मंगल और शुक्र | Mars and Venus
लाल किताब कुण्डली के तीसरे घर में मंगल की स्थिति व्यक्ति के व्यवहार में जो पराक्रम का भाव देने में सहायक बनती है वह उसके लिए हर क्षेत्र में परिश्रम और लगन से सफलता दिलाने में सहायक होती है. मंगल के प्रभाव से व्यक्ति का स्तर उच्च कोटी को पाने वाला बनता है. इससे जातक में कर्म करने की इच्छा तीव्र होती है और वह अपनी स्थिति के अनुरूप आगे बढ़ने में सफल भी होता है.
मंगल के मंदे फल हों या अच्छे फल इनका प्रतिपादन तो स्वयं मंगल के स्थिति और उस पर पड़ने वाले प्रभावों द्वारा परिलक्षित होता है. यदि मंगल नेक होता है तो शुक्र के साथ मिलकर शिव भगवान जैसा तारने वाला बनता है. जातक को अपने कामों में अच्छी सफलता मिलती है जिससे वह अपने भाई बंधुओं की सहायता करने योग्य व्यक्ति बनता है. व्यक्ति को इनका शुभ प्रभाव मिलने से व्यक्ति अपने भाई बहनों की खूब सहायता करता है और उनके सुख दुख का ख्याल रखने वाला होता है.
यदि इस स्थान पर मंगल पर बुरा प्रभाव होता है या वह बद हो तो व्यक्ति को इससे बुरे फलों की प्राप्ति होती है उसे जीवन में अनेक उतार-चढा़व को सहना पड़ सकता है. उसे अपने बंधुओं से अलगाव या विवाद की स्थिति से गुजरना पड़ सकता है और बुरे प्रभावों से ग्रस्त भी हो सकता है. व्यक्ति अय्याश प्रकृत्ति का लंपट किस्म का हो सकता है पराई औरतों के साथ संबंध बनाने में लगा रहने वाला भी हो सकता है.
मंगल और शनि | Mars and Saturn
मंगल और शनि का युति संबंध लाल किताब कुण्डली के तीसरे घर में होने पर जातक को इसके परिणामों द्वारा लम्बी दूरी तक के प्रभावों को झेलना पड़ सकता है. यदि इस स्थिति में मंगल शुभ हो तो व्यक्ति को शुभता की प्राप्ति होती है. व्यक्ति के पास खूब सारी संपत्ति होती है वह धनवान होता है तथा धन से युक्त होता है. जातक में पराक्रम होता है वह डरपोक नहीं बनता. साहस के साथ मुशकिलों का सामना करता है और उनसे हार नहीं मानता है.
व्यक्ति में दिलेरी खूब होती है. दूसरों के लिए भी सहायक बनता है. शासक के रूप में विख्यात होता है, उसके अधीन कई लोग काम कर सकते हैं एक प्रमुख स्थान को पाने में सफल होता है. इन दोनों के शुभ फलों की प्राप्ति में राहु का शुभ होना बहुत निर्भर करता है. यदि राहु शुभ है तो यह स्थिति जातक को मंगल और शनि के शुभ फलों को देने वाली हो सकती है. इसी के साथ माना जाता है कि यह संयुक्त रूप मे राहु के जैसे फल देने का काम भी करते हैं.
लाल किताब कुण्डली के तीसरे घर में मंगल को भरोसा करने वाला नहीं माना जाता है. परंतु इसके बद होने और शनि के भी खराब होने की स्थिति में चारों ओर मंदा प्रभाव ही पड़ता है. व्यक्ति के जीवन में अकारण खराबियां उत्पन्न हो सकती हैं. उसे आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन व्यक्ति अपने परिवार के लिए सहायक अवश्य रहता तथा उसकी सहायता में उसे तत्पर रहना पड़ता है.
मंगल और राहु | Mars and Rahu
लाल किताब कुण्डली के तीसरे घर में राहु की स्थिति मिथुन राशि में होती है और इस राशि में राहु अच्छी स्थिति को पाता है. मंगल के साथ राहु की स्थिति होने से यह व्यक्ति के लिए अनुकूल फल देने में तब प्रभावशाली होता है. जब राहु का फल सहायक ग्रहों के द्वारा या उनकी दृष्टि से उत्तम होता है तो व्यक्ति राज के समान प्रभावशाली होता है. व्यक्ति को मंगल व शनि का प्रभाव अच्छा मिल रहा हो तो व्यक्ति को आगे बढ़ने के अच्छे अवसर प्राप्त होते हैं.
मिथुन राशि में राहु उच्च के फल देने वाला माना गया है. इसके प्रभाव से व्यक्ति को अनेक अच्छे लाभ प्राप्त होते हैं यदि अन्य ग्रहों की इस पर शुभ दृष्टि होने से फल की प्राप्ति भी अनुकूल रहती है. जातक को अनेक स्थानों पर इसका लाभ प्राप्त होता है.
जातक राजा के समान सुख भोगने वाला होता है तथा उसे सम्मान और प्रसिद्धि भी प्राप्त होती है. जब दोनों की हालत मंदी हो तो जातक को सुख में कुछ कमी झेलनी पड़ सकती है. इस स्थिति में राहु बिगडैल हो जाता है और अपनी मन मर्जी का करने वाला होता है. इस कारण वह अपने ही कामों को खराब कर सकता है.
मंगल और केतु | Mars and Ketu
मंगल के साथ केतु की तीसरे घर में स्थिति में कन्या की स्थिति पर इसका प्रभाव तब अच्छे से फलित होता है, जब कुण्डली टेवे में शनि और शुक्र संयुक्त हों तो केतु उच्च की स्थिति को पाता है. अब मंगल के साथ केतु की स्थिति होने से मंगल नेक माना जाएगा. अन्यथा इन दोनों का संबंध बद होने से खराब स्थिति होती है. मंगल के साथ केतु के उपाय करने के लिए चंद्र का सहयोग लिया जाता है.