व्यवसाय में सफलता दिलाने में सूर्य ग्रह का महत्व
व्यवसाय क्षेत्र में व्यक्ति का रुझान किस ओर रह सकता है या कौन सा ग्रह जातक के व्यवसाय के लिए अनुकूल रह सकता है इन बातों को जानने से पूर्व ग्रहों की व्यवसाय क्षेत्र में महत्ता को समझने की आवश्यकता होती है. कौन सा ग्रह किस व्यवसाय के लिए अनुकूल रह सकता है इस बात को समझना अत्यंत आवश्यक होता है कौन सा ग्रह कौन सी आजीविका तय करता है. तभी व्यवसाय क्षेत्र का निर्धारण करने में आसानी होती है. इस विषय का आंकलन ज्योतिष द्वारा किया जा सकता है.
सूर्य ग्रह का व्यवसाय निर्धारण में योगदान | Contribution of Sun In Determining Success In Business
सूर्य सूर्य उन्न्त दर्जे के काम धंधे को दर्शाता है. बहुत स्थानों से संबंधित होने वाला होता है. सूर्य स्वयं राजा है व राजपुरूष है इसलिए जब सूर्य से संबंधित व्यवसाय के बारे में विचार किया जाता है तो उन कार्यों का संबंध राज्य से अवश्य आता है. अगर सूर्य बलवान है तो सरकार से अच्छे लाभ की प्राप्ति में सहायक बनता है. यदि मध्यम बली हो तो व्यक्ति को राज्याधिकारी बनता है, इसी के साथ यदि सूर्य लग्न, लग्नेश, चंद्र राशीश के साथ मजबूत संबंध बनाता है तो व्यक्ति मंत्र पद, मंत्रालय का काम या अन्य प्रकार के उच्च स्तरीय कार्य देता है.
सूर्य अग्नि तत्व है मंगल और केतु के साथ मिलकर अग्नि संबंधी कामों जैसे बिजली के सामान का काम, तोप या बंदुक का काम, रेस्टोरेंर या हलवाई संबंधी कार्य दे सकता है. सूर्य के साथ पंचमेश या नवमेश का संबंध बनता हो तो जातक अपने पिता या पारीवारिक काम को आगे बढ़ सकता है.
सूर्य वैद्यक से भी संबंधित होता है अत: जब कुण्डली में चिकित्सा संबंधी योगों का निर्माण हो रहा हो और उनके साथ सूर्य संबंध बना रहा हो तो जातक डाक्टर अथवा वैद्य क्षेत्र में भी काम कर सकता है. सूर्य एक सात्विक ग्रह है अत: जब यह गुरू या नवमेश आदि ग्रहों के साथ हो तो धार्मिक काम धन्धों का भी कारक बन सकता है. मंदिर का पुजारी या धर्म संस्था से जुडा़ हो सकता है.
सूर्य लकडी़ का भी कारक है अत: जब सूर्य चतुर्थेश होता है या चौथे भाव से संबंध बनाता है तो जातक लकडी़ बेचने के काम को भी कर सकता है, फर्नीचर बेचने वाला या इमारती लकडी़ बनाने का काम कर सकता है. चौथे भाव से घर के पुर्ननिर्माण इत्यादि से संबंधित होता है जहां इसका योगदान हो सकता है.
सूर्य आत्मा के कारक ग्रह है. व्यक्ति की आजीविका में सूर्य सरकारी पद का प्रतिनिधित्व करता है. व्यक्ति को सिद्धान्तवादी बनाता है. इसके अतिरिक्त सूर्य कार्यक्षेत्र में कठोर अनुशासन अधिकारी, उच्च पद पर आसीन अधिकारी, प्रशासक, समय के साथ उन्नति करने वाला, निर्माता, कार्यो का निरिक्षण करने वाला बनाता है. आईए भचक्र में सूर्य से परिचय करते है.
कुण्डली में सूर्य के बल के मुताबिक जीवन में शक्ति होती है जिस कुंडली में सूर्य कमजोर रहता है वह जातक शारीरिक रूप से कमजोर होता है इसलिए वह पूर्ण फल नहीं दे पाता. कुंडली का अध्ययन करते समय कुंडली में सूर्य की स्थिति, बल तथा कुंडली के दूसरे शुभ तथा अशुभ ग्रहों के सूर्य पर प्रभाव को ध्यानपूर्वक देखना अति आवश्यक होता है.
सूर्य कि कुंडली में मजबूत स्थिति व्यक्ति को कुछ अधिक सशक्त बना देती है. ग्रहों में सबसे प्रमुख हैं. आध्यात्मिक विद्या, अग्नि एवं तेज है, किसी की अधीनता स्वीकार नहीं करता, वह आदेश देता है अपने महत्व एवं मर्यादा को समझता हैं. जिसका सूर्य बलवान है, वह उन्नति, वृद्धि, निर्माण करने वाला होता है.
व्यक्ति भावनाओं को नियंत्रण में रखना जानता है कोई भी निर्णय सोच विचार कर ही लेता है भावनाओं में बहकर नहीं लेता अपने निर्णय पर अड़िग रहते हुए कभी कभी कठोर प्रतीत होता है. व्यवसाय से संबंध रखने पर इन सभी का होना महत्वपूर्ण व आवश्यक हो जाता है. सूर्य का बली होना व्यक्ति में जिम्मेदारियों को उठाने वाले बनाता है. यह ज्वलंत ग्रह है सूर्य कर्ता है, राजा है और मुखिया है.
सूर्य नेतृत्व और प्रभुत्व का भाव दर्शाता है इसलिए यह उन लोगों से जुडा़ हो सकता है जो उच्चाधिकारी, नेता, प्रतिष्ठित व्यक्ति हों. सोने का काम करने वाले, जौहरी, फाईनान्सर, प्रबन्धक इत्यादि़. व्यवसायों का संबंध सूर्य से आने पर व्यक्ति को मेहनत व प्रयास करने से सफलता मिलती है.