रूद्राक्ष के प्रकार | Different Kinds of Rudraksha Beads | Types of Rudraksha

रूद्राक्ष पर पड़ी धारियों के आधार पर ही इनके मुखों की गणना की जाती है. रूद्राक्ष एकमुखी से लेकर सत्ताईस मुखी तक पाए जाते हैं जिनके अलग-अलग महत्व व उपयोगिता हैं.

एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात शिव का रूप माना जाता है. इस 1 मुखी रुद्राक्ष द्वारा सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है. तथा भगवान आदित्य का आशिर्वाद भी प्राप्त होता है.

दो मुखी रुद्राक्ष या द्विमुखी रुद्राक्ष शिव और शक्ति का स्वरुप माना जाता है इस अर्धनारीश्व का स्वरूप समाहित है तथा चंद्रमा सी शीतलता प्रदान होती है

तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि देव तथा त्रिदेवों का स्वरुप मान अगया है. 3 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा पापों का शमन होता है.

चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म स्वरुप होता है. इसे धारन करने से नर हत्या जैसा जघन्य पाप समाप्त होता है. चतुर्थ मुखी रुद्राक्ष  धर्म, अर्थ काम एवं मोक्ष को प्रदान करता है.

पांच मुखी रुद्राक्ष कालाग्नि रुद्र का स्वरूप माना जाता है. यह पंच ब्रह्म एवं पंच तत्वों का प्रतीक भी है. 5 मुखी को धारण करने से अभक्ष्याभक्ष्य एवं स्त्रीगमन जैसे पापों से मुक्ति मिलती है. तथा सुखों को प्राप्ति होती है.

छह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है. इसे शत्रुंजय रुद्राक्ष भी कहा जाता है यह ब्रह्म हत्या जैसे पापों से मुक्ति तथा एवं संतान देने वाला होता है.

सात मुखी रुद्राक्ष या सप्तमुखी रुद्राक्ष दरिद्रता को दूर करने वाला होता है. इस 7 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.

आठ मुखी रुद्राक्ष को भगवान गणेश जी का स्वरूप माना जाता है. अष्टमुखी रुद्राक्षराहु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति दिलाता है तथा पापों का क्षय करके मोक्ष देता है.

नौ मुखी रुद्राक्ष को भैरव का स्वरूप माना जाता है. इसे बाईं भुजा में धारण करने से गर्भहत्या जेसे पाप से मुक्ति मिलती है. नवम मुखी रुद्राक्ष को यम का रूप भी कहते हैं. यह केतु के अशुभ प्रभावों को दूर करता है.

दस मुखी रुद्राक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप कहा जाता है. 10 मुखी रुद्राक्ष शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाला होता है.

इसे धारण करने से समस्त भय समाप्त हो जाते हैं.

एकादश मुखी रुद्राक्ष साक्षात भगवान शिव का रूप माना जाता है. 11 मुखी रुद्राक्ष को भगवान हनुमान जी का प्रतीक माना गया है इसे धारण करने से ज्ञान एवं भक्ति की प्राप्ति होती है.

द्वादश मुख वाला रुद्राक्ष बारह आदित्यों का आशीर्वाद प्रदान करता है. इस बारह मुखी  रुद्राक्ष को धारण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान यह फल प्रदान करता है.

तेरह मुखी रुद्राक्ष को इंद्र देव का प्रतीक माना गया है इसे धारण करने पर व्यक्ति को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है.

चौदह मुखी रुद्राक्ष भगवान हनुमान का स्वरूप है. इसे सिर पर धारण करने से व्यक्ति परमपद को पाता है.

पंद्रह मुखी रुद्राक्ष पशुपतिनाथ का स्वरूप माना गया है. यह संपूर्ण पापों को नष्ट करने वाला होता है.

सोलह मुखी रुद्राक्ष विष्णु तथा शिव का स्वरूप माना गया है. यह रोगों से मुक्ति एवं भय को समाप्त करता है.

सत्रह मुखी रुद्राक्ष राम-सीता का स्वरूप माना गया है यह रुद्राक्ष विश्वकर्माजी का प्रतीक भी है इसे धारण करने से व्यक्ति को भूमि का सुख एवं कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने का मार्ग प्राप्त होता है.

अठारह मुखी रुद्राक्ष को भैरव एवं माता पृथ्वी का स्वरूप माना गया है. इसे धारण करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है.

उन्नीस मुखी रुद्राक्ष नारायण भगवान का स्वरूप माना गया है यह सुख एवं समृद्धि दायक होता है.

बीस मुखी रुद्राक्ष को जनार्दन स्वरूप माना गया है. इस बीस मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को भूत-प्रेत आदि का भय नहीं सताता.

इक्कीस मुखी रुद्राक्ष रुद्र स्वरूप है तथा इसमें सभी देवताओं का वास है. इसे धारण करने से व्यक्ति ब्रह्महत्या जैसे पापों से मुक्त हो जाता है.

गौरी शंकर रुद्राक्ष - यह रुद्राक्ष प्राकृतिक रुप से जुडा़ होता है शिव व शक्ति का स्वरूप माना गया है. इस रुद्राक्ष को सर्वसिद्धिदायक एवं मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है. गौरी शंकर रुद्राक्ष दांपत्य जीवन में सुख एवं शांति लाता है.

गणेश रुद्राक्ष - इस रुद्राक्ष को भगवान गणेश जी का स्वरुप माना जाता है. इसे धारण करने से ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है. यह रुद्राक्ष विद्या प्रदान करने में लाभकारी है विद्यार्थियों के लिए यह रुद्राक्ष बहुत लाभदायक है.

गौरीपाठ रुद्राक्ष - यह रुद्राक्ष त्रिदेवों का स्वरूप है. इस रुद्राक्ष द्वारा ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा प्राप्त होती है.