इस वर्ष 14 मार्च 2025 ओर 8 सितंबर 2025 को चंद्र ग्रहण की स्थिति बनेगी. चंद्र ग्रहण भारत में दृष्य नहीं होगा. 14 मार्च 2025 चंद्र ग्रहण (भारत में अदृष्य) ग्रहण समय ग्रहण आरंभ (स्पर्श) - 09:04 स्पर्श प्रारंभ - 10:11 ग्रहण मध्य - 10:42 खग्रास
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गुप्त नवरात्रों में मां दुर्गा की पूजा का विधान होता है, यह गुप्त नवरात्र साधारण जन के लिए नहीं होते हैं मुख्य रुप से इनका संबंध साधना और तंत्र के क्षेत्र से जुड़े लोगों से होता है. इन दिनों भी माता के विभिन्न रूपों की पूजा का विधान होता
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अधिक मास के समय के दौरान बहुत से लोग व्रत, जप, तप और साधना करते हैं भगवान विष्णु के पूजन का ये विशेष समय होता है. इस पूरे अधिक मास को मल मास, प्भुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है इसमें पूजा और तप को ही महत्व दिया गया है. जब ये माह समाप्त होता
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हिन्दू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठा मास हिन्दू वर्ष का तीसरा माह होता है. इस माह में विशेष रुप से गंगा नदी में स्नान और पूजन करने का विधि-विधान है. इस माह में आने वाले पर्वों में गंगा दशहरा और इस माह में आने वाली ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी और
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चैत्र माह की प्रतिपदा का आरंभ नव वर्ष के आरंभ के साथ साथ दुर्गा पूजा के आरंभ का भी समय होता है. इस वर्ष 30 मार्च 2025 को चैत्र नवरात्रों के आरंभ से ही विक्रम संवत का आरंभ होगा और इसी के साथ ही प्रतिपदा से नवरात्रों का भी आरंभ होगा. चैत्र
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इस वर्ष 12 मार्च 2025 को शनिवार के दिन मनाई जाएगी. चैत्र पूर्णिमा और हनुमान जयंती के शुभ अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान और दान इत्यादि करने का विधान बताया गया है. चैत्र पूर्णिमा और जयंती के अवसर पर रामायण का पाठ, भजन-किर्तन संध्या जैसे
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धनतेरस | Dhanteras धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर 2025 के दिन मनाया जाएगा. हिंदुओं के महत्वपूर्ण त्यौहार दिवाली का आरंभ धनतेरस के शुभ दिन से हो जाता है. धनतेरस से आरंभ होते हुए नरक चतुर्दशी, दीवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज तक यह त्यौहार उत्साह
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हर वर्ष भारतवर्ष में दिवाली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. प्रतिवर्ष यह कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है. रावण से दस दिन के युद्ध के बाद श्रीराम जी जब अयोध्या वापिस आते हैं तब उस दिन कार्तिक माह की अमावस्या थी, उस दिन
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शारदीय नवरात्रों का विशेष महत्व रहता है, यह भक्तों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है. देवी दुर्गा जी की पूजा प्राचीन काल से ही चली आ रही है, भगवान श्री राम जी ने भी विजय की प्राप्ति के लिए माँ दुर्गा जी की उपासना कि थी. ऐसे अनेक पौराणिक
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हिन्दू धर्म अनुसार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष को श्राद्ध पक्ष के रूप में मनाया जाता है. श्राद्ध संस्कार का वर्णन हिंदु धर्म के अनेक धार्मिक ग्रंथों में किया गया है. श्राद्ध पक्ष को महालय और पितृ पक्ष के नाम से भी जाना जाता है. श्राद्ध का
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ॐ की सार्थकता को व्यक्त करने से पूर्व इसके अर्थ का बोध होना अत्यंत आवश्यक है. ॐ की ध्वनि संपूर्ण ब्रह्माण्ड में व्याप्त है जो जीवन की शक्ति है जिसके होने से शब्द को शक्ति प्राप्त होती है यही 'ॐ का रूप है. ॐ का उच्चारण तीन ध्वनियों से मिलकर
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इस वर्ष 24 अप्रैल 2025 के दिन वरूथिनी एकादशी व्रत किया जाएगा. यह व्रत वैशाख कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है. पद्मपुराण में वरूथिनी एकादशी के विषय में तथ्य प्राप्त होते हैं जिसके अनुसार भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर के पूछने पर की वैशाख
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कामदा एकदशी व्रत चैत्र मास मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. वर्ष 2025 में 08 अप्रैल को यह व्रत किया जायेगा. यह एकादशी कामनाओं की पूर्ति को दर्शाती है. इस व्रत को करने से पापों का नाश होता है तथा साधक की
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दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है. इस वर्ष 05 अप्रैल 2025 को अष्टमी तिथि रहेगी. महागौरी आदी शक्ति हैं इनके तेज से संपूर्ण सृष्टि प्रकाश-मान है इनकी शक्ति अमोघ फलदायिनी है. महागौरी की चार भुजाएं हैं उनकी दायीं भुजा
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दुर्गा-पूजा के सातवें दिन माँ काल रात्रि की उपासना का विधान है. इस वर्ष 04 अप्रैल 2025 को माँ कालरात्री जी की पूजा की जाएगी. माँ कालरात्रि अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करने वाली होती हैं इस कारण इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है. मां
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नवरात्रा के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है. इस वर्ष 03 अप्रैल 2025 को कात्यायनी पूजा की जाएगी. इस उपलक्ष पर माता की आराधना एवं भंडारों का आयोजन किया जाता है. देवी कात्यायनी शत्रुओं का नाश करने वाली होती है. देवी कात्यायनी अमोद्य
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दुर्गा जी के इस पांचवे स्वरूप को स्कंद माता नाम प्राप्त हुआ है. माँ दुर्गा का पंचम रूप स्कन्दमाता के रूप में जाना जाता है. इस वर्ष 02 अप्रैल 2025 को पांचवां नवरात्रा संपन्न होगा. स्कंद माता का रूप सौंदर्य अद्वितिय आभा लिए शुभ्र वर्ण का
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दुर्गा पूजा के चौथे दिन देवी कूष्माण्डा जी की पूजा का विधान है. इस वर्ष 1 अप्रैल 2025 को यह पूजा की जानी है. देवी कूष्माण्डा अपनी मन्द मुस्कान से अण्ड अर्थात ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा देवी के नाम से जाना जाता है.
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दुर्गा पूजा के तीसरे दिन आदि-शक्ति दुर्गा के तृतीय स्वरूप माँ चंद्रघंटा की पूजा होती है. माँ दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है. इस वर्ष 31 मार्च 2025 को देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी. चन्द्रघंटा देवी का स्वरूप तपे हुए स्वर्ण के
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नवरात्र के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. ब्रह्मचारिणी जी की पूजा इस वर्ष 31 मार्च 2025 को की जानी है. देवी ब्रह्मचारिणी का रूप तपस्विनी जैसा है. माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से मनुष्य को सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती