भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से आरंभ होने वाला गणेश महोत्सव अनंत चतुर्दशी तक चलता है. गणेशोत्सव सारे विश्व में बड़े ही हर्षोल्लास एवं आस्था के साथ मनाया जाता है. घर-घर में भगवान गणेशजी की पूजा होती है, लोग मोहल्लों, चौराहों,
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यद्यपि प्रत्येक अमावस्या पितरों की पुण्य तिथि होती है किंतु आश्विन मास की अमावस्या पितृ पक्ष के लिए उत्तम मानी जाती है. इस अमावस्या को सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या अथवा महालया के नाम से भी जाना जाता है. शास्त्रोक्त अनुसार इस दिन किया जाने
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प्रतिवर्ष भाद्रपद माह की अष्टमी को दाधीच जंयती मनाई जाती है. पौराणिक आख्यानों के अनुसार महर्षि दधीचि ने अपनी हड्डियो को दान में देकर देवताओं की रक्षा की थी. इस वर्ष 11 सितंबर 2024 को दधिचि जयंती मनाई जाएगी. महर्षि दधीचि जयंती पूरे देश मे
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नंदा देवी की अराधना प्राचीन काल से ही होती चली आ रही है. नंदा को नवदुर्गाओं में से एक बताया गया है. भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमी तथा शुक्ल पक्ष की नवमी को नन्दा कहा जाता है. साल में तीन अवधियों में दुर्गा पूजा की जाती है. भाद्रपद के शुक्ल
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भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन दशावतार व्रत का विधान बताया गया है. इस दिन भगवान श्री विष्णु जी के दस अवतारों की पूजा की जाती है तथा कथा श्रवण होता है. भगवान विष्णु को की नामों से जाना जाता है वह अपने अवतारों के रूप में अपने लीला
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भाद्रपद मास की चतुर्थी से आरंभ भगवान गणेश उत्सव भाद्रपद मास की अनंत चतुर्दशी तक चलता है. दस दिन तक मनाए जाने वाले गणेश जन्मोत्सव का बहुत महत्व होता है. गणेश महोत्सव की धूम भारतवर्ष में देखी जा सकती है. इस महत्वपूर्ण पर्व के समय देश भर में
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प्रतिवर्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा से से आश्विन मास की अमावस्या तक का समय श्राद्ध कर्म के रुप में जाना जाता है. इस वर्ष 17 सितंबर से 02 अक्टूबर तक श्राद्ध मनाए जाएंगे. इस पितृपक्ष अवधि में पूर्वजों के लिए श्रद्धा पूर्वक किया गया दान तर्पण
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भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी पदमा एकादशी कही जाती है. इस वर्ष 14 सितंबर 2024 को पदमा एकादशी का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन भगवान श्री विष्णु के वामन रुप कि पूजा की जाती है. इस व्रत को करने से व्यक्ति के सुख, सौभाग्य में बढोतरी होती है. इस
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भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनन्त चतुर्दशी के रुप में मनाई जाती है. इस दिन अनन्त भगवान की पूजा करते हैं और संकटों से रक्षा करने वाला अनन्तसूत्रबांधा जाता है. अनंत चतुर्दशी मुहूर्त्त | Anant Chaturdashi Muhurat भाद्रपद मास के
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संतान सप्तमी व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष कि सप्तमी तिथि के दिन किया जाता है. इस वर्ष 10 सितंबर 2024 के दिन मुक्ताभरण संतान सप्तमी व्रत किया जाएगा. यह व्रत विशेष रुप से संतान प्राप्ति, संतान रक्षा और संतान की उन्नति के लिये किया जाता है.
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भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधाष्टमी के नाम से मनाया जाता है. इस वर्ष यह 11 सितंबर 2024, को मनाया जाएगा. राधाष्टमी के दिन श्रद्धालु बरसाना की ऊँची पहाडी़ पर पर स्थित गहवर वन की परिक्रमा करते हैं. इस दिन रात-दिन बरसाना में बहुत
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सूर्य षष्ठी व्रत भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है. सूर्य षष्ठी व्रत 09 सितंबर 2024 को मनाया जाना है. यह पर्व भगवान सूर्य देव की आराधना एवं पूजा से संबंधित है. इस दिन भगवान सूर्य की पूजा के साथ साथ गायत्रि मंत्र का स्मरण
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भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की द्वादशी को वामन द्वादशी के रुप में मनाया जाता है. इस वर्ष वामन जयंती, 15 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी. धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी शुभ तिथि को श्रवण नक्षत्र के अभिजित मुहूर्त में भगवान श्री विष्णु ने एक अन्य रुप
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भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है. 09 सितंबर 2024 को यह व्रत मनाया जाएगा. इस व्रत का कथन भगवान श्री कृष्ण जी ने स्वयं किया है. भगवन कहते हैं कि भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को किया गया यह व्रत शुभ सौभाग्य
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श्री महालक्ष्मी व्रत का प्रारम्भ भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन से होता है. वर्ष 2024 में 11 सितंबर को यह व्रत संपन्न होगा. यह व्रत राधा अष्टमी के ही दिन किया जाता है. इस व्रत में लक्ष्मी जी का पूजन किया जाता है. श्री
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भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी ऋषि पंचमी के रुप में मनाई जाती है. इस व्रष ऋषि पंचमी व्रत 08 सितंबर 2024 के दिन किया जाना है. ऋषि पंचमी का व्रत सभी के लिए फल दायक होता है. इस व्रत को श्रद्धा व भक्ति के साथ मनाया जाता है. आज के दिन
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शास्त्रों के अनुसार दक्षिणावर्ती शंख का हिंदु पूजा पद्धती में महत्वपूर्ण स्थान है दक्षिणावर्ती शंख देवी लक्ष्मी के स्वरुप को दर्शाता है. दक्षिणावर्ती शंख ऎश्वर्य एवं समृद्धि का प्रतीक है. इस शंख का पूजन एवं ध्यान व्यक्ति को धन संपदा से
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पुरूषोत्तमा एकादशी व्रत पुरुषोत्तम मास (अधिक मास ) में करने का विधान है. पुरूषोत्तमा एकादशी के विषय में एक समय धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा कि हे भगवन मुझे पुरुषोत्तम मास की एकादशी का फल बताएं, भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें
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भगवान सत्यनारायण विष्णु के ही रूप हैं कथा के अनुसार इन्द्र का दर्प भंग करने के लिए विष्णु जी ने नर और नारायण के रूप में बद्रीनाथ में तपस्या किया था वही नारायण सत्य को धारण करते हैं अत: सत्य नारायण कहे जाते हैं. इनकी पूजा में केले के पत्ते
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श्री भैरव भगवान शिव का एक रुप माना जाता है. पुराणों तथा तंत्र शास्त्र में भैरव जी के अनेक रुपों का वर्णन प्राप्त होता है. इनके प्रमुख रुप इस प्रकार हैं:- असितांग भैरव, चण्ड भैरव, रुरु भैरव, क्रोध भैरव, कपालि भैरव, भीषण भैरव, संहार भैरव