भगवान हनुमान के जन्म से संबंधित कई कथाएं प्रचलित रही हैं. धर्म ग्रंथों में हनुमान जन्मोत्सव के विषय में कई उल्लेख प्राप्त होते हैं. हनुमान जी के जन्म दिवस और तिथि का एक साथ मिलना एक विशेष संयोग माना जाता है. विशेष योग में की गई
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चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को भालचंद्र संकष्टि चतुर्थी के रुप में मनाया जाता है. भगवान गणेश को बाधाओं को दूर करने वाले, कला और विज्ञान के संरक्षक के रुप में स्थान प्राप्त है. बुद्धि और ज्ञान को प्रदान करने वाले देव हैं. अपने सभी
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शनि त्रयोदशी का पर्व पंचाग अनुसार त्रयोदशी तिथि के दिन शनिवार के दिन पड़ने पर मनाया जाता है. शनि त्रयोदशी का समय भगवान शिव और शनि देव के पूजन का विशेष संयोग होता है. इस समय पर भगवान शिव के साथ शनि देव का पूजन करने से समस्त प्रकार के रोग
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फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को नरसिंह द्वादशी के रुप में पूजा जाता है. भगवान श्री विष्णु के दो स्वरुप इस दिन विशेष रुप से पूजे जाते हैं. इस दिन भगवान को नृसिंह रुप में और गोंविद रुप में भी पूजा जाता है. नृसिंह अवतार में
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बुध प्रदोषम से मिलता है ज्ञान एवं बुद्धि का आशीर्वाद प्रदोष तिथि में रखा जाने वाला व्रत भगवान शिव से संबंधित रहा है. प्रदोष का समय शिव पूजन के लिए अति शुभ एवं विशेष होता है. बुधवार के दिन प्रदोष व्रत का होना बुध प्रदोषम व्रत के नाम से जाना
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ज्योतिष में सूर्य का महत्व सर्वोपरी रहा है. प्राचीन भारतीय ज्योतिष में सबसे महत्वपूर्ण दिन चंद्रमा की गति पर आधारित होते हैं, संक्रांति सूर्य की गति का प्रतीक है. प्रत्येक संक्रांति उस संक्रमण काल को दर्शाता है जहां सूर्य राशि चक्र की एक
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भुगुवारा प्रदोष किसी भी माह के त्रयोदशी तिथि के दिन यदि शुक्रवार पड़ रहा हो तो वह दिन शुक्र प्रदोष व्रत के रुप में जाना जाता है. प्रदोष व्रत विशेष रुप से भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का समय होता है. त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोषम व्रत
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शास्त्रों के अनुसार मनुष्य के लिए तीन ऋण हैं, पहला देवताओं का ऋण है, दूसरा ऋषि है और तीसरा पिता का ऋण है. पितृ ऋण को पितृ पक्ष श्राद्ध समय या पिंडदान करके पितरों के ऋण से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है. श्राद्ध पक्ष में आश्विनी मास के दौरान
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ललिता सप्तमी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी पर देवी ललिता सप्तमी मनाई जाती है. देवी ललिता जी को भगवान श्री कृष्ण एवं श्री राधा जी के साथ संबंधित किया जाता है. भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी में ललिता सप्तमी होती है ओर दूसरी ओर
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तीज पर्व के रुप में मनाई जाने वाली हरतालिका तीज का समय भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को आता है. इस दिन को हरतालिका व्रत के रुप में मनाया जाता है. यह व्रत विवाहिता एवं कुंवारी कन्याओं सभी के लिए विशेष महत्व रखता है. अपने जीवन साथी की
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गणेश पूजन में सभी राशियों के द्वारा दिए गए मंत्रों का उल्लेख, पुराणों में मिलता है. गणेश स्तुती हेतु यदि राशि अनुसार मंत्र जाप भी किया जाए तो ये प्रभाव व्यक्ति को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद देने वाला होता है. प्रत्येक कार्य में सर्वप्रथम
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कुछ समय बीतने के बाद शिकारी कि किसी कारणवश मृत्यु हो गई. उस शिकारी ने अनजाने में ही सही आमलकी एकादशी व्रत किया था, इस वजह से उसे कर्मों में शुभ फल प्राप्त हुआ और उसका जन्म एक राजा के यहां हुआ. वह एक बार वह शिकार को गया और डाकूओं के चंगुल
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हरियाली तृतीया 27 जुलाई 2025 को रविवार के दिन हरियाली तीज का पर्व मनाया जाएगा. हरियाली तीज अपने नाम अनुसार ही सावन के सबसे सुंदर परिदृष्य के रुप में दिखाई देती है. हरियाली तीज का त्यौहार श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि
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भड़ली नवमी का पर्व 04 जुलाई 2025 को मनाया जाएगा. इस दिन चित्रा नक्षत्र को पश्चात स्वाति नक्षत्र भी प्राप्त होगा. शिव योग एवं सिद्ध नामक शुभ योग बनेंगे तथा शुभ योग का निर्माण भी होगा. आषाढ माह की शुक्ल नवमी भड़ली नमवी. कंदर्प नवमी ओर गुप्त
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चातुर्मास में रुक जाते हैं मांगलिक कार्य और पूजा पाठ को करना क्यों होता है शुभ हिन्दू पंचांग के अनुसार देवशयनी एकादशी आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि चातुर्मास का आरंभ होता है. इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में पाताल
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गुप्त नवरात्रि के दिन दस महाविद्याओं का पूजन किए जाने का विधान रहा है. गुप्त नवरात्रि का पर्व गृहस्थ से अधिक तंत्र, साधना कर्म एवं योग क्रियाओं के लिए उपयुक्त समय माना जाता है. गुप्त नवरात्रि हेतु किए जाने पूजा कर्म में साधारण स्वरुप में
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कामाख्ये वरदे देवी नीला पर्वता वासिनी त्वम् देवी जगतम माता योनि मुद्रे नमोस्तुते || देवी कामाख्या , तंत्र और मंत्र का शक्ति पीठ तंत्र और मंत्र की अधिठात्रि देवी कामाख्या, शक्ति का वह स्वरुप हैं जो सृष्टि के निर्माण को दर्शाती हैं. कामाख्या
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हिंदू पंचांग अनुसार उत्तरायण एवं दक्षिणायन का विशेष महत्व रहा है. दक्षिणायन वह समय है जब सूर्य ग्रह उत्तरी गोलार्ध से पृथ्वी के आकाश में दक्षिण गोलार्ध की ओर गति करना शुरू करता है. किसी भी प्रकार की योग साधना करने वाले व्यक्ति के जीवन में
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संत तुकाराम भक्त और एक महान संत थे. भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में डूबे हुए संत तुकाराम जी का जन्म एक ऎसी घटना थी जिसने भक्ति की धारा को एक नया रंग दिया. ये एक महान संत कवि थे जो भारत में लंबे समय तक चले भक्ति आंदोलन के एक अग्रदूत संत भी
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आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस वर्ष में इंदिरा एकादशी का व्रत 17 सितंबर 2025 को बुधवार के दिन संपन्न होगा. इंदिरा एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन होता है. इस दिन एकादशी के लिए व्रत