रूद्राक्षजाबालोपनिषद रूद्राक्ष से संबंधित उपनिषद है यह उपनिषद सामवेदीय शाखा के अंतर्गत आता है जिसमें भगवान शिव के 'रुद्राक्ष' की महत्ता को व्यक्त किया गया है. इस उपनिषद में रूद्राक्ष से संबंधित अनेक प्रश्नों का उत्तर
रूद्राक्ष पर पड़ी धारियों के आधार पर ही इनके मुखों की गणना की जाती है. रूद्राक्ष एकमुखी से लेकर सत्ताईस मुखी तक पाए जाते हैं जिनके अलग-अलग महत्व व उपयोगिता हैं. एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात शिव का रूप माना जाता है. इस 1
रुद्राक्ष अपने अनेकों गुणों के कारण व्यक्ति को दिया प्रकृति का बहुमूल्य उपहार है मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के नेत्रों से निकले जलबिंदु से हुई है. अनेक धर्म ग्रंथों में रुद्राक्ष के महत्व को प्रकट
रुद्राक्ष के वृक्ष भारत समेत विश्व के अनेक देशों में पाए जाते हैं. यह भारत के पहाड़ी क्षेत्रों तथा मैदानी इलाकों में भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं. रुद्राक्ष का पेड़ किसी अन्य वृक्ष की भांति ही होता है, इसके वृक्ष 50
एकमुखी रूद्राक्ष | Ek Mukhi Rudraksha एक मुखी रुद्राक्ष का प्रतीक भगवान शिव को माना जाता है तथा इस एकमुखी रुद्राक्ष का सतारुढ़ ग्रह सूर्य है अत: सूर्य द्वारा शुभ फलों की प्राप्ति तथा सूर्य की अनुकूलता हेतु इसे धारण किया
रुद्राक्ष अर्थात ‘प्रभु शिव का वास’ हमारे अध्यात्मिक स्वरूप से जुडा रूद्राक्ष हमें भगवान शिव का सानिध्य प्रदान करता है. प्रभु को अपने में धारण करने का मार्ग है यह रुद्राक्ष. इस अति पवित्र वस्तु के होने से हमारे सभी दुख