शिव की उपासना | Worship of Lord Shiva | Importance of Belpatra | Procedure of Worship of Lord Shiva

सावन के माह में शिवभक्त अपनी श्रद्धा तथा भक्ति के अनुसार शिव की उपासना करते हैं. चारों ओर का वातावरण शिव भक्ति से ओत-प्रोत रहता है. सावन माह में शिव की भक्ति के महत्व का वर्णन ऋग्वेद में किया गया है. श्रावण मास के आरम्भ से ही पूजा का आरम्भ हो जाता है. इस माह में भगवान की पूजा करने में निम्न मंत्र जाप करने चाहिए.

1) “पंचाक्षरी मंत्र” का जाप करना चाहिए.

2) “ऊँ नम: शिवाय” मंत्र की प्रतिदिन एक माला करनी चाहिए.

3) महामृत्यंजय मंत्र की एक माला प्रतिदिन करनी चाहिए. इससे कष्टों से मुक्ति मिलती है.

इन मंत्रों के जाप से व्यक्ति रोग, भय, दुख आदि से मुक्ति पाता है. जातक दीर्घायु को पाता है. इन मंत्र जाप के साथ रुद्राभिषेक तथा अनुष्ठान आदि भी भक्तों द्वारा कराए जाते हैं. जिन व्यक्तियों के लिए सावन माह में प्रतिदिन शिव की पूजा-अर्चना करना संभव नहीं होता है उन्हें सावन माह के सभी सोमवार को पूजा अवश्य करनी चाहिए. इस पूजा का भी उतना ही फल प्राप्त होगा.

भगवान शिव की पूजा विधि | Procedure of Worship of Lord Shiva

सावन के माह में भगावन शंकर की पूजा उनके परिवार के सदस्यों सहित की जाती है. पूजा का आरम्भ भोलेनाथ के अभिषेक के साथ होता है. इस अभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी, गंगाजल तथा गन्ने के रसेआदि से स्नान कराया जाता है. अभिषेक कराने के बाद बेलपत्र, समीपत्र, कुशा तथा दूब आदि से शिवजी को प्रसन्न करते हैं. अंत में भांग, धतूरा तथा श्रीफल भोलेनाथ को भोग के रुप में चढा़या जाता है.

बेलपत्र का महत्व | Importance of Belpatra

शिवलिंग पर बेलपत्र तथा समीपत्र चढा़ने का वर्णन पुराणों में उपलब्ध है. बेलपत्र भोलेनाथ को प्रसन्न करने के शिवलिंग पर चढा़या जाता है. एक पौराणिक कथा के अनुसार 89 हजार ऋषियों ने भोलेनाथ को प्रसन्न करने का तरीका परम पिता ब्रह्मा जी से पूछा. ब्रह्मा जी ने बाताया कि भगवान शिव सौ कमल चढा़ने से जितने प्रसन्न होते हैं उतने ही वह एक नीलकमल चढा़ने से प्रसन्न हो जाते हैं.

इसी प्रकार एक हजार नील कमल के बराबर एक बेलपत्र होता है. एक हजार बेलपत्र के बराबर एक समीपत्र का महत्व होता है. इनके चढा़ने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं. शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल तरीका बेलपत्र है. बेलपत्र के पीछे भी एक पौराणिक कथा का महत्व है. इस कथा के अनुसार भील नाम का एक डाकू था. यह डाकू अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए लोगों को लूटता था. एक बार सावन माह में यह डाकू राहगीरों को लूटने के उद्देश्य से जंगल में गया और एक वृक्ष पर चढ़कर बैठ गया. एक दिन-रात पूरा बीत जाने पर भी उसे कोई शिकार नहीं मिला.

जिस पेड़ पर वह डाकू छिपा था वह बेल का पेड़ था. रात-दिन पूरा बीतने पर वह परेशान होकर बेल के पत्ते तोड़कर नीचे फेंकने लगा. पेड़ के नीचे एक शिवलिंग था. जो पत्ते वह तोडकर फेंख रहा था वह अनजाने में शिवलिंग पर गिर रहे थे. लगातार बेल के पत्ते शिवलिंग पर गिरने से भगवान शिव प्रसन्न हुए और अचानक डाकू के सामने प्रकट हो गए और डाकू को वरदान माँगने को कहा. ैस दिन के बाद से बेलपत्र का महत्व और अधिक बढ़ गया.

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कैल्साइट उपरत्न । Calcite Gemstone Meaning, Calcite – Metaphysical And Healing Properties, Blue Calcite, Colorless Calcite

“कैल्साइट” शब्द की उत्पत्ति लैटिन तथा ग्रीक शब्दों से मिलकर हुई है. यह चूना पत्थर तथा संगमरमर में आमतौर से पाया जाता है. रंगहीन कैल्साईट अथवा प्रकाशीय कैल्साईट में दोहरा अपवर्तन पाया जाता है. जब किसी लिखे हुए शब्द पर कैल्साईट को रखा जाए और उसमें से शब्दों को देखा जाए तो लिखे हुए शब्द दोहरे दिखाई देते हैं. इस प्रकार कहा जा सकता है कि कैल्साईट में दोहरा अपवर्तन होता है. यह दो प्रकाश किरणों को छोड़ता है. दोहरी छवि का निर्माण करता है. इस कारण कई व्यक्ति इसका इस्तेमाल जादू दिखाने के लिए भी करते हैं.

प्राचीन समय से इस उपरत्न का उपयोग चिकित्सा पद्धति में किया जा रहा है. इस उपरत्न का उपयोग कई रुपों में किया जाता है. यह उपरत्न कई रंगों में प्राकृतिक रुप में पाया जाता है.

आध्यात्मिक तथा चिकित्सीय गुण | Metaphysical And Healing Properties Of Calcite

सामान्य रुप से कैल्साईट ऊर्जा में वृद्धि करता है. जातक की सुरक्षा करता है. मानव मन का शुद्धिकरण करता है. व्यक्ति को आंतरिक शांति प्रदान करता है. विभिन्न रंगों में पाए जाने वाले कैल्साईट के गुण भी विभिन्न हैं.

नीला कैल्साईट | Blue Calcite

नीले रंग में उपलब्ध कैल्साईट व्यक्ति में स्थिरता लाता है. यह व्यवहार में नम्रता प्रदान करता है. व्यक्ति को शांत रखता है. यह जातक को स्वयं पर विश्वास करना सिखाता है. दिमाग की वृद्धि करता है. अस्त-व्यस्त नसों को शांत रखता है. यह जातक के भीतर से आलस्य को समाप्त करता है और उसे चुस्त-दुरुस्त बनाता है. यह विद्यार्थियों के लिए अच्छा उपरत्न है. यह उन्हें विद्याध्ययन में रुचि बनाए रखने में मददगार होता है. सीखे हुए पाठों को बनाए रखता है उन्हें भूलने नहीं देता है.

यह जातक तथा विरोधी विचारों वाले व्यक्तियों के मध्य संचार करने में मदद करता है. यह बातचीत को आसान बनाता है. धारणकर्त्ता की मानसिक क्षमता का विकास होता है. जातको सूक्ष्म संसार के ज्ञान से अवगत कराता है. इस उपरत्न की ऊर्जा ग्रहणशील है. इसका तत्व, जलतत्व है. यह भावनात्मक स्थिति में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है. यह रुकावटों को हटाने में सहायक होता है.

नीले रंग में उपलब्ध यह उपरत्न चयापचय को नियंत्रित रखता है. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है. दिल से संबंधित परेशानियों को दूर रखता है. रक्तचाप को कम करता है. सुचारु रुप से रक्तचाप को बनाए रखता है. शरीर में होने वाले दर्द को कम करता है.

रंगहीन कैल्साइट | Colorless Calcite

यह छवियों को बढा़कर उसे स्पष्ट रुप से देखने में मदद करता है जब सामान्य संचार के पीछे कोई बात छिपाई जा रही हो. यह शरीर में कैल्शियम को आत्मसात करने में मदद करता है. यह जातक के भीतर गहन ऊर्जा को बढा़ने का काम करता है. ऎसा विश्वास किया जाता है कि यह व्यक्ति को आशावादी बनाता है और आध्यात्मिक विकास में वृद्धि करता है. यह हमारे वातावरण को शुद्ध तथा साफ रखता है. ग्लोबल ग्रीन प्रभाव को बनाए रखने में सहायक होता है.

रंगहीन कैल्साईट शारीरिक तनाव को दूर करता है. आँखों की सुरक्षा के लिए अच्छा है. आँखों से जुडी़ परेशानियों से राहत दिलाता है. माईग्रेन जैसी बीमारियों को होने से रोकता है.

सफेद कैल्साईट | White Calcite 

सफेद रंग में उपलब्ध कैल्साईट व्यक्ति की याद्दाश्त को बढा़ता है. चिकित्सा पद्धति में सहायक होता है और सूक्ष्म यात्रा करने की क्षमता में वृद्धि करता है. विचार शक्ति में वृद्धि करता है. यह चिकित्सा पद्धति के लिए अदभुत खनिज है. यह शरीर तथा मस्तिष्क को आपस में जोड़कर रखता है. यह ध्यान लगाने में सहायक होता है.

सफेद कैल्साइट समस्त शरीर के तरल पदार्थ को नियंत्रित रखता है.

हरा कैल्साईट | Green Calcite 

धारणकर्त्ता के पास धन की कमी नहीं होने देता. यह सफलता, समृद्धि, व्यापार तथा सभी प्रकार की भौतिक वस्तुओं को उपलब्ध कराता है. यह धारक को व्यवहारिक बनाता है. उसे अपने भावों को अभिव्यक्त करने के लिए प्रेरित करता है. जीवन के सभी क्षेत्रों में वृद्धि करने की क्षमता रखता है. यह अन्तर्ज्ञान तथा मानसिक क्षमताओं को बढा़ता है.

हरे रंग के कैल्साईट को चिकित्सा पद्धति में भी उचित स्थान मिला है. यह उपरत्न प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रेरित करने में सहायता करता है. शरीर से नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करता है, जैसे गठिया या अन्य कोई बीमारी जो जीवाणुओं के संक्रमण से होती है. यह उपरत्न हड्डियों को उचित रुप से समायोजित करता है. माँस – पेशियों तथा दिल सहित शरीर के सभी स्नायुबंधनों को सुचारु रुप से काम के लिए प्रेरित करता है.       

पीला अथवा हनी कैल्साईट । Yellow Or Honey Calcite

पीले रंग में उपलब्ध यह उपरत्न जातक के लिए बहुत उपयोगी है. यह जीवन और उससे जुडी़ घटनाओं को स्पष्ट करता है. यह बुद्धि को उत्तेजित रखता है. धारक के बौद्धिक विचारों को व्यवस्थित रखता है और धारक की सामान्य ऊर्जा को बनाए रखता है. यह व्यक्ति की निजी शक्ति में वृद्धि करता है और आत्म मूल्य की भावना में वृद्धि करता है. हनी कैल्साईट धारक में बडे़ ही आराम से ऊर्जा को बढा़ता है. सामान्य जीवन में प्रतिदिन आने वाली चुनौतियों से लड़ने में सहायता करता है. यह मानसिक क्षमताओं में वृद्धि करता है. सूक्ष्म प्रक्षेपण और उच्च चेतना में वृद्धि करता है.

नारंगी कैल्साईट | Orange Calcite

यह भावनाओं को नियंत्रित करता है. डर को भगाता है. तनाव से मुक्ति दिलाता है. धारक की समस्याओं को कम करता है ताकि वह अपनी उच्चतम क्षमताओं को पाने में सफल हो सकें. यह हर प्रकार के अकारण डर से मुक्ति दिलाता है और यह मानसिक तथा भावनात्मक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है. जातक के भीतर से संदेह की भावना को दूर करने में सहायक होता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है. 
   
यह उपरत्न धारक के प्रजनन अंगों को नियंत्रित करता है. उनसे जुडी़ समस्याओं को धारक के पास आने से रोकता है. यह बलगम को बढ़ने से रोकता है. आँतों से जुडी़ समस्याओं को दूर करने में सहायता करता है. यह पित्त की थैली से संबंधित विकारों को होने से रोकता है.   

लाल कैल्साईट | Red Calcite 

यह ऊर्जावान उपरत्न है. यह विषाक्त चीजों को शरीर में आने से रोकता है. नकारात्मक भावों को शरीर तथा मन में आने से रोकता है. यह धारक की इच्छाशक्ति में स्थिरता लाने में सहायता करता है और आंतरिक ऊर्जा का विकास करता है. यह समस्याओं को सुलझाने में में मदद करता है. यह प्यार को आकर्षित करने में भी मदद करता है. यह डर को दूर करने में सहायक होता है. यह विशेषतौर पर उन व्यक्तियों की सहायता करता है जो अपनी रोज की दिनचर्या में कई बार हालात से लड़ते हैं.

लाल तथा भूरे रंग में उपलब्ध यह उपरत्न व्यक्ति की चयापचय प्रणाली को सुचारु रुप से चलाने के लिए नियंत्रित करता है.

गुलाबी मैग्नोकैल्साईट | Pink Manganocalcite(Magnesium Calcite)

इस उपरत्न की ऊर्जा ग्रहणशील है और यह जलतत्व है. इस उपरत्न का उपयोग कई व्यक्ति रेकी में करते हैं. इस उपरत्न में कोमल लेकिन शक्तिशाली ऊर्जा विद्यमान है. इस उपरत्न में अदभुत चिकित्सीय तथा आध्यात्मिक गुण विद्यमान है तभी इसे रेकी जैसी चिकित्सा पद्धति में उपयोग में लाया जाता है. अपने उत्कृष्ट गुणों के कारण यह उपरत्न पहचाना जाता है. इस उपरत्न को हाथ में रखने भर से जातक को शांति मिलती है. यह धारक के विचारों को केन्द्रित रखता है और उसे जमीन से जोड़कर भी रखता है. इस उपरत्न को खोये प्रेम को पुन: स्थापित करने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है.

बैंगनी कैल्साईट | Violet Calcite

यह उपरत्न धारक को बहुत ही शांत तथा सुखद अनुभूति कराने वाला उपरत्न है. यह अति सक्रिय भावनाओं को नियंत्रित करता है. यह दुखी भावनाओं को भी नियंत्रित रखने में मदद करता है. मन में शांति तथा सदभावना बनाए रखने में मदद करता है.

मैग्नोकैल्साईट | Manganocalcite 

यह एक लाभदायक उपरत्न है. यह अनाहत चक्र को नियंत्रित करता है. यह दिल में सभी के लिए और स्वयं के लिए प्रेम भावना जागृत करता है. यह धारक में अच्छे के लिए आशा पैदा करता है. यह धारक का शोषण होने से बचाव करता है. धारणकर्त्ता को उचित सम्मान तथा प्यार प्रदान कराने में मदद करता है. यह उपरत्न एक प्रकार से धारक को पोषण प्रदान करता है और जातक को स्वयं की देखभाल के लिए प्रेरित करता है. इसमें तनाव दूर करने की उच्च शक्ति मौजूद है. यह सभी प्रकार के डर को दूर करता है. जिन व्यक्तियों को बुरे स्वप्न आते हैं, उनके लिए यह उपरत्न लाभदायक है.

काला कैल्साईट | Black Calcite

यह उपरत्न मानसिक तनाव को दूर करने में अति लाभदायक है. टूटे दिलों को जोड़ने में यह उपरत्न अहम भूमिका निभाता है. जिन व्यक्तियों के पास कोई नौकरी नहीं है अथवा जो अपने व्यापार को लेकर चिन्ता में रहते हैं और जिन्हें जीवन में किन्हीं कारणों से अकस्मात परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है, उन व्यक्तियों के लिए यह उपरत्न लाभदायक है. यह उन लोगों की सहायता करता है जिन्हें अपने सामने अंधेरे के अतिरिक्त कुछ दिखाई नहीं देता. उनके लिए यह उपरत्न आशा की किरण लेकर आता है. उनके जीवन में नवीकरण लाता है तथा जीवन में कायाकल्प करने में सहायता करता है.

यह उपरत्न धारक को सच्चाई से अवगत कराता है. यह सच्चाई चाहे कैसी भी हो. जीवन में सच का साथ देने के लिए सहायता करता है. यह उपरत्न धारक के समक्ष आई स्थिति के सभी पहलुओं को ढाँपने में मदद करता है. 

धूसर कैल्साईट | Gray Calcite

यह उपरत्न माहौल को खुशनुमा तथा शांतिदायक बनाने में सहायक होता है. यह अराजकता तथा अव्यवस्था से पृथक रहने में मदद करता है और दिन-प्रतिदिन की दिनचर्या में जातक को भावनात्मक रुप से मजबूत बनाता है. यह उपरत्न कार्मिक मुद्दों के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है. यह उपरत्न अस्थाई तौर पर कार्मिक प्रभावों को तटस्थ रखता है.  

चक्रों का वर्गीकरण | Classifications Of Chakras

मानव शरीर के विभिन्न चक्रों को कैल्साईट द्वारा संचालित किया जाता है. हर रंग के कैल्साईट का संबंध शरीर के एक विशिष्ट चक्र से होता है.

(1) नीले रंग के कैल्साईट का संबंध शरीर के पाँचवें चक्र से है, जिसे विशुद्ध चक्र के नाम से जाना जाता है. यह चक्र गले से संबंध रखता है. लेकिन कुछ विद्वानों का मानना है कि यह शरीर के समस्त चक्रों को नियंत्रित करता है.

(2) गुलाबी और हरे रंग में उपलब्ध कैल्साईट का संबंध तथा प्रभाव शरीर के चतुर्थ चक्र अर्थात अनाहत चक्र से है. यह दिल की प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है.

(3) लाल तथा भूरे रंग के कैल्साईट का संबंध तीसरे, मनीपूरक चक्र से है. इन उपरत्नों का उपयोग मनीपूरक चक्र से संबंधित समस्याओं को हल करने में किया जाता है.

(4) पूरे लाल रंग में उपलब्ध कैल्साईट उपरत्न का उपयोग चौथे चक्र को नियंत्रित करने में होता है. चतुर्थ, अनाहत चक्र दिल की गतिविधियों को नियंत्रित रखता है. 

(5) सफेद कैल्साईट मानव शरीर के सातवें, सहस्रार चक्र को नियंत्रित रखने में सहायक होता है.

(6) साफ तथा स्पष्ट रुप से मिलने वाला कैल्साईट सभी चक्रों को संतुलित रखता है. यह सभी बन्द चक्रों को खोलने में मदद करता है. 

कौन धारण करे | Who Should Wear Calcite 

कैल्साईट उपरत्न को सभी व्यक्ति अपनी आवश्यकतानुसार धारण कर सकते हैं. जब इस उपरत्न का उपयोग चिकित्सा के रुप में किया जाना हो तब इसे एक महीने तक गर्म बहते पानी में रखना चाहिए और रात भर रॉक क्रिस्टल के मध्य रखकर इसकी ऊर्जा को चार्ज करना चाहिए.

कहाँ पाया जाता है | Where Is Calcite Found 

आमतौर पर यह उपरत्न संसार में सभी स्थानों पर पाया जाता है. 

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हंस योग से होता है भाग्योदय

अपने नाम के अनुरुप ही यह योग बहुत ही सुंदर और शुभ योग होता है. हंस योग से युक्त व्यक्ति विद्वान और ज्ञानी होता है. उसमें न्याय करने का विशेष गुण होता है. तथा हंस के समान वह सदैव शुभ आचरण करता है. उसमें सात्विक गुण पाये जाते है. इस योग के द्वारा जातक के भीतर शुभ गुण भी आते हैं.

हंस योग कैसे बनता है

हंस योग बृहस्पति से बनने वाला पंच महापुरुष योग भी है. बृहस्पति को ज्योतिष में सबसे अधिक शुभ ग्रह कहा गया है, इस कारण इस इससे बनने वाले योग की शुभता को समझने में अधिक देर नहीं लगती है. जन्म कुण्डली में गुरु जिसे बृहस्पति भी कहा जाता है अगर केन्द्र भाव में, चतुर्थ भाव में, सातवें भाव में या फिर दसवें भाव में अपनी राशि में स्थित हो या फिर उच्च राशि का बैठा हुआ हो तो कुण्डली में हंस योग का निर्माण होता है.

इस योग को चंद्र कुण्डली से देखें तो चंद्र से अगर केन्द्र, चतुर्थ, सप्तम अथवा दशम भाव में गुरु इसी स्थिति में अपनी राशि या उच्च राशि का हो तो हंस योग बनता है. हंस योग के कारण जन्म कुण्डली में मौजुद कई खराब योग समाप्त हो जाते हैं.

हंस योग में जन्मा जातक

हंस योग में जन्मा जातक अपने बड़े बुजुर्गों का आदर सम्मान करने वाला होता है. इस योग के प्रभाव के कारण जातक अपनी शिक्षा के प्रति भी गंभीर होता है, और प्रयास करता है की किसी न किसी प्रकार से अपने ज्ञान को बढ़ा सके. जातक सुन्दर, आकर्षक व्यक्तित्व का, चेहरे पर लालिमा और कांति लिए होता है. सुंदर नेत्रों वाला और बेहतर वाक चातुर्य से युक्त होता है. जातक को अपने लोगों का स्नेह भी प्राप्त होता है.

अपने पिता के मान को बढ़ाने वाला होता है. परिवार में अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठावान और जागरुक भी होता है. कुछ मामलों में जातक किसी संस्था अथवा लोगों के पथ प्रदर्शक के रुप में भी काम कर सकता है. इस योग के प्रभाव से जातक हंसमुख होता है और मिलनसार भी होता है. अपने प्रभाव के कारण वह लोगों के मध्य उत्तम स्थान भी पाता है. जातक विनम्र होता है और कोशिश करता है की दूसरों के लिए किसी न किसी प्रकार से मददगार भी हो सके.

हंस योग की शुभता व्यक्ति को धनवान बनाने में भी सहायक बनती है. कुण्डली में बना कोई बहुत ही शुभ योग जातक को आर्थिक रुप से किसी न किसी तरह की मजबूती देने में भी सहायक बनता है. जातक में धर्म-कर्म के कामों को करने के प्रति जागरुकता भी होती है.

जातक का स्वादिष्ट भोजन के प्रति रुझान होता है. अपने मन मर्जी का काम करने की इच्छा अधिक रहती है. जातक में अहम भी होता है वह स्वयं की बातों को लेकर ज्यादा गंभीर रहता है. उसकी कोशिश भी रहती है की वह जीवन में सफलता को पा सके. महत्वकांक्षाएं भी अधिक होती हैं.

हंस योग के प्रभाव

हंस योग जातक को समाज में एक अच्छे पद को देने में सहायक बनता है. व्यक्ति लोगों के मध्य लोक प्रिय बनता है. व्यक्ति में सही – गलत का निर्णय करने की योग्यता होती है. वह व्यक्ति उत्तम कार्य करने वाला व उच्च कुल में जन्म लेने वाला होता है.

यह योग व्यक्ति में निर्णय योग्यता में बढोतरी करता है. बृहस्पति की स्वराशि धनु और मीन राशि हैं और कर्क राशि में बृहस्पति उच्च का होता है. अपनी राशि में होने के कारण बृहस्पति का प्रभाव अधिक हो जाता है. इसका शुभ प्रभाव जातक को ज्ञान की प्राप्ति होती है. आध्यात्मिक विकास भी होता है.

गुरु ग्रह संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थान, धन, दान, पुण्य का कारक होता है. दांपत्य जीवन में सुख का कारक भी यही बनता है. परिवार में भाई बंधुओं और संतान की वृद्धि आदि का कारक होता है. ज्योतिष के अनुसार, बृहस्पति अगर जन्म कुण्डली में अच्छी शुभ अवस्था में बैठा हुआ है तो इसके प्रभाव से जातक के मुश्किल रास्ते भी खुल जाते हैं और बिना रुकावटों के काम बनते जाते हैं. जातक के अंदर सात्विक गुणों का संचार होता है और वह गलत मार्ग से दूर रहता है.

हंस योग कब देता है शुभ फल

जन्म कुण्डली में कोई योग कितना शुभ होगा और किस तरह से फल देने में सक्षम होगा, ये जन्म कुण्डली की मजबूती पर भी निर्भर करता है. जन्म कुण्डली में अगर योग शुभता से युक्त हो और ग्रह भी मजबूत हो और किसी भी प्रकार के पाप अथवा खराब प्रभाव से मुक्त हो तो योग जातक को अपना शुभ फल प्रभावशाली रुप से देने वाला होता है.

दूसरी ओर अगर ग्रह किसी पाप प्रभाव में हो कमजोर हो तो ऎसी स्थिति में योग अपना शुभ फल देने में सक्षम होता है. इसलिए हंस योग में जातक को इसी प्रभाव के कारण अच्छे फल मिलते हैं. बृहस्पति की कमजोर स्थिति के कारण हंस योग अपने शुभ प्रभाव देने में कमी कर देता है.

अगर जातक की कुण्डली में हंस योग बना हुआ है. अगर कुण्डली में बृहस्पति की दशा व्यक्ति को मिल रही है तो उस दशा समय पर जातक को अपने जीवन में बहुत से अच्छे मौके मिल सकते हैं. अगर जातक को ये दशा अपने युवा समय में मिले तो वह उसके कैरियर के लिए बहुत अच्छी होती है. इसी तरह अगर बचपन के समय मिले तो जातक अपनी शिक्षा में बेतर प्रदर्शन कर सकने में कामयाब हो सकता है.

कुण्डली में बनने वाला कोई भी योग अपनी शुभता को तब बेहतर रुप से पा सकता है, जब कुण्डली में कुछ अन्य शुभ योग भी बन रहे हों तो ऎसे में कुण्डली मजबूत बन जाती है और व्यक्ति को सकारात्मक फल भी मिलते हैं. इसी के साथ अगर जो योग कुण्डली में बन रहा हो उस योग के ग्रह की दशा मिल रही हो तो उस योग का फल भी जातक को अवश्य मिलता है.

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जानिए भरणी नक्षत्र की विशेषताएं और इस नक्षत्र में जन्में जातक का भाग्य

भरणी नक्षत्र तीन तारों के समूह से मिलकर बना है. यह तीन तारे स्त्री की योनि के आकार की तरह दिखाई देते हैं. सभी नक्षत्रों की आकृति और आकारों की तुलना पृथ्वी पर पाए जाने वाले पदार्थों से की गई है. भरणी नक्षत्र मेष राशि में आता है. मेष राशि में यह नक्षत्र 13 अंश 20 मिनट से आरम्भ होता है और 26 अंश 40 मिनट तक रहता है. इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह शुक्र है.

भरणी नक्षत्र के व्यक्ति की विशेषताएँ

इस नक्षत्र के जातकों पर मंगल तथा शुक्र दोनों ही ग्रहों का प्रभाव देखने को मिलता है. इस नक्षत्र के व्यक्ति अपनी धुन के पक्के होते हैं. दृढ़ निश्चयी होते हैं. अपनी बात तथा वचन के पक्के होते हैं. अपने सभी कार्यों को पूरी लगन तथा धुन से पूरा करने वाले होते हैं. इन जातकों का स्वास्थ्य सामान्यत: अच्छा ही रहता है. यह जातक सदा सच बोलने वाले होते हैं. यह जीवन में सुखी ही रहते हैं.

भरणी नक्षत्र में जन्मे जातकों की एक विशेषता यह भी है कि यह जिस काम को करने का बीडा़ उठा लेते हैं उस काम को पूरा करके ही दम लेते हैं. यह सभी कार्यों को बडी़ ही कुशलता से सम्पन्न करते हैं. काम को शीघ्र तथा समय पर पूरा करना ही इनक मुख्य गुण है. कई विद्वानों का मत है कि भरणी नक्षत्र के जातक कम खाना खाने वाले होते हैं. यह जातक प्रेम करने में बडे़ ही प्रबल होते हैं. यह आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं. इस नक्षत्र के जातकों का मन मनोविनोद के कार्यों में अधिक लगता है. यह अपने स्वभाव से कुछ बदनाम से होते हैं. इनकी प्रवृति में सफलता पाने की तीव्र इच्छा होती है. यह अधिकाँशत पानी डरते हैं. यह शराब आदि नशीली वस्तुओं के प्रयोग में परहेज नहीं करते हैं.

कई विद्वानों का मत है कि भरणी नक्षत्र पर अशुभ प्रभाव पड़ रहा हो तब जातक झूठ बोलने वाला होता है. भरणी नक्षत्र के जातक साधनों की पवित्रता पर कम ध्यान देने वाले होते हैं. यह दूसरों से धन निकलवाने में माहिर होते हैं. अपने व्यवहार से यह शत्रुओं को भी अपना बना लेते हैं.

भरणी नक्षत्र वृक्ष

भरणी नक्षत्र के लिए आंवले के वृक्ष को आधार बनाया गया है. इस नक्षत्र में जन्मे जातक के लिए आंवले के वृक्ष की पूजा एवं उसका उपयोग व दान इत्यादि बहुत उपयोगी माना गया है. इस वृक्ष की लकड़ी एवं वृक्ष के फल का उपयोग किसी भी रुप में शुभ फलदायक बनता है. आंवल से बनी औषधी इत्यादि भी भरणी नक्षत्र के जातक लेकिन बहुत फायदेमंद होती है.

मध्याक्ष(मध्य)लोचन नक्षत्र

भरणी नक्षत्र को मध्याक्ष लोचन नक्षत्र की श्रेणी में रखा जाता है. इनमें खोयी हुई वस्तु की जानकारी तो मिल जाती है पर वस्तु नहीं मिलती. व्यक्ति को वस्तु का साथ मिल नहीं पाता है, वस्तु उसकी पहुंच से दूर हो जाती है.

भरणी नक्षत्र में किए जाने वाले कार्य

भरणी नक्षत्र एक उग्र (क्रूर) नक्षत्र होता है. ऎसे में इस नक्षत्र में क्रूर कर्म करना सफल होता है. इस नक्षत्र में किसी को मारना, जहर इत्यादि देना, परेशान करना, तंत्र से जुड़े कर्म, तांत्रिक कार्यों में सफलता के लिए भरणी नक्षत्र का चयन बहुत ही उपयोगी होता है. किसी स्थान पर आग लगाना, किसी पर कोर्ट केस करना, कोई कठिन काम करना, अपने विरोधियों को नीचा दिखाने की कोशिश करना उन पर हमला करना, कोई ऎसे काम जिनमें चतुराई से पूर्ण योजनाओं को अमल में लाने की जरूरत हो उस काम के लिए भरणी नक्षत्र का समय अनुकूल माना गया है. भरणी नक्षत्र के देवता यम है ऎसे में यम से संबंधित काम कठोर कर्म में आते हैं. कसाई कर्म के काम भी भरणी नक्षत्र में किए जाना बेहतर होता है.

भरणी नक्षत्र – व्यवसाय

इस नक्षत्र के अन्तर्गत रक्त बैंक आते हैं. रक्त का परीक्षण करने वाले व्यक्तियों का व्यवसाय इस नक्षत्र के अन्तर्गत आता है. जल्लाद, कसाई, मारपीट करने वाले बदमाश, पुलिस, कस्टम अधिकारी, भूसे वाले अनाज का व्यापार आदि इस नक्षत्र के अन्तर्गत आता है. इस नक्षत्र के जातक जादू के व्यवसाय, मनोरंजन के व्यवसाय, विज्ञान के प्रदर्शनी स्थल, खिलौने बनाने का व्यवसाय, खेल-कूद के सामान से जुडे़ व्यवसाय, बच्चों से संबंधित पुस्तकें तथा शिक्षा संबंधी सामान आदि भरणी नक्षत्र के व्यवसाय माने जाते हैं.

भरणी नक्षत्र शांति उपाय

भरणी नक्षत्र के बुरे प्रभाव से बचने के लिए जातक अगर इस नक्षत्रे से जुड़े मंत्र, पूजा-पाठ, दान इत्यादि करें तो यह नक्षत्र से जुड़े खराब फलों को रोकने में बहुत प्रभावकारी बनता है. भरणी नक्षत्र के लिए शुक्र ग्रह की शुभ स्थिति प्रभावशाली बनती है.

शुक्रवार के दिन इस नक्षत्र के मंत्र जाप करने चाहिए.

  • भरणी नक्षत्र के जातक को भगवान शिव, मां पार्वती, भगवान गणेश का पूजन करना चाहिए.
  • भरणी नक्षत्र के देवता यम देव का पूजन करना चाहिए.
  • दक्षिण दिशा में यम देव के निमित दीपदान करें.
  • भरणी नक्षत्र के नामाक्षर

    भरणी नक्षत्र मेष राशि के अन्तर्गत आता है. इस नक्षत्र में ली, लू, ले, लो नामाक्षर आते हैं.

    अगर अपना जन्म नक्षत्र और अपनी जन्म कुण्डली जानना चाहते हैं, तो आप astrobix.com की कुण्डली वैदिक रिपोर्ट प्राप्त कर सकते है. इसमें जन्म लग्न, जन्म नक्षत्र, जन्म कुण्डली और ग्रह अंशो सहित है : आपकी कुण्डली: वैदिक रिपोर्ट

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    शनि से बनने वाला शश योग- पंचमहापुरुष योग

    जन्म कुण्डली में शुभाशुभ योगों के प्रभव से जातक का जीवन बहुत प्रभावित होता है. जातक को मिलने वाली दशाएं और योगों का शुभ और अशुभ प्रभाव उसके जीवन में निर्णायक भूमिका दिखाता है. कुछ व्यक्ति को जीवन में अपार सफलता प्राप्त होती है तो हम सभी के मन में एक ही प्रश्न आता है की ऎसा कैसे हुआ है आखिर वो इतना सफल कैसे हुआ, कई बार एक जैसी मेहनत करने के बावजूद कोई सफल होता है तो कोई असफल, तो इसका एक बहुत ही प्रभावशाली उत्तर यह है की उस जातक की जन्म कुण्डली में कुछ ऎसे योग बने हुए होंगे जिन्होंने उसे वह सफलता पाने में सहायता की. इसके साथ ही उस जातक के भाग्य और कर्म के आधार पर भी व्यक्ति का सुख निर्धारित हो पाता है.

    इन शुभ योगों में एक योग शश योग है जिसे पंचमहापुरुषयोग में रखा जाता है. यह एक बहुत ही शुभ एवं प्रभावशाली योग होता है. इस योग में जातक को शनि की शुभता भी प्राप्त होती है और जीवन में शनि से संबंधित कार्यों में सफलता भी मिलती है. शश योग शनि से बनने वाला योग, जिस व्यक्ति की कुण्डली में यह योग हो, उस व्यक्ति के जीवन की मुख्य घटनाएं शनि देव से प्रभावित रहती है. शश योग विशेष योगों की श्रेणी में आता है. साथ ही यह योग पांच महापुरुष योग भी है.

    शश योग कैसे बनता है

    कुण्डली में जब शनि स्वराशि (मकर,कुम्भ) में हो, अथवा शनि अपनी उच्च राशि तुला में होकर, कुण्डली के केन्द्र भावों में स्थित हो, उस समय यह योग बनता है. एक अन्य मत के अनुसार इस योग को चन्द्र से केन्द्र में भी देखा जाता है. चंद्र कुण्डली बनाने पर अगर शनि केन्द्र स्थानों पर स्थित हो तो इस योग का निर्माण होगा.

    शश योग में जन्मा जातक

    शश योग को शश योग के नाम से भी जाना जाता है. इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति छोटे मुंह वाला, जिसके छोटे-छोटे दांत होते हैं. उसे घूमने-फिरने के शौक होता है. वह भ्रमण उद्देश्य से अनेक यात्राएं करता है. शश योग वाला व्यक्ति क्रोधी, हठी, बडा वीर, वन-पर्वत,किलों में घूमने वाला होता है. उसे नदियों के निकट रहना रुचिकर लगता है. इसके अतिरिक्त उसे घर में मेहमान आने प्रिय लगते है. कद से मध्यम होता है. व उसे अपनी मेहनत के कार्यो से प्रसिद्धि प्राप्त होती है.

    ऎसा व्यक्ति दूसरों के सेवा करने में परम सुख का अनुभव करता है. धातु वस्तु निर्माण में कुशल होता है. चंचल नेत्र होते है. विपरीत लिंग का भक्त होता है. दूसरे का धन का अपव्यय करता है. माता का भक्त होता है. सुन्दर पतली कमर वाला होता है. सुबुद्धिमान और दूसरों के दोष ढूंढने वाला होता है.

    शश योग फल

    शश योग जन्म कुण्डली में शनि ग्रह की स्थिति को बेहतर और शुभफल देने में सहायक बनाने वाला होता है. शनि से मिलने वाले बुरे प्रभावों को कम करने में यह योग बहुत अधिक सहायक बनता है.

  • शनि की साढे़साती और शनि ढैय्या के दुष्प्रभाव कम होते हैं.
  • शनि के प्रभाव से जातक अपने कार्य क्षेत्र में मेहनती बनता है.
  • थोड़े से परिश्रम द्वारा वह भरपूर सफलता पाता है.
  • शश योग के लाभ

  • शश योग के प्रभाव से जातक को रोग इत्यादि में स्वास्थ्य लाभ जल्दी मिलता है.
  • जातक की आयु लंबी होती है.
  • जातक के स्वभाव में व्यवहारिकता दिखाई देती है.
  • खामोश और गंभीर रह कर काम करने वाला होता है.
  • चीजों को लेकर गंभीरता से उन पर अध्य्यन करके उनके रहस्यों को जानने में सफल होता है.
  • राजनीति के क्षेत्र में फलता और ऊंचाइयां पाता है.
  • शश योग में जन्मे जातक का कैरियर

  • शश योग में जन्मा जातक कानूनी दावपेचों का जानकार होने के कारण एक अच्छा वकील बन सकता है.
  • सरकारी क्षेत्र में कमाई और लाभ मिलता है.
  • शश योग वाले जातक के लिए जमीन से जुड़े कामों में भी सफलता मिल सकती है.
  • शश योग वाले जातक बड़े सरकारी अफसर, वकील इत्यादि बन सकते हैं.
  • शश योग में जन्मा जातक आध्यात्मिक क्षेत्र से जुड़े कामों में भी प्रयासशील रह सकता है.
  • किसी गुरु की भूमिका में या फिर सलाहकार एवं कथाकार भी बन सकता है.
  • व्यक्ति आर्थिक क्षेत्र में बेहतर धन संपदा भी पाता है.
  • शश योग जातक को कब और कैसे देता है फल

    किसी भी योग की शुभता इस बात पर निर्भर करती है की उस योग में कोई कमी हो जैसे की उस योग का प्रभाव कुण्डली में उसके साथ बैठे की पाप ग्रह के कारण खराब हो रहा है. पाप ग्रह के साथ दृष्टि में युति में होने पर अपने फल को नहीं दे पाता है. इस योग की शुभता कुण्डली में शनि ग्रह के शुभ होने पर ही आवश्यक होती है.

    शनि पर किसी नीच ग्रह की दृष्टि होने पर इस योग का शुभ फल नहीं मिलता है. है तो इस योग का शुभ फल मिलने की बजाय अशुभ फल मिलने लगता है. अगर शनि की स्थिति लग्न में अशुभ हो तो जातक मानसिक और शारीरिक रुप से रोगी हो सकता है. चतुर्थ स्थान पर अगर शनि अशुभ प्रभाव में हो तो घरेलू और जीवन का आत्मिक सुख मिलने में कमी बनी रहती है. अगर सातवें भाव में शनि अशुभ प्रभाव में होगा तो विवाह सुख को खराब करेगा. व्यक्ति किसी के साथ साझेदारी सही तरीके से नही कर पाएगा. दशम स्थान में खराब प्रभाव हो तो काम काज में सफल होने के लिए संघर्ष अधिक होता है और गलत चीजों में कैरियर बना सकता है.

    अगर कुण्डली में शनि शुभ अवस्था में है और उसके साथ शुभ ग्रहों की युति व दृष्टि है, तो ऎसी स्थिति में जब शनि की दशा मिले तो यह योग बहुत अधिक शुभफल देने में सहायक बनता है.

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    विवाह तथा संतान संबंधी प्रश्न | Marriage and Child Related Prashna

    विवाह संबंधी प्रश्न | Marriage Related Prashna

    वर्तमान समय में ज्योतिषी के पास विवाह से संबंधित प्रश्न बहुत आते हैं. विवाह कब होगा, किससे होगा, जीवनसाथी कैसा होगा आदि बहुत से प्रश्न है जिनको प्रश्नकर्त्ता जानना चाहता है. इन सभी प्रश्नो का उत्तर देने के लिए जन्म कुण्डली की आवश्यकता होती है. कई बार परिस्थितिवश अथवा अन्य किसी कारण से जातक के पास जन्म कुण्डली उपलब्ध नहीं होती है. ऎसी स्थिति में ज्योतिषी प्रश्न कुण्डली का उपयोग करते हैं. प्रश्न कुण्डली से विवाह संबंधित बहुत से सवालों का जवाब प्रश्नकर्त्ता को मिल जाता है. प्रश्न कुण्डली का विश्लेषण करते समय कई बातों के विषय में जानकारी होनी आवश्यक है. जो निम्नलिखित हैं :- 

    प्रश्न कुण्डली के सप्तम या उपचय स्थान(3,6,10,11) में चन्द्रमा स्थित हो और गुरु उसे देख रहा हो तो प्रश्नकर्त्ता का विवाह शीघ्र होता है. 

    प्रश्न कुण्डली के लग्न में चन्द्रमा सप्तम अथवा उपचय भावों में स्थित हों और पाप ग्रह देखते हों तो विवाह का प्रश्न होने पर विवाह नहीं होता है.

    यदि प्रश्न कुण्डली के लग्न से 3,5,6,7 या 11 वें भाव में चन्द्रमा स्थित हो और वह गुरु, सूर्य, शुक्र से दृष्ट हो तो विवाह हो जाता है. 

    प्रश्न कुण्डली के लग्न से केन्द्र(1,4,7,10) तथा त्रिकोण भावों में शुभ ग्रह स्थित हों तो विवाह शीघ्र होता है. 

    प्रश्न कुण्डली के लग्न से 2,3,6,7,10 या 11 वें भाव में स्थित चन्द्रमा को गुरु देखता हो तो जीवनसाथी की प्राप्ति होती है. विवाह शीघ्र होता है. यदि इसी योग में चन्द्रमा को पाप ग्रह देख रहें हों या चन्द्रमा पाप ग्रहों से युत हो तो प्रश्नकर्त्ता का विवाह नहीं होता है.  

    कई विद्वानों का मानना है कि यदि प्रश्न कुण्डली के सप्तम भाव में शुभ ग्रह की राशि हो तो प्रश्नकर्त्ता को अच्छे स्वभाव, चरित्रवान तथा गुणी जीवनसाथी मिलता है. 

    यदि सप्तम भाव पर पाप ग्रह की राशि हो तो प्रश्नकर्त्ता को तेज तथा कुरुपा जीवनसाथी मिलता है. 

    उपरोक्त योगों के अतिरिक्त कुछ अन्य योगों का विचार करेंगें जिनके अनुसार जातक के शीघ्र विवाह तथा विवाह ना होने के योग बनते हैं. सर्वप्रथम शीघ्र विवाह के योगों की चर्चा की जाएगी. 

    शीघ्र विवाह के योग | The Sum of Early Marriage

    (1) प्रश्न कुण्डली में लग्न से सम स्थान(2,4,6,8,10 या 12 वें भाव) में शनि हो तो लड़के का विवाह शीघ्र होगा. 

    (2) प्रश्न कुण्डली के लग्न से विषम स्थान(1,3,5,7,9 या11वें भाव) में शनि स्थित हो तो लड़की का विवाह शीघ्र होता है. 

    (3) यदि प्रश्न कुण्डली में तृतीय, छठे अथवा सप्तम भाव में चन्द्रमा स्थित हो और उस पर बुध, गुरु और सूर्य की दृष्टि हो तो प्रश्नकर्त्ता का विवाह शीघ्र होता है. 

    (4) प्रश्न कुण्डली में द्वित्तीय स्थान में स्थित चन्द्रमा पर शुक्र की दृष्टि हो. 

    (5) प्रश्न कुण्डली में लग्न अथवा सप्तम भाव में स्थित चन्द्रमा का शुक्र से इत्थशाल हो तो लड़के का विवाह शीघ्र होता है. 

    (6) प्रश्न कुण्डली में तृतीय, सप्तम, नवम अथवा दशम भाव में स्थित शुक्र, चन्द्रमा से दृष्ट हो तो लड़के का विवाह शीघ्र होता है. 

    (7) प्रश्न कुण्डली में लग्नेश, सप्तमेश और चन्द्रमा का इत्थशाल हो तो अतिशीघ्र विवाह होता है. 

    (8) प्रश्न कुण्डली में लग्नेश, सप्तमेश तथा चन्द्रमा का शुक्र के साथ कम्बूल योग बन रहा हो तब शीघ्र विवाह होता है. 

    देर से विवाह होने के योग | The Sum of Long Marriage

    (1) प्रश्न कुण्डली में लग्न से सप्तम भाव में राहु स्थित हो और उसे शुभ ग्रह देख रहें हों तो विवाह देर से होगा. 

    (2) प्रश्न कुण्डली के केन्द्र, त्रिकोण अथवा अष्टम भाव में चन्द्रमा के साथ पाप ग्रह हों. 

    (3) प्रश्न कुण्डली के लग्न तथा सप्तम दोनों भाव में पाप ग्रह हों. 

    (4) प्रश्न कुण्डली में सप्तमेश, अष्टम स्थान में पाप ग्रहों से दृष्ट हो. 

    (5) प्रश्न कुण्डली में लग्नेश, सप्तमेश अथवा चन्द्रमा का पाप या शत्रु ग्रह से इत्थशाल हो रहा हो. 

    (6) प्रश्न कुण्डली में सप्तमेश अष्टम में और अष्टमेश सप्तम भाव में स्थित हो. 

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    अष्टमी तिथि

    चन्द्र मास में सप्तमी तिथि के बाद आने वाली तिथि अष्टमी तिथि कहलाती है. चन्द्र के क्योंकि दो पक्ष होते है, इसलिए यह तिथि प्रत्येक माह में दो बार आती है. जो अष्टमी तिथि शुक्ल पक्ष में आती है, वह शुक्ल पक्ष की अष्टमी कहलाती है. पक्षों का निर्धारण पूर्णिमा व अमावस्या से होता है. पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष व अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष शुरु होता है. इस तिथि के स्वामी भगवान शिव है. इसके साथ ही यह तिथि जया तिथियों की श्रेणी में आती है.

    अष्टमी तिथि प्रभावशाली और विजय की प्राप्ति के लिए बहुत ही उपयोगी है. यह तिथि उन कार्यों में सफलता दिलाने में बहुत सहायक बनती है जिनमें व्यक्ति को साहस और शौर्य की अधिक आवश्यकता होती है. माँ दुर्गा की शक्ति के लिए भी अष्टमी तिथि का बहुत महत्व होता है. इस दिन की ऊर्जा का प्रवाह व्यक्ति को जीवन जीने की शक्ति और विपदाओं से आगे बढ़ने की क्षमता भी देता है.

    अष्टमी तिथि वार योग

    जिस पक्ष में अष्टमी तिथि मंगलवार के दिन पडती है. तो उस दिन यह सिद्धिद्दा योग बनाती है. सिद्धिदा योग शुभ योग है. इसके विपरीत बुधवार के दिन अष्टमी तिथि हो तो मृत्यु योग बनता है. इस तिथि में भगवान शिव का पूजन केवल कृष्ण पक्ष में ही किया जाता है तथा शुक्ल पक्ष में अष्टमी तिथि के दिन भगवान शिव को पूजना शुभ नहीं होता है.

    अष्टमी तिथि में किए जाने वाले काम

    अष्टमी तिथि में किसी पर विजय प्राप्ति करना उत्तम माना गया है. यह विजय दिलाने वाली तिथि है, इस कारण जिन भी चीजों में व्यक्ति को सफलता चाहिए वह सभी काम इस तिथि में करे तो उसे सकारात्मक फल मिल सकते हैं.

    इस तिथि में लेखन कार्य, घर इत्यादि वास्तु से संबंधित काम, शिल्प निर्माण से संबंधी काम, रत्नों से संबंधित कार्य, आमोद-प्रमोद से जुडे़ कार्य, अस्त्र-शस्त्र धारण करने वाले काम का आरम्भ इस तिथि में किया जा सकता है.

    अष्टमी तिथि व्यक्ति गुण

    अष्टमी तिथि में जन्म लेने वाला व्यक्ति धर्म कार्यो में निपुण होता है. वह सत्य बोलना पसन्द करता है. इसके साथ ही उसे भौतिक सुख-सुविधाओं में विशेष रुचि होती है. दया और दान जैसे गुणौं से निपुण होता है. तभा वह अनेक कार्यो में कुशलता प्राप्त करता है. अष्टमी तिथि में जन्मा जातक विद्वान और बहुत सी चीजों का जानकार होता है.

    व्यक्ति में समाज के कल्याण की इच्छा भी होती है. वह कोशिश करता है की जो काम वह कर रहा है उसके प्रयासों में कोई कमी न आने पाए. परिवार में होने वाले मेल जोल और जिम्मेदारी से थोड़ा दूर भी रह सकता है. घूमने का शौकिन होता है. दूर स्थलों की यात्रा करना पसंद आता है. व्यक्ति ऎसे कामों में भागलेने की इच्छा अधिक रखता है जिनको करने में उसे बल का उपयोग अधिक करना पड़े. अपनी मर्जी का स्वामी होता है और खुद के बनाए नियमों पर चलना उसे ज्यादा पसंद आता है.

    स्वास्थ्य की दृष्टि से सामान्य लेकिन चोट इत्यादि अधिक लग सकती है. मुख्य रुप से सिर और बाहें अधिक प्रभावित हो सकती हैं. इस तिथि में जन्मा जातक मध्यम कद का होता है, इनकी आंखें अधिक आकर्षक होती हैं. बातचीत में कुशल होता है.

    अष्टमी तिथि पर्व

    अष्टमी तिथि के दौरान भी बहुत से त्यौहार मनाए जाते हैं. ये त्यौहार दांपत्य सुख, संतान के सुख, समृद्धि और शत्रुओं पर विजय हेतु रखे जाते हैं. इस तिथि में अष्टमी के दौरान गौरी अष्टमी, राधाअष्टमी, शीतला अष्टमी जैसे त्यौहार मनाए जाते हैं.

    अहोई अष्टमी –

    यह त्यौहार माताएं अपनी संतान के सुख और उसकी लम्बी आयु की कामना हेतु रखती हैं. ये व्रत माता अहोई के निमित्त रखा जाता है. यह व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है. माताएं अहोई अष्टमी के व्रत में दिन भर उपवास रखती हैं और शाम के समय तारे देख कर अहोई पूजन होता है . यह व्रत मुख्य रुप से उत्तर भारत के विभिन्न क्षेत्र में उत्साह और श्रृद्धा के साथ मनाया जाता है.

    शीतला अष्टमी –

    शीतला अष्टमी का व्रत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. कुछ जगहों पर इस व्रत को बसौड़ा के नाम से जाना जाता है. इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है और बासी भोजन ही खाया जाता है. मान्यता है की शीतला माता का पूजन करने से चेचक, खसरा, माता जैसे रोग परेशान नहीं करते हैं. आज के दिन मुख्य रुप से माताएं अपने बच्चों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए इस दिन व्रत रखती है.

    अष्टमी पूजन –

    नवरात्रों के दिन अष्टमी तिथि में माता गौरी के पूजन का विशेष महत्व होता है. अष्टमी तिथि के दिन भी माँ दुर्गा की पूजा की जाती है. इस दिन छोटी बच्चियों का पूजन भी किया जाता है जिसे कन्या पूजन भी कहते हैं. कन्याओं को भोजन के लिए आमंत्रित करते हैं. इसमें 1 से 10 वर्ष तक की कन्याओं का पूजन होता है.

    राधाष्टमी –

    भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि श्री राधाष्टमी पर्व के रुप में मनाई जाती है. मान्यता अनुसार इस तिथि के दिन श्री राधा जी प्रकट हुई थीं. पद्मपुराण में राधाजी को राजा वृषभानु की पुत्री बताया गया है. इसमें इनकी जन्म की कथा भी बताई गई है कि किस प्रकार वृशभानु को यज्ञ भूमी से राधा जी की प्राप्ति हुई थी. वृंदावन, ब्रज और बरसाना क्षेत्र में राधाष्टमी भी एक बड़े त्यौहार के रूप में मनाई जाती है.

    सीता अष्टमी –

    फाल्गुन कृष्ण अष्टमी तिथि को सीता अष्टमी मनाई जाती है. इस पर्व को सीता या जानकी जयंती के नाम से भी जाना जाता है.

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    क्या माणिक्य रत्न मेरे लिये अनुकुल रहेगा? Is Manik Stone Good for Me (Can I wear Manik Ratna)

    माणिक्य रत्न को अनेक नामों से जाना गया है. इसे कुरविन्द, वसुरत्न, रत्ननायक और लोहितरत्न के अतिरिक्त रविरत्न और लक्ष्मी पुष्य नाम से भी सुशोभित किया गया है हिन्दी और मराठी में इसे क्रमश: माणिक्य, माणिक कहा गया है. माणिक्य रत्न के विषय में एक मान्यता है, कि इस रत्न को धारण करने वाले के घर में दरिद्रता का नाश होता है. और घर में सुख -वैभव की वृ्द्धि होती है. 

    माणिक्य रत्न कौन धारण करें? Who Should Wear Manik Ratna

    माणिक्य रत्न सूर्य रत्न है. और सूर्य को आत्मा कहा गया है. आईये माणिक्य रत्न किन व्यक्तियों को धारण करना चाहिए. और कौन से व्यक्ति इस रत्न को कदापि धारण न करें, इस विषय पर विचार करते है.  

    मेष लग्न-माणिक्य रत्न  Manik Ratna for Aries Lagna

    मेष लग्न के लिये सूर्य पंचम भाव यानि त्रिकोण भाव का स्वामी है. और साथ ही ये लग्नेश मंगल के मित्र भी होते है. अत: मेष लग्न के व्यक्तियों के लिये माणिक्य रत्न धारण करना विधा क्षेत्र की बाधाओं को दूर करने में सहयोग करेगा. इसके रत्न के प्रभाव से मेष लग्न के व्यक्ति को बुद्धि कार्यो में रुचि बढती है. यह रत्न इन्हें आत्मोन्नति के लिये, संतान प्राप्ति के लिये, प्रसिद्धि, राज्यकृ्पा प्राप्ति के लिये मेष लग्न के व्यक्तियों को सदैव धारण करना चाहिए. 

    वृषभ लग्न के लिये माणिक्य रत्न  Effect of Manikya Stone on Taurus Lagna

    वृषभ लग्न के लिये सूर्य चतुर्थ भाव के स्वामी है. परन्तु यहां सूर्य लग्नेश शुक्र के मित्र न होकर, शत्रु है. वृषभ लग्न के व्यक्ति को माणिक्य रत्न केवल सूर्य महादशा में धारण करना चाहिए. वृ्षभ लग्न के लिये सूर्य रत्न माणिक्य महादशा अवधि में सुख-शान्ति, मातृ्सुख और भूमि सुख में वृ्द्धि करता है. 

    मिथुन लग्न के लिये माणिक्य रत्न Influence of Manikya Stone on Gemini Lagna

    इस लग्न के लिये सूर्य तीसरे घर के स्वामी है. इसलिये माणिक्य रत्न धारण करना मिथुन लग्न के व्यक्तियों के लिये कभी भी लाभकारी नहीं रहेगा. 

    कर्क लग्न के लिये माणिक्य रत्न Impact of Manikya on Cancer Lagna

    इस लग्न के व्यक्तिओं के लिए सूर्य दूसरे भाव यानि धन भाव का स्वामी है. साथ ही इस लग्न के लिये यह लग्नेश चन्द्र का मित्र भी है. अत: धन संचय करने के लिये माणिक्य रत्न धारण किया जा सकता है. परन्तु दूसरा भाव मारक भाव भी है. अर्थात कुछ शारीरिक कष्ट बढ सकते है. इसलिए वृ्षभ लग्न के लिये उतम रहेगा, मोती धारण करना इसकी तुलना में अधिक शुभ रहेगा.   

    सिंह लग्न के लिये माणिक्य रत्न  Effect of Manikya Stone on Leo Lagna

    सिंह लग्न का स्वामी सूर्य स्वयं है. इस लग्न के व्यक्तियों को आजीवन रत्न धारण करना चाहिए. इससे शत्रु को परास्त करने में सफलता मिलेगी,शारीरिक व मानसिक स्वास्थय की वृ्द्धि होगी, आयु में वृ्द्धि होगी व यह रत्न मानसिक संतुलन बनाये रखने में भी सहायता करेगा.  

    कन्या लग्न के लिये माणिक्य रत्न  Impact of Manikya Stone on Virgo Lagna

    कन्या लग्न के व्यक्तियों को माणिक्य रत्न कभी भी धारण नहीं करना चाहिए.  इस लग्न के लिये सूर्य 12 वें भाव के स्वामी होते है. 

    तुला लग्न के लिये माणिक्य रत्न Effect of Manikya Ratna on Libra Lagna

    तुला लग्न के सूर्य आय भाव के स्वामी होते है. और लग्नेश शुक्र के शत्रु भी. इस कारण से इसे केवल सूर्य महादशा में धारण करना अनुकुल रहता है. अन्यथा पन्ना धारण करना तुला लग्न के इनके लिये विशेष शुभ रहता है.    

    वृश्चिक लग्न के लिये माणिक्य रत्न Influence of Manikya Stone on Scorpio Lagna

    इस लग्न के लिये सूर्य दशम भाव के स्वामी है. व लग्नेश मंगल के मित्र भी है. इसलिए इस लग्न के व्यक्तियों के लिये माणिक्य रत्न राज्यकृ्पा, मानप्रतिष्ठा तथा नौकरी, व्यवसाय में उन्नति देता है. 

    धनु लग्न के लिये माणिक्य रत्न Manikya – Effect on Sagittarius Lagna

    धनु लग्न में सूर्य नवम भाव यानि भाग्य भाव के स्वामी है. इसके अतिरिक्त ये लग्नेश गुरु के मित्र भी है. धनु लग्न के व्यक्तियों का माणिक्य रत्न धारण करना सर्वश्रेष्ठ शुभ फल देता है. इसे धारण करने से इन्हें जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति में सहायता मिलती है. भाग्य वृ्द्धि और पिता सुख में सहयोग मिलता है. 

    मकर लग्न के लिये माणिक्य रत्न Effect of Manikya Stone for Capricorn Lagna

    इस लग्न के लिये सूर्य अष्टम भाव के स्वामी है. लग्नेश शनि के शत्रु भी है. मकर लग्न के व्यक्ति माणिक्य रत्न कभी भी धारण न करें.

    कुम्भ लग्न के लिये माणिक्य रत्न  Manik Gemtstone for Aquarius Lagna

    कुम्भ लग्न के लिये सूर्य सप्तम भाव के स्वामी है. लग्नेश शनि से इनकी शत्रुता भी है. इसलिये जहां तक संभव हो इन्हें माणिक्य रत्न धारण करने से बचना चाहिए. 

    मीन लग्न के लिये माणिक्य रत्न Manikya effect on Pisces Lagna

    मीन लग्न के लिये सूर्य छठे भाव यानि रोग भाव के स्वामी है. लग्नेश गुरु के मित्र है.  विशेष परिस्थितियों में भी केवल सूर्य महादशा में ही माणिक्य रत्न धारण करें. अन्यथा इसे धारण करना शुभ नहीं है.   

    माणिक्य रत्न के साथ क्या पहने ? What Should I Wear with Manikya Ratna

    माणिक्य रत्न धारण करने वाला व्यक्ति इसके साथ में मोती, मूंगा और पुखराज या इन्हीं रत्नों के उपरत्न धारण कर सकता है.

    माणिक्य रत्न के साथ क्या न पहने? What Should I not wear with Manikya Ratna

    माणिक्य रत्न के साथ कभी भी एक ही समय में हीरा, नीलम या पन्ना धारण नहीं करना चाहिए. इसके अतिरिक्त माणिक्य रत्न के साथ इन्ही रत्नों के उपरत्न धारण करना भी शुभ फलकारी नहीं रहता है.   

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    जानिये, ओनेक्स रत्न के फायदे

    ओनेक्स उपरत्न कई रंगों में पाया जाता है. यह हरे रंग, हरे और पीले रंग के मिश्रण तथा तोतिया हरे रंग में पाया जाता है. यह ओनेक्स के मुख्य रंग हैं. इसके अतिरिक्त ओनेक्स सफेद अथवा धूम्र वर्ण में भी उपलब्ध होता है. इस उपरत्न में लाल, भूरे, काले, सफेद तथा धूम्र वर्ण की धारियाँ गहरे और हल्के वर्ण में बनी होती हैं. यह एक बहुगुणी उपरत्न है.

    ओनेक्स एक बहुत ही प्रभावशाली रत्न है. यह अपने रंग और अपनी बेहतरीन प्रभाव क्षमता के कारण ही प्रसिद्ध है. इस रत्न की ऊर्जा आपकी नकारात्मकता को कम करने वाली होती है. यह शरीर में मौजूद विषाक्त चीजों को बाहर करके भीतर से शुद्धता का संचार करता है. इस रत्न के उपयोग से व्यक्ति का प्रभा मण्डल जागृत होता है और उसकी शुभता फैलती जाती है. ओनेक्स बहुत आसानी से प्राप्त होता है और इसी कारण इसका मूल्य भी सामान्य होता है. सभी इसे आसानी से प्राप्त भी कर सकते हैं.

    ओनेक्स पहचान और उसकी गुणवत्ता

    अपनी गुणवता और चमक इत्यादि से इसे आसानी से पहचाना जा सकता है. एक अच्छा ओनेक्‍स अपनी बनावट, चमक और क्‍वालिटी से पहचाना जा सकता है. ओनेक्स अगर अच्छी चमक और चिकना, साफ, बिना किसी दरार इत्यादि के हो तो बहुत ही उत्तम श्रेणी का होता है. इसके रंग की चमक रोशनी पड़ने पर दूर तक फैलती है. उबड़खाबड़ नहीं होना चाहिए, मिले-जुले रंग का न होकर एक रंग का होना इसके क्षमता में वृद्धि करने में सहायक होता है.

    ओनेक्स रत्‍न को खरीदने से पूर्व उसकी शुद्धता की जांच करवा लेनी चाहिए. यदि रत्न अच्छा है तो वह जल्द से जल्द असर करने में सहायक होता है. जिस भी स्थान से रत्न ले रहे हों उसकी विश्वसनियता को जानने की कोशिश अवश्‍य कर लेनी चाहिए. अगर रत्न का उपयोग ज्‍योतिषीय उपाय के लिए कर रहे हों तो रत्न की शुद्धता ही उसके प्रभाव को देने में सक्षम होती है.

    ओनेक्स के गुण

    इस उपरत्न का उपयोग दिल, किडनी, तंत्रिका-तंत्र, कोशिकाओं, बालों, आँखों और नाखूनों आदि को मजबूत बनाता है. इस उपरत्न को धारण करने से बुरे स्वप्न दिखाई नहीं देते हैं. अनिद्रा की बीमारी दूर भागती है. धारणकर्त्ता को नींद अच्छी आती है. मन में बुरे विचार नहीं आते हैं. इस उपरत्न को वाकपटुता का उपरत्न माना गया है अर्थात इसे धारण करने से व्यक्ति में बोलने की क्षमता का विकास होता है. ओनेक्स का प्रभाव शरीर में मौजूद टाक्सिन को निकालने में बहुत प्रभावकारी होता है.

    ओनेक्स के अलौकिक गुण

    इस उपरत्न को धारण करने से मन में बुरे विचार नहीं आते हैं. दाम्पत्य जीवन में सामंजस्य बना रहता है. यह उपरत्न व्यक्ति विशेष की उदासीनता, तनाव, मस्तिष्क संबंधी विकारों को समाप्त करता है. मन में संतुष्टि रहती है. इसे धारण करने से व्यक्ति विशेष के भीतर नकारात्मक ऊर्जा का संचार नहीं होता. यह उसे समाप्त कर देता है. यह धारणकर्त्ता की बुद्धि को तेज बनाता है. यह उपरत्न धारणकर्त्ता को आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करता है.

    यह व्यक्ति विशेष की भावनाओं तथा किसी कार्य को लेकर उत्पन्न हुए अत्यधिक जुनून को नियंत्रित करता है. काला ओनेक्स धारण करने से व्यक्ति की बुरी आदतें बदल जाती हैं. यह व्यक्ति की आदतों को नियंत्रित करता है. आंतरिक ऊर्जा का विकास होता है. दृढ़ इच्छाशक्ति का विकास होता है. व्यक्ति में नियमबद्ध तरीके से कार्य करता है. व्यक्ति को कार्य में ध्यान केन्द्रित करने में मदद मिलती है.

    ओनेक्स कौन धारण करे

    जिन व्यक्तियों की कुण्डली में बुध या राहु शुभ भावों में स्थित है और बुध अथवा राहु की ही दशा भी चल रही है. इसके साथ हरे रंग का ओनिक्स बुध ग्रह के लिए उपयोग में लाया जाता है.

    ओनेक्स कौन धारण नहीं करे

    पुखराज, माणिक्य, मोती, मूँगा रत्न और इनके उपरत्न के साथ ओनेक्स को धारण नहीं करना चाहिए.

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    डायोप्साईड उपरत्न | Diopside Gemstone | Diopside – Metaphysical Properties | Diopside – Healing Properties

    यह उपरत्न पायरोक्सीन(pyroxene) समूह का मैग्नेशियम, सिलिकेट खनिज है. यह उपरत्न क्रोमियम युक्त विभिन्न श्रेणियों में पाया जाता है और चमकीले रंग में उपलब्ध यह उपरत्न क्रोम डायोप्साईड कहलाता है. यह उपरत्न दूसरे उपरत्नों की अपेक्षा बहुत ही नरम पदार्थ है. यह उपरत्न पारदर्शी तथा पारभासी दोनों ही प्रकार से पाया जाता है. यह काँच जैसा अथवा देखने में चिकनाईयुक्त होता है. इसमें दोहरा अपवर्तन होता है. अच्छी गुणवत्ता वाले खनिज को उपरत्न के रुप में उपयोग में लाया जाता है. इसे ध्यानपूर्वक तथा बुद्धिमत्ता से तराशने पर यह बहुत ही आकर्षक रत्न बन जाता है. तब यह दिखने में तुरमलीन उपरत्न जैसा दिखाई देता है. यह उपरत्न वायुतत्व है.

    क्रोम डायोप्साईड हरे रंग में एक सुंदर और सस्ता उपरत्न है. हरे रंग में पाए जाने वाले सभी उपरत्नों में यह उपरत्न सबसे कम कीमत में पाया जाता है. लेकिन क्रोम डायोप्साईद में कुछ खामियाँ भी हैं, जैसे यह सामान्यतया छोटे आकार में ही पाया जाता है. बडे़ आकार में पाना बहुत ही दुर्लभ बात है. हरे रंग में यह उपरत्न इतने अधिक गहरे रंग में मिलता है कि कई बार यह देखने में कालपन लिए हुए लगता है जबकि वास्तविकता में यह गहरा हरा होता है. इसलिए चमकीले हरे रंग के लिए क्रोम डायोप्साईड ही सबसे उपयुक्त है. यह नरम भी होता है. इसलिए कानों की बालियाँ या गले का पेन्डेन्ट बनाने के लिए यह उपरत्न उत्तम है. अँगूठी के रुप में इसे पहनने से यह जल्द टूट सकता है. यह उपरत्न पन्ना रत्न की तरह बहुत ही बेहतर गुणवत्ता वाला उपरत्न है.

    यह उपरत्न पूरे विश्व में छोटे खनिज रुप में पाया जाता है लेकिन व्यवसायिक तौर पर बाजारों में यह बहुत ही कम उपलब्ध है. यह उपरत्न मुख्य रुप से साइबेरिया में पाया जाता है. साइबेरिया के ठीक उत्तरी ध्रुव के ऊपर यकुतिया नामक स्थान है जहाँ इसकी खानें स्थित है. साइबेरिया प्रदेश के उत्तरी भाग में बारह में से नौ महीने कडा़के की ठण्ड होती है, जिससे इस उपरत्न को खानों से निकालने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है. इसलिए पूरे साल इस उपरत्न  के उत्पादन में निरंतरता बनाए रखने में कठिनाई आती है.

    नरम होने के कारण इस उपरत्न की देखभाल आवश्यक है. गर्मी के प्रति यह संवेदनशील होता है. इस उपरत्न को पहनते समय और उतारते समय सावधानी बरतनी चाहिए. इस उपरत्न को किसी प्रकार के साबुन अथवा पाउडर से साफ नहीं करना चाहिए अन्यथा इसकी चमक खो जाएगी.

    डायोप्साईड के चमत्कारिक गुण | Metaphysical Properties Of Diopsside 

    यह बहुत ही रचनात्मक उपरत्न है. धारणकर्त्ता के भीतर यह रचनात्मकता में वृद्धि करता है. यह उपरत्न विश्लेषण तथा तर्क करने के लिए, सहायक के रुप में सिखाने की कोशिश करता है. परम्परागत रुप से यह उपरत्न चिकित्सा जगत में यह दिल को पहुँचे आघातों को ठीक करने में सहायक होता है जो आँसुओं के रुप में धुल जाते हैं. यह उपरत्न उनके लिए लाभदायक है जो अपने आँसुओं को रोककर रोककर रखते हैं. इसलिए इसे दुख दूर करने वाला उपरत्न भी कहा जाता है. यह स्त्री पक्ष के सम्पर्क में रहने के लिए सहायता करता है. यह मदद करता है आक्रामकता और जिद को दूर करने में. व्यक्ति विशेष में बाहरी ताकतों के विरुद्ध शक्ति को बढा़ता है और उसे अपनी पहचान स्थापित कराने में मदद करता है.

    यह उपरत्न शैक्षणिक शिक्षण में वृद्धि करता है. बुद्धि के बेहतर प्रदर्शन के लिए व्यवहार में विनम्रता तथा सम्मान देता है. यह दैनिक जीवन में लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने की कोशिश करता है. लोगों के दिलों में एक-दूसरे के प्रति तथा इस संसार के जीवों के प्रति प्यार की भावना भरता है. स्टार डायोप्साईड व्यक्ति की बन्द भावनाओं को खोलने में मदद करता है और व्यक्ति अपने – आप में प्रगति लाता है.
    क्रोम डायोप्साईड भी व्यक्ति के भरोसे को बढा़ने में सहायक होता है. धारणकर्त्ता अन्य व्यक्तियों के विश्वास को बढा़ने में भी मदद करता है. वह ब्रह्माण्ड की पूर्णता में पूर्ण आस्था रखता है.

    यह उपरत्न मानव शरीर के अनाहत चक्र को नियंत्रित रखता है. क्रोम डायोप्साईड व्यक्ति के आदर्शवादी लक्ष्यों को पाने में सहायक होता है. क्रोम डायोप्साईड के हरे रंग के चिप्स चिकित्सा पद्धति के लिए उत्तम है.  यह कई तरीकों से चिकित्सा को सुविधाजनक बनाता है. यह व्यक्ति की शारीरिक तथा मानसिक ऊर्जा का विकास करता है. अन्य स्तर पर यह भावनात्मक ऊर्जा का भी विकास करता है. यह व्यक्ति विशेष के दोहरे स्वभाव को समझने में सहायता करता है और यह दो भागों को जोड़कर उन्हें एक करने में मदद करता है अर्थात यह दो विभिन्न विचारों के व्यक्तियों को भी एक करने में सहायक होता है.

    यह उपरत्न भौतिक शरीर के लिए उपयोग में लाया जाता है. यह बुद्धि का विकास करता है. रचनात्मकता को बढा़ता है. इस उपरत्न को धारण करने से लेखकों के लेख में अदभुत चमक आती है. जो नए लेखक हैं और जिनके लेखों में जान कम होती जा रही है, उनके लिए यह असाधारण उपरत्न है. यह उन्हें अपने विचारों को कागज पर उतारने के लिए सक्षम बनाता है. कुछ विद्वानों का मानना है कि डायोप्साईड गणित सीखने वालों के लिए तथा अन्य मस्तिष्क का काम करने वालों के लिए बढ़िया उपरत्न है. यह बौद्धिक गतिविधियों को बढा़ने में सहायक होता है.

    बहुत से विद्वान इस बात पर एकमत हैं कि यह उपरत्न पालतू जानवरों को शांत रखने के लिए बहुत ही अच्छा है.

    डायोप्साईड के चिकित्सीय गुण | Healing Properties Of Diopside Gemstone

    यह उपरत्न किसी भी बीमारी से व्यक्ति को जल्द राहत दिलाता है. यह बन्द ऊर्जा को खोलने में सहायक होता है. यह उपरत्न फेफडो़ तथा दिल संबंधी भागों की चिकित्सा भली-भाँति करने में सहायक होता है. यह शारीरिक तथा मानसिक बीमारियों को व्यक्ति विशेष से दूर रखने में मदद करता है. यह उपरत्न शारीरिक कमजोरी को दूर रखता है. तरल प्रवाह को संतुलित रखता है. माँस-पेशियों से दर्द तथा ऎंठन को दूर करता है. किडनी से संबंधित बीमारियों की रोकथाम करता है. यह व्यक्ति को तनाव तथा चिन्ता से मुक्त रखता है.

    कई विद्वान इस उपरत्न का संबंध अनाहत चक्र के अलावा आज्ञा चक्र तथा मूलाधार चक्र से भी मानते हैं. यह उपरत्न महिलाओं की भावनात्मक रुप से मदद करता है. रजोनिवृति के बाद उनमें आए शारीरिक परिवर्तन को शांत रखने में सहायक होता है.

    कहाँ पाया जाता है | Where Is Diopside Found

    यह उपरत्न प्रमुख रुप से साइबेरिया प्रदेश के यकुतिया नामक स्थान पर पाया जाता है. इसके अतिरिक्त यह सोवियत संघ के अन्य देशों में भी पाया जाता है. जापान, जर्मनी, आयरलैण्ड, अमेरिका तथा भारत में भी यह उपरत्न कुछ मात्रा में पाया जाता है. श्रीलंका, ब्राजील, मेडागास्कर, दक्षिण अफ्रीका, बर्मा, पाकिस्तान, उजबेकिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान आदि देश डायोप्साईड उपरत्न के लिए महत्वपूर्ण इलाके बनते जा रहें हैं.

    कौन धारण करे | Who Should Wear Diopside

    इस उपरत्न को आवश्यकतानुसार कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है. जिन लोगों को भीड़ में बोलने से झिझक होती है, वह इस उपरत्न को धारण कर सकते हैं.

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