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बुध का कर्क राशि प्रवेश जानें अपनी राशि पर इसका प्रभाव
वैदिक ज्योतिष में बुध को एक राजकुमार के रूप में वर्णित किया गया है. बुध अन्य ग्रहों की तुलना में सूर्य के बहुत निकट है. यह व्यक्ति में बुद्धि और हास्य का प्रतिनिधित्व करता है और कई स्थितियों में यह
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र गोचर फल
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर ऊर्जा में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है जो हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव डाल सकता है. यह खगोलीय घटना राशि के अनुसार कैसे प्रभावित कर सकती है.आइए
बुध का अश्विनी नक्षत्र गोचर का प्रभाव
बुध का अश्विनी नक्षत्र गोचर का प्रभाव बुध के मेष राशि में गोचर के समय पर होता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह को अधिक प्रभावशाली माना जाता है यह बुद्धि, तर्क क्षमता और अच्छे संचार कौशल का कारक
सूर्य का राहु के साथ गोचर क्यों है इतना खास
सूर्य मजबूत व्यक्तित्व के सबसे बड़े कारणों में से एक होता है और राहु छल और भ्रम में कम नहीं है. अब जब सूर्य के साथ राहु का मेल होता है तो यह स्थिति परेशानी को दिखाने वाली अधिक हो सकती है. सूर्य वैदिक
राहु - चंद्रमा का मीन राशि में गोचर फल
राहु के साथ चंद्रमा का गोचर मीन राशि पर होने के विभिन्न फल प्राप्त होते हैं. इसका असर मीन राशि के अलावा अन्य राशियों पर भी गहराई से पड़ता है. राहु एक पाप ग्रह है चंद्रमा एक शुभ ग्रह है और मीन राशि एक
कन्या राशि में केतु का राशि प्रवेश 2024
केतु का गोचर एक बेहद महत्वपूर्ण समय होता है क्योंकि इनका असर जीवन में होने वाले बदलावों की स्थिति पर असर दिखाता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, केतु किसी व्यक्ति की कुंडली में बहुत महत्व रखता है, कुंडली
मेष राशि में वक्री बृहस्पति का सभी राशियों पर प्रभाव
4 सितंबर 2023 को गुरु मेष राशि में वक्री हो रहे हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति को विस्तार, प्रचुरता और समृद्धि का ग्रह कहा गया है. बृहस्पति का वक्री होना काफी चीजों को बदल देने वाला समय होता
वक्री शनि का कुंभ राशि गोचर फल 29 जून 2024
शनि 29 जून, 2024 को 24:29 पर अपनी वक्री गति से चलने वाले हैं. शनि वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह है, जिसे कर्म का ग्रह कहा जाता है और इसलिए जब शनि वक्री होता है तो जीवन में कई बदलाव लाता है. हर
मंगल-केतु का तुला राशि में गोचर देगा गंभीर परिणाम
वैदिक ज्योतिष में केतु के साथ मंगल का गोचर बेहद परिवर्तन के साथ ही एक महत्वपूर्ण घटना का समय भी बन जाता है. मंगल ऊर्जा, साहस और पराक्रम का कारक है और केतु क्रोध अलगाव को दर्शाता है. ऎसे में तुला राशि
कुंभ राशि में शनि के अस्त होने का प्रभाव
शनि का गोचर या स्थिति जब कुंभ राशि में अस्त होती है तो इसका असर काफी धीमे रुप से मिलने वाले परिणाम के रुप में दिखाई देता है. कुंभ राशि शनि की स्वराशि है ओर यह शनि के स्वामित्व की मूलत्रिकोण राशि भी
राहु का मीन राशि गोचर 2024 राशियों पर प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार सबसे अधिक कठोर ग्रहों में राहु का नाम भी विशेष रुप से लिया जाता रहा है. राहु, जो लगातार वक्री रहता है और हर डेढ़ साल में राशि परिवर्तन करता है, राहु का असर शनि के समान फल देने वाला
मेष राशि में चंद्रमा के साथ राहु का गोचर
गोचर में जब ग्रहों के भ्रमण की स्थिति बनती है तब ग्रहों का योग अन्य ग्रहों के साथ अवश्य बनता है. इस योग में सभी ग्रह युति अनुसार अपना प्रभाव भी देते हैं. कुछ युति योग गोचर में अच्छे होते हैं तो कुछ
मेष राशि में सूर्य - बृहस्पति का योग और सभी राशियों के लिए उसका फल
सूर्य के साथ बृहस्पति के मेष राशि में गोचर का प्रभाव सभी राशियों पर नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह का रहता है. यह गोचर कुछ राशि के लिए अच्छे परिणामों को देने वाला होगा ओर कुछ को कमजोर कर देने वाला
मेष राशि में राहु और गुरु की युति गोचर का विभिन्न राशियों पर प्रभाव
राहु के साथ गुरु का योग मेष राशि में जब गोचर के लिए होता है तब इस स्थिति में बदलाव और बौद्धिक ज्ञान में नए विचारों के साथ जानकारी बढ़ाने की स्थिति भी हमारे सामने होती है. वैदिक ज्योतिष में राहु एक
मेष राशि में सूर्य-राहु का गोचर और सभी राशियों पर इसका असर
मेष राशि में सूर्य और राहु का योग कई तरह के असर दिखाने वाला समय होता है. किसी भी युति का निर्माण तब होता है जब दो या दो से अधिक ग्रह एक दूसरे के निकट होते हैं. या वह एक राशि भाव में स्थित होते हैं.
बुध का राहु के साथ मेष राशि में गोचर 2023
बुध के मेष राशि में राहु के साथ होने की स्थिति अचानक होने वाले बदलावों को दिखाने वाली होती है. बुध और राहु का मेष राशि में गोचर अचानक से चीजों को घटित करने के लिए ऊर्जा की अधिकता देखने को मिलती है.
वक्री शुक्र का मेष राशि में गोचर का असर
शुक्र का मेष राशि में गोचर करना उसके परिभ्रमण का एक हिस्सा है, किंतु जब भ्रमण की इस स्थिति पर वक्रता का प्रभाव पड़ता है तो यह अपने प्रभाव में कई तरह के बदलाव दिखाता है. शुक्र के मेष राशि में होने का
शुक्र का कुंडली के विभिन्न भावों में गोचर फल
शुक्र को बेहद शुभ ग्रह के रुप में देखा जाता है. यह जीवन में इच्छाओं को उत्पन्न करने एवं सुखों को प्रदान करने वाला माना गया है. शुक्र की स्थिति व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक एवं विशेष असर दिखाने वाली
बुध का कुंडली के 12 भाव में गोचर फल
बुध एक ऎसा ग्रह है जो अपनी तेज रफता के साथ चलते हुए गोचर में अपना असर हर राशि पर जल्द से जल्द देने की कोशिश करता है. बुध को राशि चक्र का एक चक्र पूरा करने में लगभग साल का समय लग जाता है यह सूर्य के
मंगल का सभी 12 भावों में गोचर का प्रभाव
मंगल ग्रह का गोचर जन्म कुंडली के जिस भाव में होगा वहां बैठ कर कई तरह के असर दिखाने वाला होता है. मंगल ग्रह प्रत्येक राशि में लगभग 40 दिनों तक गोचर करता है. जन्म के समय चंद्रमा जिस भाव में स्थित होता