गर्भ गौरी रूद्राक्ष माता गौरी और उनके पुत्र भगवान गणेश जी का स्वरूप माना जाता है. यह गर्भ गौरी रुद्राक्ष गौरी शंकर के समान ही दिखाई पड़ता है. जहां गौरी शंकर रुद्राक्ष में रुद्राक्ष का आकार एक समान होता है वहीं गर्भ गौरी
रूद्राक्ष पर पड़ी धारियों के आधार पर ही इनके मुखों की गणना की जाती है. रूद्राक्ष एकमुखी से लेकर सत्ताईस मुखी तक पाए जाते हैं जिनके अलग-अलग महत्व व उपयोगिता हैं. एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात शिव का रूप माना जाता है. इस 1
रुद्राक्ष भगवान शिव के नेत्रों से उत्पन्न अश्रु हैं, जिनकी उत्पत्ति त्रिपुर नामक दैत्य को मारने हेतु जब भगवान शंकर ने कालाग्निनामक शस्त्र जब धारण किया तभी हजारों वर्षों के उपरांत नेत्र खुलने पर उनमें से कुछ बूंदें अश्रु
रुद्राक्ष अर्थात ‘प्रभु शिव का वास’ हमारे अध्यात्मिक स्वरूप से जुडा रूद्राक्ष हमें भगवान शिव का सानिध्य प्रदान करता है. प्रभु को अपने में धारण करने का मार्ग है यह रुद्राक्ष. इस अति पवित्र वस्तु के होने से हमारे सभी दुख