सत्तरह मुखी रूद्राक्ष को सीता जी एवं राम जी का प्रतीक माना गया है. यह रुद्राक्ष राजयोग का सुख प्रदान करता है सुख एवं समृद्धि दायक होता है. यह रुद्राक्ष राम सीता जी के संयुक्त बलों का प्रतिनिधित्व करता है. यह एक दुर्लभ
पंद्रह मुखी रुद्राक्ष पन्द्रह तिथियों से संबंधित है. इस रुद्राक्ष को धारण करने से अपने सभी उद्यमों में सफलता प्राप्त होती है. उर्जा शक्ति द्वारा अपने सभी कार्यों में सफलता पाता है.इस रुद्राक्ष के पहनने वाला तीव्र बुद्धि
तेरह मुखी रुद्राक्ष समस्त कामनाओं की पूर्ति करता है तथा दांपत्य जीवन को सुखद एवं ख़ुशियों से भरपूर बनाता है. इच्छा भोगों की प्राप्ति होती है. 13 मुखी रुद्राक्ष को कामदेव का स्वरूप माना गया है. यह सभी सिद्धियों को प्रदान
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष साक्षात रूद्र के सामान माना जाता है. इसे एक मुखी रुद्राक्ष का प्रतिरूप भी कहा जाता है. यह एकादश मुखी रुद्राक्ष सुख समृद्धि दायक होता है. इसे धारण करने से सभी कार्यो में सिद्धि प्राप्ति होती है.
रुद्राक्ष भगवान शिव के नेत्रों से उत्पन्न अश्रु हैं, जिनकी उत्पत्ति त्रिपुर नामक दैत्य को मारने हेतु जब भगवान शंकर ने कालाग्निनामक शस्त्र जब धारण किया तभी हजारों वर्षों के उपरांत नेत्र खुलने पर उनमें से कुछ बूंदें अश्रु
रुद्राक्ष के विषय में उसके गुणों को देखकर उनके महत्व को परिभाषित किया जाता है. रुद्राक्ष को आध्यात्मिक रुप में अधिक उपयोग में लाया जाता है. इसके अतिरिक्त रुद्राक्ष औषधि रुप में भी उपयोग में लाया जाता है इसके अनेक
रुद्राक्ष के वृक्ष भारत समेत विश्व के अनेक देशों में पाए जाते हैं. यह भारत के पहाड़ी क्षेत्रों तथा मैदानी इलाकों में भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं. रुद्राक्ष का पेड़ किसी अन्य वृक्ष की भांति ही होता है, इसके वृक्ष 50
पंच मुखी रुद्राक्ष | Panch Mukhi Rudraksha पांच मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव प्रतिनिधि है इसे कालाग्नि के नाम से जाना जाता है. यह रुद्राक्ष शिव द्वारा नियंत्रित तथा बृहस्पति द्वारा संचालित है. पंचमुखी रुद्राक्ष मानसिक तनाव,
रुद्राक्ष अर्थात ‘प्रभु शिव का वास’ हमारे अध्यात्मिक स्वरूप से जुडा रूद्राक्ष हमें भगवान शिव का सानिध्य प्रदान करता है. प्रभु को अपने में धारण करने का मार्ग है यह रुद्राक्ष. इस अति पवित्र वस्तु के होने से हमारे सभी दुख