शुक्र ग्रह मान सम्मान, सुख और वैभव, दांपत्य सुख एवं भोग विलासिता के प्रतीक माने जाते हैं. साधारणत: यदि यह पाप ग्रह से युक्त या दृष्ट न हों तो जातक को हंसमुख एवं विनोद प्रिय बनाते हैं. जातक मिलनसार और सभी को साथ लेकर चलने वाला होता है. परंतु वक्री शुक्र के होने पर जातक के भीतर इन गुणों का लोप होता है. जातक समाज में अधिक घुल मिल नहीं पाता वह अधिक एकाकी रहना पसंद करता है.
व्यक्ति में अलगाव की भावना देखी जा सकती है. जातक की परिवार एवं आसपास के माहौल पर अनासक्ति का एहसास रहता है. व्यक्ति कभी कभी गैर पारंपरिक रुप से अपना प्रेम दर्शाता है. यदि जन्मांग में शुक्र वक्री होकर द्वादश भाव में स्थित हो तो जातक भोग विलास से दुरी ही बनाए रखता है. कभी कभी विलासिता से विमुख होकर सन्यास की ओर भी प्रवृत होने लगता है.
शुक्र ग्रह की कुण्डली में शुभ स्थिति जीवन को सुखमय और प्रेममय बनाती है तो वक्री स्थिति खुशियों में कमी लाती है. शुक्र को सबसे चमकीला और सुन्दर ग्रह कहा गया है. इसे प्रेम और वासना का अधिपति माना गया है.
सप्तम भाव में यह जिस ग्रह के साथ सम्बन्ध बनाता है उसे अपना प्रभाव दे देता है. इसे परिवार और गृहस्थी का कारक माना गया है.पुरूष की कुण्डली में यह पत्नी और स्त्री की कुण्डली में पति की स्थिति को दर्शाता है.यह कुण्डली में अकेला होने पर अहित नहीं करता है और इससे प्रभावित व्यक्ति किसी को परेशान नहीं करता है वक्री होने की स्थित में धन की हानि होती है एवं पिता से अच्छे सम्बन्ध नहीं रह पाते हैं.शुक्र जब बारहवें घर में होता है तब धन और उच्चपद प्रदान करता है.
शुक्र विवाह एवं वैवाहिक सुख सहित सम्बन्ध विच्छेद का भी कारक होता है. शुक्र प्रभावित व्यक्ति आशिक मिज़ाज का होता है. सुन्दरता एवं कला का प्रेमी होता है जिस पुरूष की कुण्डली में शुक्र शुभ और उच्च का होता है वह श्रृंगार प्रिय होता है. शुक्र वक्री होने पर पारिवारिक एवं गृहस्थ जीवन में अशांति और कलह पैदा करता है. त्वचा सम्बन्धी रोग शुक्र की निशानी कही गयी है.
वक्री शुक्र के उपाय | Remedy For Retrograde Venus
शुक्र के उपाय करने से वैवाहिक सुख की प्राप्ति की संभावनाएं बनती है. यह उपाय करते समय व्यक्ति को अपनी शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए तथा उपाय करने कि अवधि के दौरान शुक्र देव का ध्यान करने से उपाय की शुभता में वृ्द्धि होती है. शुक्र मंत्र का जाप करने से भी शुक्र के उपाय के फलों को सहयोग प्राप्त होता है. शुक्र की दान देने वाली वस्तुओं में घी एवं चावल का दान किया जाता है.
इसके अतिरिक्त शुक्र क्योकि भोग-विलास के कारक ग्रह है. इसलिये सुख- आराम की वस्तुओं का भी दान किया जा सकता है. बनाव -श्रंगार की वस्तुओं का दान भी इसके अन्तर्गत किया जा सकता है यह दान व्यक्ति को अपने हाथों से करना चाहिए. दान से पहले अपने बडों का आशिर्वाद लेना उपाय की शुभता को बढाने में सहयोग करता है.
शुक्र के अशुभ गोचर की अवधि या फिर शुक्र की दशा में शुक्र मंत्र एवं श्लोक का पाठ प्रतिदिन या फिर शुक्रवार के दिन करने पर इस समय के अशुभ फलों में कमी होने की संभावना बनती है. शुक्र की शुभता के लिए कुछ सामान्य उपायों में पत्नी का सम्मान करना चाहिए. शुक्रवार का व्रत करना चाहिए और मन और हृदय पर काबू रखना चाहिए, सात प्रकार के अनाज और चरी का दान करना चाहिए, शुक्र के सम्बन्ध में मन और इन्द्रियों को नियंत्रित रखने पर विशेष बल देता है.