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तीसरे भाव में शुक्र: प्रभाव और विशेषताएं

तीसरे भाव में बैठा शुक्र प्रभावशाली बातों से जोड़ सकता है. व्यक्ति की बोलचल उसकी बात करने की क्षमता दूसरों पर जबरदस्त तरीके से असर डालने वाली होती है. शुक्र, प्रेम, सौंदर्य और शांति का ग्रह, हमारे

सौभाग्य योग : ज्योतिष से जानें सौभाग्य योग की विशेषताएं और कुंडली प्रभाव

ज्योतिष के 27 योगों में से चतुर्थ स्थान में सौभाग्य योग को स्थान प्राप्त होता है. चौथा नित्य एवं नैसर्गिक योग होने के साथ ही ये एक बहुत शुभ योग माना जाता है. इस योग को ज्योतिष में उन कुछ शुभ योगों

शुक्र 2025 में कब और किस दिन होंगे अस्त : जानें शुक्र तारा के अस्त होने का प्रभाव

वेदिक ज्योतिष में ग्रहों के हर स्थिति का विश्लेषण करने के लिए कई महत्वपूर्ण पक्ष हैं। ग्रहों का अस्त होना विशेष रुप से शुक्र का अस्त होना भी गोचर के विषय में महत्वपूर्ण घटना है। शुक्र जब अस्त होता है

आयुष्मान योग और इसका ज्योतिष में प्रभाव

आयुष्मान योग भारतीय ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण योग माना जाता है. यह योग किसी व्यक्ति के जीवन में दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक होता है. यह विशेष रूप से तब बनता है जब कुंडली में किसी

विष्कुम्भ योग : ज्योतिष में विष्कुम्भ योग का प्रभाव

ज्योतिष में बनने वाले सत्ताईस योगों में से एक योग है विष्कुंभ योग, विष्कुम्भ योग एक ऐसा दुर्लभ और शक्तिशाली योग है, जो ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह योग तब उत्पन्न होता है जब किसी

आनंदादि योग जानें इसके शुभ-अशुभ प्रभाव

आनन्दादि योग का उल्लेख भारतीय ज्योतिष शास्त्र में विशेष रूप से किया जाता है. ज्योतिष में, योग का मतलब होता है विभिन्न नक्षत्र, योग तिथि वार इत्यादि की स्थितियों और उनके आपसी संबंधों के माध्यम से

चंद्रमा मंगल युति : ज्योतिष का एक खास योग जो बदल सकता है आपका भविष्य

चंद्रमा-मंगल युति एक सामान्य ज्योतिष के उन खास युति योगों में से एक है जो आर्थिक स्थिति को बेहतर बनने वाले और व्यक्ति को काफी आत्मविश्वास से भर देता है. मंगल ग्रह क्रोध, साहस और शक्ति का प्रतिनिधित्व

कर्क राशि में वक्री मंगल : मंगल कर्क राशि में वक्री सभी 12 राशियों पर इसका प्रभाव

वक्री मंगल कर्क राशि में नव ग्रहों में मंगल को जोश और साहस का ग्रह माना जाता है. मंगल जब भी गोचर में बदलाव करता है उसका असर सभी पर होता है. जब मंगल कर्क राशि में वक्री होता है तो ये स्थिति मिलेजुले

क्या होता है केन्द्राधिपति दोष ?

ज्योतिष में अनेकों योगों का उल्लेख मिलता है जिनके आधार पर कुंडली की शुभता या निर्बलता को समझ पाना संभव होता है. इन्हीं में से एक योग है केन्द्राधिपति दोष. यह यह ऎसा दोष है जब शुभ ग्रह गुरु, शुक्र,

कर्क लग्न के लिए बाधक शुक्र और बाधकेश प्रभाव

कर्क लग्न के लिए बाधक शुक्र और बाधकेश प्रभाव कर्क लग्न के लिए बाधक शुक्र बनता है. शुक्र कर्क लग्न के लिए बाधकेश होता है. शुक्र एक अनुकूल शुभ ग्रह होने पर भी कर्क लग्न के लिए बाधक का काम करता है.

मिथुन लग्न के लिए बाधक ग्रह और बाधकेश प्रभाव

मिथुन लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति के लिए सातवां भाव बाधक बनता है. मिथुन लग्न के लिए सातवें भाव का स्वामी बाधकेश हो जाता है. गुरु का प्रभाव अनुकूल होने पर भी बाधक के कारण वह अपना संपूर्ण प्रभाव

मीन राशि में शनि : वृश्चिक राशि पर शनि के गोचर का प्रभाव

शनि वृश्चिक राशि वालों के लिए तीसरे और चतुर्थ भाव का स्वामी ग्रह है. मीन राशि में शनि का प्रवेश होने पर यह यह वृश्चिक राशि वालों के पंचम भाव में गोचर करता है. शनि का वृश्चिक राशि वालों के लिए केन्द्र

मेष लग्न के लिए बाधक ग्रह और प्रभाव

मेष लग्न के लिए बाधक ग्रह मेष लग्न के लिए ग्यारहवां भाव बाधक भाव होता है और इस भाव का स्वामी शनि होता है. शनि यहां बाधक ग्रह की भूमिका निभाता है. शनि की दशा या अंतर्दशा के दौरान व्यक्ति को करियर,

मीन लग्न में बाधक ग्रह और इसका प्रभाव

मीन लग्न के लिए बाधक ग्रह सातवें भाव का स्वामी होता है. सातवें भाव में आने वाली कन्या राशि का स्वामी बुध मीन लग्न के लिए बाधक का काम करता है. मीन लग्न के लिए बुध की स्थिति बाधक के रुप में अपना असर

सूर्य से बनने वाले विशेष ज्योतिषीय योग

वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह को विशेष महत्व दिया गया है और इसे सभी ग्रहों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है. इसके अलावा सूर्य को पिता का कारक भी माना जाता

शुक्र केतु युति योग का विवाह पर प्रभाव

शुक्र केतु युति योग का विवाह पर प्रभाव शुक्र और केतु की युति के प्रभाव से विशेष गुण फलों की प्राप्ति होती है. शुक्र और केतु का योग सभी भावों में राशि और भाव अनुसार फल देने वाला होता है. शुक्र और केतु

दूसरे भाव में शुक्र: धन के स्त्रोत होते हैं विकसित

शुक्र का दूसरे भाव में होना अनुकूल माना जाता है.शुक्र का धन भाव में होना भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति का संकेत भी होता है. आपके दूसरे भाव में शुक्र के होने से आप जीवन में अपनी इनकम को अधिक बनाने के

दूसरे भाव में चंद्रमा : धनवान योग कुंडली के दूसरे भाव में चंद्र

चंद्रमा की शुभता हर भाव को विशेष बनाती है. चंद्रमा का प्रभाव कुंडली में वो स्थान रखता है जिसके द्वारा कुंडली को बल मिलता है. कुंडली में दूसरे भाव का चंद्रमा धन के साथ साथ मान प्रतिष्ठा देने में भी

दूसरे भाव में बुध : दूसरे भाव का कारक बुध

ज्योतिष में बुध ग्रह को राजकुमार के रुप में स्थान प्राप्त होता है. जन्म कुंडली में बुध की स्थिति जिस प्रकार की होती है उसी प्रकार के फल भी प्राप्त होते हैं. जब बात आती है बुध ग्रह के दूसरे भाव में

मीन राशिफल 2025 : राहु केतु बदलने वाले आपके जीवन कि दिशा

मीन राशि स्वामी बृहस्पति का गोचर वार्षिक राशिफल के लिए होता है बेहद विशेष. बृहस्पति की स्थिति के अलावा अन्य ग्रहों का गोचर करियर से लेकर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर डालेगा अपना असर. इस समय नौकरी में