हस्त नक्षत्र फल

हस्त नक्षत्र

27 नक्षत्रों में हस्त नक्षत्र को 13वां नक्षत्र स्थान प्राप्त है. हस्त नक्षत्र चन्द्र का नक्षत्र है. हस्त नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता आदित्य है. हस्त नक्षत्र के पांच तारों बनी हथेली के समान आकृति को दर्शाता है. इस नक्षत्र से बनने वाली आकृति के नाम पर ही इसे हस्त कहा जाता है. हस्त का अर्थ हाथ से है जिसे हम हाथ बांटना, हाथ बढा़ना या हाथ थामना जैसे अनेक अर्थों से जोड़ कर भी देख सकते हैं. इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों के स्वभाव में चन्द्र के गुण स्वत: होते है. इस नक्षत्र का व्यक्ति स्वभाव से बुद्धिमान प्रकृति का होता है.

हस्त नक्षत्र - शारीरिक गठन और व्यक्तित्व विशेषताएँ

हस्त नक्षत्र में जन्मे जातक के शरीर में लचक होती है. वह किसी नट की भांति कई कार्यों को सहज भाव से कर लेता है. जातक की आंखें छोटी व चेहरा गोल होता है. जातक लम्बे कद का व गठीले बदन का स्वामी होता है. शरीर के अनुपात में हाथ छोटे होते हैं. दायें हाथ के ऊपरी भाग या कंधे के नीचे कोई निशान हो सकता है. जातक तीक्ष्ण बुद्धि वाला और हास्य विनोद द्वारा लोगों को बेहतर सीख देने वाला होता है. शारीरिक और मानसिक रुप से सक्रिय होता है. व्यर्थ में समय गँवाना इन्हें पसंद नहीं होता है.

हस्त नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक शांत स्वभाव वाला होता है. साथ ही जातक के स्वभाव में भावुकता का गुण विद्यमान होता है. चन्द्र के स्वामित्व में आने के कारण व्यक्ति के व्यक्तित्व में आकर्षण का भाव मुख्यत: होता है जिसके कारण जातक में चंचलता अधिक रहती है. दूसरों का मनोरंजन करने की योग्यता भी रखता है. जातक के स्वभाव में विनोद अर्थात हंसी-मजाक भाव देखा जा सकता है.

जातक बोलचाल में दूसरों को शीघ्र प्रसन्न करने की योग्यता रखता है. बौद्धिक कार्यो में वह आगे बढ़कर रुचि लेता है. उसके स्वभाव में संकोच का भाव भी देखा जा सकता है. इस नक्षत्र के व्यक्तियों में स्त्रियों के हावभाव विशेष रुप से हो सकते है. रंग तथा जीवन के अन्य विषयों से संबंधित उसकी पसंद स्त्रियों के समान हो सकती है.

हस्त नक्षत्र के जातक की आस्था और विश्वास प्राय: बदलते रहते है. सुख सुविधाओं के प्रति आसक्त भी होते हैं. जातक कुछ विचित्र निर्णय ले सकते हैं जिसके कारण इन्हें स्वयं के द्वारा लिए गये निर्णयों पर स्वयं ही पश्चाताप होता है. हस्त नक्षत्र में जन्मा जातक अपनी बौद्धिकता और चतुरता द्वारा जीवन में उन्नति प्राप्त करता है. धन प्राप्त करने में सफल होता है जिससे इन्हें हर प्रकार का सांसारिक सुख और आनन्द प्राप्त होता है.

पारिवारिक जीवन

घर परिवार के प्रति इनकी जिम्मेदारी बराबर रहती है, परिवार की सुख सम्पन्नता के लिए सामान जुटाना. संतान के लिए भरण पोषण और अच्छी शिक्षा देने की ज़िम्मेदारी पूर्ण रुप से उठाते हैं. बच्चों को अच्छे संस्कार देना. परिवार में सभी के समक्ष सहयोग व सम्मान बनाए रखना और घर के माहौल को स्वस्थ एवं सुखदायी बनाए रखने की पूरी जिम्मेदारी के प्रति नजर बनाए रखते हैं ओर मेहनत भी करते हैं.

हस्त नक्षत्र - स्वास्थ्य

यह तेरहवाँ नक्षत्र है और इसका स्वामी चंद्रमा है. इसके अधिकार में आंते, अंतड़ियाँ, अंत:स्त्राव ग्रंथियाँ, इंजाइम्स आते हैं. हथेली, कलाई ऊंगलियां इस नक्षत्र में आते हैं. इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर व्यक्ति को इन अंगों में पीड़ा होने की संभावना बनती है. इस नक्षत्र के जातक में वात तत्व की प्रधानता रहती है.

हस्त नक्षत्र - व्यवसाय

इस नक्षत्र के जातक का मन नौकरी से अधिक किसी व्यापार को करने में लग सकता है. इस जन्म नक्षत्र में जन्मे जातक को समाज सेवा और दूसरों की सहायता करने में भी विशेष रुचि होती है और इससे संबंधित काम में इन्हें पर्याप्त मान -सम्मान प्राप्त होता है. कभी कभी अत्यधिक लाभ कमाने के प्रयास में दूसरों के हितों की अवहेलना भी कर देते है, ऐसे में इनके स्वभाव में स्वार्थ भावना देखी जा सकती है. बुद्धिमानी का प्रयोग कार्यो में करने के कारण इनकी आर्थिक स्थिति प्राय: सुदृढ रहती है. हस्त कला में निपुण होते हैं ऐसे में शिल्पी या दस्तकार से जुड़े काम इन्हें अधिक पसंद आते हैं. जौहरी, फाइन आर्ट के काम, कला से संबंधित काम, परी कथा लेखक, मुद्रण एवं प्रकाशन से जुड़े काम में ये अच्छा कर सकते हैं. मनोचिकित्सक, सौंदर्य प्रसाधन, लेखा-कार, टाइपिस्ट, घरेलू नौकर, मालिश करने वाला, फिजियोथेरेपिस्ट, सफाई कर्मी, हास्य कलाकार, समाचार वाचक, प्रशिक्षक इत्यादि काम इस नक्षत्र के अधिकार क्षेत्र में आते हैं.

हस्त नक्षत्र का प्रथम चरण

लग्न या चंद्रमा, हस्त नक्षत्र के प्रथम चरण में आता हो तो ऐसा जातक ज्ञानवान एवं शास्त्रों को जानने वाला होता है. व्यक्ति कोमल शरीर का, गौर्ण वर्ण का व गुलाबी रंगत लिए होता है. स्वभाव से थोड़ा कठोर भी हो सकता है. बौद्धिकता से पूर्ण होता है.

हस्त नक्षत्र का दूसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, हस्त नक्षत्र के दूसरे चरण में आता हो तो जातक ऊंचे कद का, भरे मांसल युक्त कंधों वाला, मोटे बालों से युक्त, भारी छाती और भारी भुजाओं वाला होता है. मोटे होंठ होते हैं. खिंची हुई सी सख्य पिण्डलियों वाला होता है. दूसरों के अधीन रह कर काम करने वाला होता है.

हस्त नक्षत्र का तीसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, हस्त नक्षत्र के तीसरे चरण में आता हो तो व्यक्ति चमकीले शरीर और रंगत वाला होता है, अच्छे शुभ लक्षणों वाला होता है. शिक्षा में योग्य ओर अनुसंधान करने वाला शास्त्रों को परखने वाला होता है. घूमने फिरने वाला, निर्मल शुद्ध चित्त का स्वामी होता है. पढ़ने व लिखने में कुशल होता है.

हस्त नक्षत्र का चौथा चरण

लग्न या चंद्रमा, हस्त नक्षत्र के चौथे चरण में आता हो तो ऊंचे कंधे और कम रोम वाली भुजाओं वाला होता है. पेट कुछ भारी होता है. पैरों में भी भारीपन होता है. बालों में सफेद रंगत अधिक होती है. मुंह छोटा होता है और जातक को जल से भय लगता है.

हस्त नक्षत्र के नामाक्षर

हस्त नक्षत्र के प्रथम चरण या प्रथम पाद में जो 10:00 से 13:20 तक होता है. इसका अक्षर “पू” होता है.

हस्त नक्षत्र के दूसरे चरण या द्वितीय पाद में जो 13:20 से 16:40 तक होता है. इसका अक्षर “ष” होता है.

हस्त नक्षत्र के तीसरे चरण या तृतीय पाद में जो 16:40 से 20:00 तक होता है. इसका अक्षर “ण” होता है.

हस्त नक्षत्र के चौथे चरण या चतुर्थ पाद में जो 20:00 से 23:20 तक होता है. इसका अक्षर “ठ” होता है.

हस्त नक्षत्र वेद मंत्र

ॐ विभ्राडवृहन्पिवतु सोम्यं मध्वार्य्युदधज्ञ पत्त व विहुतम

वातजूतोयो अभि रक्षतित्मना प्रजा पुपोष: पुरुधाविराजति ।

ॐ सावित्रे नम: ।

उपाय

हस्त नक्षत्र के जातक के लिए सूर्य उपासना और सूर्य के 108 नामों का स्मरण करना उत्तम होता है. आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना भी शुभफलदायी होता है. सूर्य को जल चढा़ना व मंत्र जाप कल्याणकारी माने जाते हैं. भगवान विष्णु के दशरुपों की पूजा भी उत्तम होती है और यह जातक को सकारात्मक और सफलता देने वाला हो सकता है.

हस्त नक्षत्र अन्य तथ्य

नक्षत्र - हस्त

राशि - कन्या

वश्य - नर

योनि - महिष

महावैर - अश्व

राशि स्वामी - बुध

गण - देव

नाड़ी - आदि

तत्व - पृथ्वी

स्वभाव(संज्ञा) - क्षिप्र

नक्षत्र देवता - सूर्य

पंचशला वेध - उत्तरा भाद्रपद


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