुक्रवार पड़ रहा हो तो वह दिन शुक्र प्रदोष व्रत के रुप में जाना जाता है. प्रदोष व्रत विशेष रुप से भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का समय होता है. त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोषम व्रत

शास्त्रों के अनुसार मनुष्य के लिए तीन ऋण हैं, पहला देवताओं का ऋण है, दूसरा ऋषि है और तीसरा पिता का ऋण है. पितृ ऋण को पितृ पक्ष श्राद्ध समय या पिंडदान करके पितरों के ऋण से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है. श्राद्ध पक्ष में आश्विनी मास के दौरान

ललिता सप्तमी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी पर देवी ललिता सप्तमी मनाई जाती है. देवी ललिता जी को भगवान श्री कृष्ण एवं श्री राधा जी के साथ संबंधित किया जाता है. भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी में ललिता सप्तमी होती है ओर दूसरी ओर

तीज पर्व के रुप में मनाई जाने वाली हरतालिका तीज का समय भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को आता है. इस दिन को हरतालिका व्रत के रुप में मनाया जाता है. यह व्रत विवाहिता एवं कुंवारी कन्याओं सभी के लिए विशेष महत्व रखता है. अपने जीवन साथी की

गणेश पूजन में सभी राशियों के द्वारा दिए गए मंत्रों का उल्लेख, पुराणों में मिलता है. गणेश स्तुती हेतु यदि राशि अनुसार मंत्र जाप भी किया जाए तो ये प्रभाव व्यक्ति को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद देने वाला होता है. प्रत्येक कार्य में सर्वप्रथम

कुछ समय बीतने के बाद शिकारी कि किसी कारणवश मृत्यु हो गई. उस शिकारी ने अनजाने में ही सही आमलकी एकादशी व्रत किया था, इस वजह से उसे कर्मों में शुभ फल प्राप्त हुआ और उसका जन्म एक राजा के यहां हुआ. वह एक बार वह शिकार को गया और डाकूओं के चंगुल

हरियाली तृतीया 07 अगस्त 2024 को बुधवार के दिन हरियाली तीज का पर्व मनाया जाएगा. हरियाली तीज अपने नाम अनुसार ही सावन के सबसे सुंदर परिदृष्य के रुप में दिखाई देती है. हरियाली तीज का त्यौहार श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाया

भड़ली नवमी का पर्व 15 जुलाई 2024 को मनाया जाएगा. इस दिन चित्रा नक्षत्र को पश्चात स्वाति नक्षत्र भी प्राप्त होगा. शिव योग एवं सिद्ध नामक शुभ योग बनेंगे तथा शुभ योग का निर्माण भी होगा. आषाढ माह की शुक्ल नवमी भड़ली नमवी. कंदर्प नवमी ओर गुप्त

चातुर्मास में रुक जाते हैं मांगलिक कार्य और पूजा पाठ को करना क्यों होता है शुभ  हिन्दू पंचांग के अनुसार देवशयनी एकादशी आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि  चातुर्मास का आरंभ होता है. इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में पाताल