गर्भगौरी रुद्राक्ष । गौरी पाठ रुद्राक्ष । सर्प मुखी रुद्रा | Garbha Gauri Rudraksha | Gauri Path Rudraksha | Sarpa Mukhi Rudraksha

गर्भ गौरी रूद्राक्ष माता गौरी और उनके पुत्र भगवान गणेश जी का स्वरूप माना जाता है. यह गर्भ गौरी रुद्राक्ष गौरी शंकर के समान ही दिखाई पड़ता है. जहां गौरी शंकर रुद्राक्ष में रुद्राक्ष का आकार एक समान होता है वहीं गर्भ गौरी रुद्राक्ष में एक रुद्राक्ष अन्य की तुलना में आकार में छोटा होता है. इस रुद्राक्ष में एक बडा़ रुद्राक्ष देवी पार्वती को दर्शाता है तथा अन्य रुद्राक्ष पुत्र रुप में भगवान गणेश को दर्शाता है. गर्भ गौरी रुद्राक्ष उन महिलाओं के लिए बहुत लाभदायक हैं जो मातृसुख की कामना करती हैं और जिन्हें गर्भपात होने का भय सताता है.

गर्भ गौरी रुद्राक्ष लाभ | Benefits of Garbha Gauri Rudraksha

गर्भ गौरी रुद्राक्ष को गले में धारण करने से ख़ुशियों एवं प्रसन्नता का अनुभव प्राप्त होता है महिलाओं द्वारा इसे धारण करने से मातृसुख की प्राप्ति होती है. प्राचीन वैदिक ग्रंथों के अनुसार गर्भ गौरी रुद्राक्ष पवित्र रूद्राक्ष है जो सकारात्मक प्रभाव छोड़ता है. गर्भाधान में देरी या समस्या से ग्रस्त महिलाओं को इसे अवश्य धारण करना चाहिए. गर्भ गौरी रुद्राक्ष मां व बच्चे के मध्य अच्छे संबंध बनाने में सहायक है तथा पैतृक संबंधों में प्रगाढ़ बनाए रखने के लिए एक उत्कृष्ट रुद्राक्ष है.

गर्भ गौरी रुद्राक्ष स्वास्थ्य लाभ | Health benefits of Garbha Gauri Rudraksha

यह रुद्राक्ष उन महिलाओं के लिए बहुत ही लाभदायक है जो संतान की कामना रखती हैं या जिन्हें किसी कारण वश, संतान उत्पत्ति में विलंब का सामना करना पड़ रहा हो. इसके साथ ही साथ यह रुद्राक्ष गृभ की सुरक्षा करता है तथा जिन्हें गर्भ न ठहरता हो या गर्भपात हो जाता हो उनके लिए यह रुद्राक्ष अमूल्य निधि बनता है.

गर्भ गौरी रुद्राक्ष मंत्र | Garbha Gauri Rudraksha Mantra

गर्भ गौरी रुद्राक्ष को शुक्ल पक्ष को सोमवार के दिन प्रात:काल पूजा पाठ के उपरांत सोने या चांदी में अथवा धागे में डाल कर मंत्र जाप द्वारा धारण करना चाहिए. यह रुद्राक्ष विशेष रुप से महिलाओं के लिए उपयोगी है. “ॐ गर्भ गौरी नम:” मंत्र का जाप करें तथा “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें.

गौरी पाठ रुद्राक्ष । त्रिजुगी या त्रिजुटी | Gauri Path Rudraksha | Trijugi or Trijuti

गौरी पाठ रुद्राक्ष को त्रिजुगी या त्रिजुटी रुद्राक्ष भी कहते हैं. यह रुद्राक्ष तीन रुद्राक्षों का जोड़ होता है जो ब्रह्मा विष्णु और महेश के स्वरूप को अभिव्यक्त करते हैं. यह रुद्राक्ष त्रिमूर्ति का स्वरूप माना जाता है . तो कुछ इस रुद्राक्ष को भगवान शिव के परिवार रुप में परिभाषित करते हैं जिसमें शिव, गणेश और माता पार्वती को उल्लेखित किया जाता है. यह एक बहुत दुर्लभ रुद्राक्ष है जो आसानी से प्राप्त नहीं होता. इस रुद्राक्ष में एक, चौदह और गौरी शंकर रुद्राक्ष के गुण समाए होते हैं. इसे धारण करने से त्रिदेवों कि कृपा प्राप्त होती है.

सर्प मुखी रुद्राक्ष । नागफनी रुद्राक्ष | Sarpa Mukhi Rudraksha | Naagfani Rudraksha

इस रुद्राक्ष पर सर्प के फन की भांति एक आकार सा बना होता है इस कारण यह रुद्राक्ष सर्प मुखी या नागफनी रुद्राक्ष कहलाता है. यह रुद्राक्ष काल सर्प दोष के बुरे प्रभावों से बचाव के लिए धारण किया जाता है इसके साथ ही साथ अन्य सर्प दोषों को दूर करने में भी यह रुद्राक्ष बहुत लाभदायक होता है. इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को सर्प जैसे विषैली जीवों का भय नहीं सताता.

व्यक्ति में आत्म विश्वास की कमी को दूर करने में भी यह रुद्राक्ष बहुत फ़ायदेमंद होता है. यह व्यक्ति में उत्साह एवं उर्जा का संचार करता है तथा क्रोध एवं चिड़चिडे़पन से मुक्त करता है. यह व्यक्ति को धन से परिपूर्ण करता है और हानि से बचाता है.