तिल द्वादशी व्रत पूजा 2025 | Til Dwadashi Vrat Puja | Til Dwadashi Fast
तिल द्वादशी व्रत माघ माह की द्वादशी को किया जाता है. 09 फरवरी 2025 को तिल द्वादशी मनाई जाएगी. इस दिन तिल से भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है. पवित्र नदियों में स्नान व दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. प्रात:काल नित्यकर्म से निवृत होकर भगवान विष्णु जी का पूजन किया जाता है.
प्रातः काल संकल्प के साथ षोड़शोपचार या पंचोपचार विधि से ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करते हुए पूजन किया जाना चाहिए. तिल द्वादशी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके सूर्य देव को नमस्कार करना चाहिए. तांबे के पात्र में सुगंध, अक्षत, तिल, जल तथा फूलों को मिलाकर सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए अर्घ्य देना चाहिए.
इस व्रत को भगवान श्री कृष्ण स्वयं का स्वरूप कहा है, जो व्यक्ति को जन्मांतरों के बंधन से मुक्त कर देता है और वैकुंठ प्राप्ति का साधक बनता है. यह व्रत समर्पित है श्री विष्णु जी को और उनकी कृपा प्राप्त करने हेतु इसे किया जाता है. तिल द्वादशी व्रत सभी प्रकार का सुख वैभव देने वाला और कलियुग के समस्त पापों का नाश करने वाला है. मन के अंधकार को दूर करते हुए यह जीवन में प्रकाश का संचार करता है. इस व्रत में ब्राह्मण को तिलों का दान, पितृ तर्पण, हवन, यज्ञ, आदि का बहुत ही महत्व है.
तिल द्वादशी का महत्व | Importance of Til Dwadashi Fast
तिल द्वादशी का व्रत के दिन स्वच्छ आसन पर बैठकर भगवान मधुसुदन की पूजा करें, पूजा के दौरान भगवान को धूप व दीप दिखाकर तत्पश्चात फल, फूल, चावल, रौली, मौली, पंचामृत से स्नान आदि कराने के पश्चात भगवान को तिल से बनी वस्तुओं या तिल तथा गुड़ से बने प्रसाद का भोग लगाना चाहिए. इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को पीले वस्त्र धारण करने चाहिए.
पूजा करते समय पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए, भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद मंत्र जाप 108 बार करना चाहिए. संध्या समय कथा सुनने के पश्चात भगवन की आरती उतारें. इस दिन जो व्यक्ति तिल द्वादशी का व्रत रखते हैं और जो व्यक्ति व्रत नहीं रखते हैं वह सभी अपनी क्षमता के अनुसार गरीब लोगों को दान अवश्य करें तो शुभ फलों को पाते हैं. इस प्रकार विधिवत भगवान श्री विष्णु का पूजन करने से मानसिक शान्ति मिलने के साथ आपके घर-परिवार के सुख व समृद्धि में वृद्धि होती है.
तिल द्वादशी का व्रत, जिसमें पूजा, सदाचार, शुद्ध आचार-विचार पवित्रता आदि का विशेष महत्व है. यह व्रत धन, धान्य व सुख से परिपूर्ण करने वाला है रोगों को नष्ट कर आरोग्य को बढ़ाने वाला हैं जिसे तिल द्वादशी के नाम से जाना जाता है.
तिल द्वादशी को श्रद्धा व उल्लास के साथ किया जाता है. इसके व्रत से मानव जीवन के समस्त रोगादि छूट जाते है और अंत मे वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. द्वादशी का व्रत एकादशी की भाँति पवित्रता व शांत चित से श्रद्धा पूर्ण किया जाता है. यह व्रत मनोवांछित फलों को देने वाला और भक्तों के कार्य सिद्ध करने वाला होता है.