संकटा दशा राहु की दशा होती है इस दशा की अवधि आठ वर्ष की मानी गई है. यह दशा धन, यश और पद प्रतिष्ठा की हानि करती है. परिवार से वियोग कष्ट प्राप्त होता है. जातक में मनमानी व हठ की प्रवृत्ति अधिक रहती है. इस दशा में व्यक्ति को संघर्ष की स्थिति का सामना करना करना पड़ सकता है और जातक में गुस्से की स्थिति बनी रहती है.
देह कष्ट, मनोव्यथा व जैसी समस्याओं का अनुमोदन किया है. ज्योतिष विद्वानों नें राहु को एक पाप ग्रह की संज्ञा दी है. इस कारण संकटा योगिनी दशा में जातक को अनेक प्रकार की राहु से संबंधित प्रभावों को भी अपने में देखना मिल जाता है. संकटा दशा में जातक की बुद्धि भ्रमित रह सकती है तथा मन में द्वंद की स्थिति देखी जा सकती है. अनैतिक आचरण और गलत कामों द्वारा धन कमाने की ओर अग्रसर रह सकते हैं. इसी के साथ कुसंगति में होने पर धन का नाश व मान समान की हानि का सामना करना पड़ सकता है. जो व्यक्ति के लिए संताप को बढा़ने वाला हो सकता है.
कुछ विद्वान संकटा दशा का संबंध विष संबंधि दुर्घटनाओं, वरिष्ठ जनों के सहयोग से होने वाले कामों में सफलता मिलना, न्याय करने वाला होना, काम के प्रति रात दिन को एकाकार कर देना, धन की प्राप्ति, भ्रमण इत्यादि से जोड़ते हैं. परिवार से संताप मिलता है व कष्ट की अनुभूति बढ़ जाती है.
दया व परोपकारित के कामों में उन्मुख होना तथा अधिकार एवं सत्ता के सुख व सेवकों को पाना भी संकटा दशा के दौरान हो सकता है. इन दो विचधारों के मध्य संकटा दशा एक तथ्य को तो अवश्य दर्शाती है कि राहु से संबंधित फलों के मिलने की दशा प्रबल होती है इस समय में जातक परंपरा से हट कर कामों को करने की ओर उन्मुख रह सकता है. गुढ विद्याओं के प्रति आसक्त हो सकता है.
संकटा योगिनी दशा में व्यक्ति अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है. व्यक्ति को शस्त्र या जहर का प्रकोप प्रभावित कर सकता है. व्यक्ति में क्रोद्ध करने की प्रवृत्ति अधिक बढ़ सकती है और शांति से कार्यों को निपटाने की शक्ति कम होने लगती है. जिसके कारण मन अशांत रहने लगता है. यह दशा उपद्रव व अशांति को बढा़ती है. अग्नि एवं दुर्घटना से भय दिलाती है. इस अवधि में अशुभता के लक्ष्णों को अधिकता में बताया गया है.
व्यक्ति अनैतिक आचरण और गलत कामों द्वारा धन कमाने की ओर अग्रसर रह सकता है. इसी के साथ कुसंगति में होने पर धन का नाश व मान समान की हानि का सामना करना पड़ सकता है. जो व्यक्ति के लिए संताप को बढा़ने वाला हो सकता है.संतान की ओर से चिंता का सामना करना पड़ता है.
दया व परोपकारिता के कामों में उन्मुख होना तथा अधिकार एवं सत्ता के सुख को पाना भी संकटा दशा के दौरान हो सकता है. जातक में बहस या जिद्दीपन आ सकता है. यह दशा व्यक्ति को उच्च पद प्राप्ति में भी सहायक होती है. इस दौरान विदेश यात्रा का भी संयोग बन सकता है. निम्न वर्ग के लोगों के साथ काम करने की प्रवृत्ति बढ़ सकती है. कार्य में स्थानांतरण या न चाहते हुए भी स्थान से अलग होना पड़ सकता है. जातक अपनी समझदारी से अपने साहस एवं कौशल द्वारा अपनी प्रतिष्ठा को बचाने के प्रयास में लगा रहता है.
यदि जातक शांत एवं सूझबूझ से काम ले तो वह सरकार से सम्मान एवं अपनी सफलता को सुनिश्चित कर सकता है. मेहनत एवं कडे़ संघर्ष द्वारा व्यक्ति धनी मानी व्यक्तियों की कृपा से लाभ प्राप्त करने में काफी हद तक सफल होता है.
नए संबंधों की ओर झुकाव महसूस कर सकता है. बिना सोचे समझे कुछ अनचाहे फैसले भी वह ले सकता है, जिस कारण उसे परेशानियों का सामना भी करना पडे़. ऎसे समय में चाहिए की वह अपनी सोच को विस्तृत करे ओर सभी पहलुओं पर विचार करते हुए किसी फैसले पर पहुंचे. ऎसा करने से वह अपनी कई परेशानियों पर काबू पाने में सफल हो सकता है और दशा के फलों को सहने योग्य स्वयं को बना सकता है.
व्यक्ति की कुण्डली के योग दशाओं में जाकर फल देते है. किसी व्यक्ति की कुण्डली में अगर अनेक योग बन रहे हैं लेकिन फिर भी वह व्यक्ति साधारण सा जीवन व्यतीत कर रहा है. तो समझ जाना चाहिए. की उस व्यक्ति को योगों से जुडे ग्रहों की दशाएं अभी तक नहीं मिली है. यदि व्यक्ति को उचित दशाएं सही समय पर मिल जाती है यो उस व्यक्ति को जीवन में सरलता से सफलता के दर्शन हो जाते है. क्योकी यह दशाओं का ही खेल है की व्यक्ति फल प्रदान करने में सहायक होता है.