कुण्डली में होरा का महत्व
उदाहरण के लिए माना मिथुन लग्न 22 अंश का हो तो यह विषम लग्न होगा है. विषम लग्न में लग्न की डिग्री 15 से अधिक है तब होरा कुण्डली में चन्द्रमा की होरा उदय होगी अर्थात होरा कुण्डली के प्रथम भाग में कर्क राशि आएगी और दूसरे भाग में सूर्य की राशि सिंह आएगी. अब ग्रहों को भी इसी प्रकार स्थापित किया जाएगा. माना बुध 17 अंश का मकर राशि में जन्म कुण्डली में स्थित है. मकर राशि समराशि है और बुध 17 अंश का है. समराशि में 15 से 30 अंश के मध्य ग्रह सूर्य की होरा में आते हैं तो बुध सूर्य की होरा में स्थित होंगे और सिंह राशि में बुध को लिखेंगे.
लग्न कुण्डली मुख्य कुण्डली होती है. लग्न कुण्डली में 12 भाव स्थिर होते हैं. इन बारह भावों के बारे में विस्तार से जानना है तो वर्ग कुण्डलियों का सूक्ष्मता से अध्ययन करना चाहिए. कई बार लग्न कुण्डली में घटना का होना स्पष्ट रुप से दिखाई देता है पर फिर भी जातक को समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसके लिए वर्ग कुण्डलियाँ देखना आवश्यक है. लग्न कुण्डली में कई बार ग्रह बली होते हैं और वही ग्रह वर्ग कुण्डली में निर्बल हो जाता है तब अनुकूल फल मिलने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है.
अलग-अलग बातों के लिए अलग-अलग वर्ग कुण्डलियों का अध्ययन किया जाता है. लग्न कुण्डली के सप्तम भाव से जीवनसाथी का विचार किया जाता है. इसी सप्तम भाव के वर्ग कुण्डली में 12 हिस्से कर दिए जाते हैं तो वह नवाँश कुण्डली के नाम से जानी जाती है. नवाँश कुण्डली का अध्ययन जीवन के सभी पहलुओं के लिए किया जाता है.
सूर्य और चंद्र की होरा | Sun’s and Moon’s Hora
एक बात का आपको विशेष रुप से ध्यान रखना होगा कि किसी भी वर्ग कुण्डली को बनाने के लिए गणना आपको जन्म कुण्डली में ही करनी होगी. अधिकतर स्थानों पर षोडशवर्ग कुण्डलियों का अध्ययन किया जाता है. लग्न कुण्डली है जो जीवन के सभी क्षेत्रों का अध्ययन किया जाता है. इस कुण्डली में 12 भाव तथा नौ ग्रहों का आंकलन किया जाता है. इसमें एक भाव 30 अंश का होता है. वर्ग कुण्डली में ग्रह किसी भी भाव या राशि में जाएँ लेकिन सभी वर्ग कुण्डलियों के लिए गणना जन्म कुण्डली में ही की जाएगी.
होरा कुण्डली से जातक की धन सम्पदा सुख सुविधा के विषय में विचार किया जाता है. संपति का विचार भी होरा लग्न से होता है, होरा लग्न या तो सूर्य का होता है या चन्द्रमा है यदि जातक सूर्य की होरा में उत्पन्न होता है तो वह पराक्रमी, स्वाभिमानी एवं बुद्धिमान दिखाई देता है. होरा में सूर्य के साथ यदि शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के ग्रह हों तो जातक को जीवन के आरम्भिक समय में संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है.
यदि सूर्य की होरा में पाप ग्रह हों तो जातक को परिवार एवं आर्थिक लाभ में कमी का सामना करना पड़ता है. कार्य क्षेत्र में भी अत्यधिक परिश्रम करना पड़ता है. यदि जातक चन्द्रमा की होरा में होता है तथा शुभ ग्रहों का साथ मिलने पर व्यक्ति को सम्पदा,वाहन एवं परिवार का सुख प्राप्त होता है. परंतु चंद्र की होरा में यदि पाप ग्रह हों तो मानसिक तनाव का दर्द सहना पड़ सकता है.