लाल किताब में छठे घर को पाताल कहा जाता है, इसे पाताल की दुनिया, रहम का खजाना और खुफिया मदद का घर भी कहते हैं. इस घर से माता-पिता और ससुराल के साथ संबंधों का विचार करते हैं. इस घर के कारक ग्रह केतु माने गए हैं और स्वामी बुध कहे गए हैं. जब हम छठे घर के शुभाशुभ फलों का विचार करते हैं तो उस समय दुसरे और आठवें घर की स्थिति पर भी ध्यान देना होता है. क्योंकि इन तीनों घरों का दृष्टि संबंध मुख्य रूप से जुडा़ होता है.
पाताल खाली घर जब तक रहता नेक असर कुल देता हो
दूजे बैठे की पहली अवस्था असर छठे पर होता हो
यदि खाना नम्बर 6 खाली हो तो खाना नम्बर 2 और 12 के ग्रह सोए हुए होते हैं. आठवां देखता है दूसरे घर को दूसर घर देखता है. छठे घर को छठा घर देखता है 12वें घर को. यदि खाना नम्बर 2 और 12 में अच्छा ग्रह हो तो खाना नम्बर 6 को जगा लेने में सहायक होता है. इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यदि खाना नम्बर 6 में कोई ग्रह नहीं हो तो जातक अपने मामा के बच्चओं या परिवार की कन्याओं का आदर भाव करने वाला हो तो इससे उसे शुभ फलों की प्राप्ति हो सकेगी. इसका कारण इससे स्पष्ट होता है कि दूसरे घर में बैठे शुभ ग्रह का प्रभाव छठे पर अवश्य पड़ता है.
जो भी ग्रह छठे घर में बैठेगा वह अपनी संबंधित वस्तुओं के विषय में अपनी ग्रहचाल आयु तक मंदा प्रभाव देगा. सूर्य, गुरू और चंद्रमा को छोड़कर छठे घर में सभी ग्रह इस घर में ग्रहफल के होंगे और ग्रहफल का कोई उपाय नहीं है. इसी प्रकार बुध और केतु मुख्य रूप से 6 और 8 से बैठे हुए अपनी ग्रह आयु तक मंदे होंगे.
बुध , केतु या शुक्र कुण्डली में जहां बैठे हों, छठे घर के ग्रह का प्रभाव उन घरों पर भी पड़ सकता है. नम्बर 6 में शनि खाना नम्बर 2 को देखता है. यदि दूसरे घर में सूर्य या चंद्रमा हो तो चौथे घर का मंगल बद मंगल नहीं होता है. बुध और राहु खाना नम्बर 6 में उच्च के माने गए हैं और साथ ही वह केन्द्र स्थानों पर बुरा प्रभाव नहीं देते हैं. छठे घर का फल निर्धारण खाना नम्बर 2 और 8 की दृष्टि से किया जाता है.
अकेला बैठा या हो अलग बंद मुट्ठी के खानों में
नौ ही ग्रह पाताल में बैठे देखा करें उन तरफों में
दस पंजवें का दुशमन जहरी हुकम राहु का पाता हो
साथ मगर 2-8 दृष्टि फैसला 6 का होता हो
दूसरे घर में स्थित ग्रह छठे घर पर अपना प्रभाव देते हैं जिस कारण प्रभाव पूर्ण रूप से स्पष्ट होते हैं, परंतु छठा घर रिक्त हो वहां कोई भी ग्रह नहीं बैठा हो तो दूसरे घर के ग्रह सोई हुए मान लिए जाते हैं. इसी बात में एक ओर बात समझने योग्य है कि छठे घर के ग्रह 12वें घर को भी देखते हैं और अगर 6 घर खाली हो तो 12वें घर को देखने वाला कोई ग्रह न होने पर भी सभी ग्रह सो जाते हैं.
सूर्य का छठे घर में फल
यह भाव रोग का और कर्ज का घर माना जाता है. जातक में गुस्सा अधिक होगा. मान सम्मान और अपना रसूख दिखाने वाला होगा. जीवन साथी सुंदर और योग्य होता है. वह गलत भी हो लेकिन बहुत आसानी से सभी के सामने नही आता है. जात्क का जन्म अपने पैतृक घर में होता है. जातक के जन्म समय उसके पिता की हालत अधिक अच्छी न हो. काम काज में अस्थिरता अधिक रह सकती है.
उपाय
छठे घर में चंद्रमा का फल
लाल किताब के छठे घर में चंद्रमा को अच्छा नही माना जाता है. यहां बैठे चंद्रमा को खारा पानी भी कहा जाता है. शत्रु अधिक प्रभाव डालने वाले होंगे. वृद्धावस्था में अधिक परेशानी उठानी पड़ सकती है. व्यक्ति दूसरे के साथ वैसा ही करता है जैसा उसे उस से मिला होता है. अर्थात जातक अच्छे के साथ अच्छा और बुरे के साथ बुरा ही होता है.
उपाय
छठे घर में शुक्र का फल
शुक्र के प्रभाव से जातक मौज मस्ती करने वाला, फिजूलखर्च अधिक करने वाला हो सकता है. घर में व्यक्ति वरिष्ठ सदस्य की भांति हो सकता है. शुक्र 6 के प्रभाव में नकारात्मकता आर्थिक क्षेत्र को प्रभावित करने वाली होती है. जातक का सामान चोरी बहुत हो सकता है.अगर व्यक्ति ने अपने पास पशु पालन कर रहा है तो उसके पशु चोरी भी हो सकते हैं. छठे घर में शुक्र नीचस्थ हो जाता है. शुक्र के प्रभाव से कन्या संतान अधिक होगी.
उपाय
छठे घर में मंगल का फल
मंगल अगर नेक हैं तो जातक साहसी होगा. अपनी मेहनत से किस्मत चमकाता है. परिवार का पालन पोषण करने वाला होता है. शासक होता है. न्याय करने में तेज होता है. इस स्थान पर मंगल के होने से जातक के भाई, बहन , माता को कष्ट हो सकता है. जातक के भाई अगर उससे अमीर होंगे तो उन्हें बहुत हानि उठानी पड़ सकती है.
उपाय
बुध का छठे घर में फल
बुध की स्थिति इस भाव में सामान्य होती है. यह बुध का उच्च स्थान भी है. लेकिन केतु का घर भी यही घर है. जातक अपनी मेहनत से धन कमाएगा. उसकी वाणी में सत्यता भी होगी. लिखने पढ़ने से जुड़ा काम व्यक्ति को शुभ फल देने में सहायक होगा. कारोबार में अच्छा करेगा लेकिन जिसमें लेखन या शिक्षा से जुड़ा काम अच्छा होगा. बुध का खराब फल उसके सहयोगी ग्रहों के आधार पर भी निर्भर करता है. मकान के उत्तर दिशा में अगर नया रास्ता बनाया गया हो तो वह खराब करता है. जातक की लालची प्रवृत्ति उसके लिए परेशानी का कारण बनती है.
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छठे घर में शनि का फल
लाल किताब के छठे घर में शनि का होना व्यक्ति को बुद्धिमान और एक अच्छा कारीगर बनाता है. शनि के मंदे होने पर जूते चप्पल खोते हैं और लोहे की वस्तुएं भी खोने लगती हैं. चमडे़ की वस्तुएं लाने के कारण बुरा प्रभाव जातक पर बुरी तरह से प्रभावित करता है. जातक का विवाह अगर 28 वर्ष से पहले होना खराब फल देने वाला होगा.
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छठे घर में राहु का फल
राहु को इस स्थान पर फांसी का फंदा टालने वाला सहायक माना गया है. जातक निजी सुख सुविधाओं को पाने में सक्षम होता है. शत्रुओं पर विजय पाने में भी सक्षम होता है. जातक किसी ऎसे विभाग में उन्नती पाता है जहां गुप्तचरी के काम होते हों. जातक में आत्मविश्वास भी बहुत होता है. उसका मनोबल भी उन्नत होता है. जातक अधिक साहसी होगा वह किसी कार्य से डरेगा नहीं. जातक अगर अपने भाई-बहन के साथ लड़ता है तो उसके लिए बहुत ही खराब होगा.
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छठे घर में केतु का फल
केतु के लिए छठा घर अपना घर होता है. यहां केतु मंदा नही होता है. केतु के प्रभाव के कारण बृहस्पति भी शुभ हो जाता है. इस घर में केतु के प्रभाव से शत्रु हावि नही होते हैं, व्यक्ति आर्थिक रुप से संपन्नता पाता है. केतु ग्रहों के योग द्वारा मंदा हो रहा होगा तो व्यक्ति में कायरता का भाव दिखाई देगा. माता और उसके परिवार के लिए मंदा होगा.
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