नाबालिग ग्रहों वाली कुण्डलियां | Lal Kitab Horoscope with Nabalig Planets (Immature Planets)

लाल किताब का विवेचन करने के उपरांत हम यह पाते हैं कि इसके अनुसार हमारे पास कुण्डलियों का अध्ययन करने के लिए अनेक कुन्डलियां होती हैं जो अनेक नामों से जानी जाती हैं जैसे अंधी कुण्डली, धर्मी कुण्डली, कायम ग्रहों वाली कुंडली इत्यादि कई कुन्डलियां हैं इसमें से एक अन्य कुण्डली है जिसका नाम है नाबालिग ग्रहों वाली कुण्डली.

लाल किताब में नाबालिग ग्रहों की कुण्डली बनाकर भविष्य फल बताया जाता है. इन सब चीजों का विश्लेषण करने से एक बात जो प्रमुख रूप से उभर कर सामने आती है कि लाल किताब के अपने नियम व सिद्धांत हैं जिनके द्वारा टेवे को समझा जा सकता है और विशेष उपायों द्वारा अच्छे फलों को पा सकने में सक्ष्म होता है नाबालिक ग्रहों वाली कुण्डली भी इसी श्रेणी में आती है जिसमें दिए गए नियम उसके फल कथन को व्यक्त करते हैं.

नाबालिग ग्रहों की कुण्डली विवेचन | Interpretation of horoscope with Nabalig planets

लाल किताब के अनुसार यदि कुण्डली के केन्द्र स्थान अर्थात प्रथम भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव और दसवें भाव में कोई ग्रह स्थित नही है या इन भावों में केवल पापी ग्रह यानि के शनि, राहु या केतु स्थित हों तो ऎसी कुण्डली नाबालिग ग्रहों वाली कुण्डली कहलाती है. इन नाबालिग ग्रहों वाली कुण्डली में दिए गए तथ्यों पर विचार करके कुण्दली का उचित प्रकार से अनुमोदन किया जा सकता है कुण्डली का फलित इन्हीं के सिद्धांतों पर आधारित होता है और लाल किताब के उपायों द्वारा दोषों को दूर करके ग्रहों के शुभ प्रभाव प्राप्त किए जा सकते हैं. लाल किताब ग्रहों के नाबालिग स्वरुप को अनेक प्रकार से दर्शाती है, इसी प्रकार से कुछ अन्य बातें हैं जो नाबालिग ग्रहों की कुण्डली के लिए होनी मान्य हैं जो इस प्रकार हैं-

  • यदि कुण्डली में शुक्र के साथ सूर्य, चंद्रमा या राहु स्थित हों.
  • कुण्डली में शनि के साथ सूर्य, चंद्र या मंगल स्थित हों.
  • कुण्डली में यदि राहु के साथ सूर्य, चंद्र, मंगल या बृहस्पति स्थित हों.
  • कुण्डली में केतु के साथ सूर्य, चंद्र या मंगल स्थित हो.


या पहले भाव, चौथे भाव, सातवें भाव या दसवें भाव में बुध अकेला बैठा हो तो ऎसी कुण्डली को नाबालिग ग्रह वाली कुण्डली कहा जाता है.

बालिग कुण्डली विचार | Consideration of Balig Kundali (Mature horoscope)

  • सूर्य यदि प्रथम भाव, पंचम भाव या एकादश भाव में स्थित हो तो ऎसी कुण्डली बालिग होती है.
  • कुण्डली में अगर बुध छठे भाव में स्थित हो तो ऎसी कुण्डली बालिग कुण्डली कही जाती है.
    वर्ष फल में सूर्य के लग्न में आने से पहले जो ग्रह वर्षफल में लग्न में आते हैं वह बालिग कहे जाते हैं.
  • इसी प्रकार वर्ष फल के अनुसार सूर्य के लग्न में आने पर कुण्डली बालिग मानी जाती है.
  • जन्म कुण्डली में लग्न में स्थित ग्रहों को छोड़कर बाकी सभी ग्रह नाबालिग कहे जाते हैं.


बालिग ग्रहों वाली कुण्डली एक परिपक्क कुण्डली कही जाती है इसमें फल दशा विवेचन अनुकूल फल देने वाला रहता है. इस कुण्डली का अध्ययन करने में इस बात पर भी जोर दिया जाता है कि भाव में स्थित ग्रह एवं राशि के स्वामी पर विचार किया जाना चाहिए. नाबालिग कुण्डली का विचार करने पर जातक के जीवन में आने वाली परेशानियों एवं कठिनाईयों को समझा जा सकता है.