चंद्र द्रेष्काण:चंद्रमा के द्रेष्काण में मंगल का फल
द्रेष्काण द्वारा ग्रहों की युति का जातक के जीवन में बहुत गहरा प्रभाव प्रतिफलित होता है. इसके साथ ही जातक के जीवन में होने वाले बदलावों को भी इसी से समझने में बहुत आसानी रहती है. देष्काण कुण्डली का प्रभाव ग्रहों की स्थिति को समझने में तथा उनसे मिलने वाले फलों को जानने के लिए बेहद उपयोगी माना गया है. इस स्थिति में व्यक्ति का प्रभाव क्षेत्र किस प्रकार का है इसे सफलता पूर्वक समझा जाता है.
द्रेष्काण में ग्रह का समक्षेत्री, मित्र क्षेत्री होना स्वराशि में होना अनुकूल फल देने वाला माना गया है. इससे ग्रहों की स्थिति एवं उनके द्वारा जीवन में आने वाले उतार-चढावों को समझने में आसानी होती है. वर्गों में ग्रहों की स्थिति से समझा जा सकता है कि ग्रह किस प्रकार का फल देने में सक्षम होगा और उसकी युति का प्रभाव कितना पड़ने वाला है. ग्रह का मित्र द्रेष्काण में जाना अनुकूलता का कारण माना गया है परंतु यदि वह इसके विपरीत हो तो ग्रह की शुभता में कमी का अभाव रह सकता है. कुण्डली में यह स्थिति ग्रह के प्रभावों को समझने में काफी सहायक बनती है.
मंगल का चंद्रमा के द्रेष्काण में जाने का नियम | Rules For Mars Entering Moon Dreshkona
मंगल यदि चंद्रमा के द्रेष्काण में जाए तो इस स्थिति को इस प्रकार समझा जा सकता है :-
मंगल यदि कर्क राशि में 0 से 10 अंशों तक होगा तो चंद्रमा के ही द्रेष्काण कर्क राशि में जाएगा.
मंगल यदि मीन राशि में 10 से 20 अंशों तक का होगा तो चंद्रमा के द्रेष्काण कर्क राशि में ही जाएगा.
मंगल यदि वृश्चिक राशि में 20 से 30 अंशों के मध्य में स्थित होगा तो चंद्रमा के द्रेष्काण कर्क राशि में जाएगा.
मंगल का चंद्र द्रेष्काण में होने का प्रभाव | Effect Of Mars In Moon Dreskona
मंगल का चंद्रमा के द्रेष्काण में होना मंगल की स्थिति को मजबूत बनाने में सहायक होता है. यह स्थिति किस भाव में बन रही है यह देखने पर ही ग्रहों के प्रभावों को समझा जा सकता है जो एक बहुत महत्वपूर्ण तथ्य है, मंगल और चंद्रमा का संबंध नैसर्गिक मित्रता वाला होता है. मंगल यदि चंद्रमा के द्रेष्काण में हो तो जातक धनवान किंतु व्यस्नों से ग्रस्त हो सकता है. दुष्टता से पूर्ण काम करने वाला हो सकता है. मन से द्वेषी रह सकता है तथा राजाओं में प्रख्यात हो सकता है. गुणों से युक्त तथा मित्रों की अधिकता पाता है. स्त्रियों की संगत में रहने वाला हो सकता है.
मंगल कर्क राशि में 0 से 10 अंशों तक | Mars In Cancer Sign 0-10 Degree
मंगल यदि कर्क राशि में 0 से 10 अंशों तक होगा तो चंद्रमा के ही द्रेष्काण कर्क राशि में जाएगा. उक्त स्थान पर पुनरावृत्ति होने के कारण मंगल को अधिक मजबूती एवं बल की प्राप्ति होती है. जातक अपने किसी भी प्रयास में कोताही नहीं बरतता है. वह कार्यस्थल पर अपनी स्थिति को प्रबल रूप से सामने लेकर आता है. विचारों के द्वंद में होते हुए भी वह स्थिति की गंभीरता को समझता है और उसके अनुरूप कार्य करने की कोशिश भी करता है. जातक में कठोरता हो सकती है तथा उसका मन गंभीर विषयों की उन्मुख रहते हुए अव्यवस्थित सा रह सकता है.
मंगल मीन राशि में 10 से 20 अंशों तक | Mars In Pisces Sign 10-20 Degree
मंगल यदि मीन राशि में 10 से 20 अंशों तक का होगा तो चंद्रमा के द्रेष्काण कर्क राशि में ही जाता है. जातक में धर्म कर्म के प्रति अधिक उत्सुकता देखी जा सकती है वह धार्मिक क्रिया कलापों को करने में निपुण रहता है. संरक्षक के रूप में वह दूसरों के लिए सेवा भाव से जुडा़ होता है. व्यक्ति के मन में निरंतर कल्पनाएं जन्म लेती रहती हैं मन से यह बेचैन हो सकते हैं. अपने संबंधों के प्रति संवेदनशील होते हैं यह प्रेम को भावनात्मक स्तर पर चाहते हैं.
मंगल वृश्चिक राशि में 20 से 30 अंशों तक | Mars In Scorpio Sign 20-30 Degree
मंगल यदि वृश्चिक राशि में 20 से 30 अंशों के मध्य में स्थित होगा तो चंद्रमा के द्रेष्काण कर्क राशि में जाएगा. यहां जातक का स्वभाव कुछ आक्रामक व उग्र हो सकता है. वह अपने विचारों पर अडिग रह सकता है और किसी भी प्रकार से अपना प्रतिकार नहीं सह पाता है. जातक में बार-बार प्रयास करते रहने की कोशिश देखी जा सकती है. वह अपने विचारों के समक्ष दूसरों के हितों को स्थान नहीं दे पाता तथा स्वयं को सर्वप्रमुख मान सकता है. मन से काफी विचलित रह सकता है.