लाल किताब अनुसार बारह वर्ष तक की आयु के बच्चों का वर्ष फल बनाकर उपाय बताना सही नहीं होता. कुछ हालातों में बारह साल की आयु तक कुछ टेवे नाबालिग होते हैं ऎसी कुण्डली पर बच्चे की बारह साल की आयु तक अभी उसके पूर्व जन्म के कर्मों का ही असर प्रभावी रहता है. परंतु यदि बच्चे के लिए कुण्डली का फल कथन करने की अधिक आवश्यकता हो या नाबालिग कुण्डली होने पर बच्चे के लिए उपाय करना हो तो आयु का साल और भाव संख्या के अनुसार ग्रह को देखकर पूर्ण विवेचन किया जाता है. यदि भावों में कोई ग्रह न हो तो जो उस भाव की राशि का मालिक हो उसे ग्रह माना जाता है. यहां यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि भाव के कारक को ग्रह नहीं लेना है.
इसी प्रकार जातक की बारह वर्ष तक की उम्र की कुण्डली भी नाबालिग कुण्डली कही जाती है. इस समय फलित देखने के लिए लाल किताब में निम्न नियम दिए गए हैं जो इस प्रकार से हों.
- प्रथम वर्ष के लिए फलित जानना चाहते हैं तो उसके लिए कुण्डली में सप्तम भाव और उसमें स्थित ग्रहों का प्रभाव देखना होता है.
- दूसरे वर्ष का फलित जानने के लिए चाहिए की लाल किताब कुण्डली के अनुसार चौथे भाव और उसमें स्थित ग्रहों के प्रभावों का विवेचन करना होगा.
- तीसरे वर्ष का फल प्रभाव जानने के लिए कुण्डली के नवम भाव और उसमें स्थित ग्रहों के प्रभावों के बारे में जानना होगा.
- चौथे वर्ष की कुण्डली का विवेचन करने के लिए दसवें भाव और उसमें स्थित जो भी ग्रह है उसके प्रभावों को देखना चाहिए.
- पांचवें वर्ष की कुण्डली का फल जानने के लिए ग्यारहवें भाव और उसमें स्थित ग्रहों का प्रभाव देखना होता है.
- छठे वर्ष कि कुण्डली का विवेचन एवं उसके फल को जानने के लिए लाल किताब की कुण्डली में तीसरे भाव का और उसमें बैठे ग्रहों के प्रभावों को जानने प्रयास करते हैं.
- सातवें वर्ष की कुण्डली के फलों को जानने के लिए दूसरे भाव और उसमें स्थित ग्रहों की स्थित का पता लगाना होता है.
- आठवें वर्ष के फल एवं प्रभावों को जानने के लिए कुण्डली के पंचम भाव और उस भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति का विवेचन करने की आवश्यकता होती है.
- नवें वर्ष में फलित जानने के लिए कुण्डली के छठे भाव और उसमें स्थित ग्रहों के प्रभाव को देखा जाता है.
- दसवें वर्ष के फलित को जानने के लिए लाल किताब कुण्डली के द्वादश भाव और उसमें स्थित ग्रहों के प्रभाव को देखा जाता है.
- ग्यारहवें वर्ष में फलित का विवेचन लाल किताब की कुण्डली के प्रथम भाव से देखा जाता है और इस भाव में स्थित ग्रहों का उस पर पूर्ण प्रभाव होता है.
- बारहवें वर्ष का लाल किताब फलित जानने के लिए अष्टम भाव और इस भाव में स्थित ग्रहों का प्रभाव देखा जाता है.
इसी प्रकार यदि कुण्डली के इन भावों में कोई ग्रह स्थित न हो तो ऎसी स्थिति में उस भाव में स्थित राशि का स्वामी कुण्डली के जिस भाव में जहां पर भी स्थित होता है वहां से विचार किया जाता है.