लाल किताब के अनुसार फलादेश करते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है. यहां पर इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि उम्र के कौन से वर्ष में कौन से भाव तथा कौन सी राशि के ग्रह प्रभावित करने वाले रह सकते हैं. लाल किताब कुण्डली का अध्ययन करने के लिए इस बात का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक होता है आयु किस वर्ष में कौन सी राशि एवं भाव अपना प्रभाव रखता है.

  • मेष राशि - 1 से 3 , 37 से 39, 73 से 75 और 109 से 111 वर्ष में प्रभाव दिखाई पड़ता है.
  • वृष राशि - 4 से 6, 40 से 42 76 से 78 और 112 से 114 वर्ष में प्रभाव देख सकते हैं.
  • मिथुन राशि - 7 से 9, 43 से 45, 79 से 81 और 115 से 117 वर्ष में असर देख सकते हैं.
  • कर्क राशि - 19 से 21, 55 से 57, 91 से 93 वर्ष में असर देख सकते हैं.
  • सिंह राशि - 22 से 24, 58 से 60 और 94 से 96 वर्ष में प्रभाव दिखाई पड़ता है.
  • कन्या राशि - 25 से 27, 61 से 63 और 97 से 99 वर्ष में प्रभाव होता है.
  • तुला राशि - 28 से 30, 64 से 66 और 100 से 102 वर्ष में प्रभाव होता है.
  • वृश्चिक राशि - 31 से 33, 67 से 69 और 103 से 105 वर्ष में प्रभाव होता है.
  • धनु राशि - 34 से 36, 70 से 72, 106 से 108 और 118 से 120 वर्ष में प्रभाव दिखाई देता है.
  • मकर राशि - 10 से 12, 46 से 48 और 82 से 84 वर्ष में प्र्भाव दिखाई देता है.
  • कुम्भ राशि - 13 से 15, 49 से 51 और 85 से 87 वर्ष में प्रभाव देते हैं.
  • मीन राशि - 16 से 18, 52 से 54 और 88 से 90 वर्ष में अधिक प्रभावी होती है.


इस प्रकार एक उदाहरण द्वारा हम इस बात को समझने की कोशिश करेंगे माना की कोई व्यक्ति 25 साल का हो तब इस उम्र के दौरान कन्या राशि में स्थित ग्रहों का प्रभाव अधिक होता है और यदि कन्या राशि में कोई ग्रह नहीं हो तो कन्या राशि का स्वामी बुध जिस भी भाव में स्थित होगा उस भाव के फलों को विचार के लिया जाएगा.

लाल किताब कुण्डली में बंद मुट्ठी का खाना | Band Muthi ka khaana in Laal Kitaab Kundali

  • 1, 4, 7, 10 - साथ लाया माल
  • 9, 11, 12 - बचपन का हाल
  • 2, 3 5, 6 - संतान और बुढापा
  • 8 - रोग और दुख
  • 1, 7, 4, 10 - साथ में लाया खजाना मुट्ठी के अंदर
  • 3, 11, 5, 9 - दूसरों से पाए. मुट्ठी का बाहर
  • 2 6, 12 - सगे-संबंधियों से पाए. मुट्ठी का बाहर


लाल किताब में कुडण्डली के खानों की गिनती क अक्रम गति और स्थान निश्चित कर दिए जाते हैं. बारह राशियों के लिए बारह भाव निश्चित हैं. इन बारह भाव में नौ ग्रह आते हैं और बाकी चार भाव बचे क्योंकि सातवें भाव में दो ग्रह इकट्ठे होते हैं इस लिए चार भाव बचते हैं जिनमें बृहस्पति की हवा का का प्रभाव देखा जाता है.