वर्षफल कुण्डली के तीसरे भाव में ग्रहों का महत्व | Varshphal Kundali and Analysis of Third House
वर्ष फल कुण्डली जिसे ताजिक भी कहा जाता है, ज्योतिष शास्त्र की तीन शाखाओं में से एक है. वर्ष फल मुख्यत: किसी विशेष घटनाओं को अध्ययन करने के संदर्भ में प्रयुक्त किया जाता है. फलों को जानने के लिए उनमें सभी विभिन्न भावों में स्थित ग्रहों के कारकों का फल देखना होता है जिसके अनुसार वह अपने फल देने में सक्ष्म होते हैं. ज्योतिष शास्त्र में वर्ष कुण्डली पराशरी पद्धति का ही एक अंग है, पराशरी पद्धति और वर्ष कुण्डली में कुछ समानताएं रहीं हैं. इस संदर्भ में वर्ष कुण्डली में पराशरी ज्योतिषशास्त्र पद्धति के कुछ तत्व अत्यंत महत्वपूर्ण रहे हैं.
सूर्य ग्रह | Sun Planet
ज्योतिष अनुसार तीसरे भाव में सूर्य के स्थित होने से जातक धनी एवं सम्माननीय व्यक्ति होता है. स्वस्थ व चरित्रवान होता है, जातक नैतिक, प्रसिद्ध और राजा तुल्य जीवन पाता है. मिथुन राशि में, तुला और धनु राशि में सूर्य जातक को लेखक, प्रकाशक और विद्या के प्रति उत्सुक बनाता है.
चंद्र ग्रह | Moon Planet
चन्द्र के प्रभाव स्वरूप ज्ञान के प्रति रूचि होती है, व्यक्ति साहसी बनता है मानसिक स्थिरता बनी रहती है. व्यक्ति कपडों का अथवा भोजन का शौकिन होता है. चंद्र के निर्बल होने के कारण पारिवारिक तनाव की स्थिति बनी रहती है. सांस की तकलीफ हो सकती है. यात्रा में परेशानी दुर्घटना की संभावना बनी रह सकती है.
मंगल ग्रह | Mars Planet
मंगल ग्रह के प्रभाव स्वरूप जातक भाईयों के मध्य सबसे बडा़ या सबसे छोटे हो सकता है. अधिकतर यह अनुज रिक्तता सूचक होता है, साहस तेज, भुजा-बल अधिक होता है. परंतु खराब होने पर आत्महत्या प्रवृत्ति युक्त हो सकता है. रक्त विकार, दुर्घटनाओं का भय हो सकता है. पडोसियों से भय व लडा़ई-झगडा़ बना रह सकता है.
बुध ग्रह | Mercury Planet
तृतीय भाव में बलिष्ठ बुध के होने से शिक्षा अच्छी होती है. शुभ विद्या लेखन में योग्यता बनी रहती है. जातक स्मरण शक्ति में मजबूती आती है, प्रकाशन, अध्ययन के प्रति अभिरूचि बढ़ती है. कमजोर व निर्बल होने पर चिंता से घिरा हुआ, कमजोर और शिक्षा में अरूचि पाता है.
बृहस्पति ग्रह | Jupiter Planet
बृहस्पति अर्थात गुरू के तृतीय भाव में होने के फलस्वरूप जातक धनी व योग्य बनता है. परंतु नीच, अशुभ ग्रहों से दृष्ट या कमजोर होने पर शुभता में कमी आती है जीवन में सही व उचित का निर्णय लेने में देरी व कमी बनी रहती है.
शुक्र ग्रह | Venus Planet
शुक्र के बलिष्ठ होने पर व्यक्ति कला से युक्त होता है, व्यक्ति में कलात्मक समझ होती है, जीवन में प्रेम व सौंदर्य का संगम बना रहता है. प्रकृति से प्रेम व यात्रा इत्यादी से लाभ और आनंद की प्राप्ती होती है. कमजोर होने पर विवाह में विलंब और तनाव की स्थिति बनी रहती है.
शनि ग्रह | Saturn Planet
शनि के तृतीय भाव में होने के कारण जातक भाई बहनों से युक्त होता है, बलिष्ठ होने पर जिम्मेवार व्यक्ति व दर्शन शास्त्र का जानकार बन सकता है. अध्ययन और लेखन से लाभ पाता है, अशुभ होने पर भाईयों से तनाव हो सकता है. व्यवहार से कृतघ्न व चालाक हो सकता है, सफलता पाने के लिए कठोर परिश्रम करता है.
राहु ग्रह | Rahu Planet
राहु के होने पर व्यक्ति अपने भाई बहनों के मध्य छोटा या सबसे बडा़ होगा. साहस से पुर्ण निर्भय होगा. भाग्यशाली, शुभ कामों से लाभ पाने वाला लेखन और प्रकाशन से लाभ मिलता है.
केतु ग्रह | Ketu Planet
स्वराशि और उच्चता युक्त होने पर जीवन में खुशहाल रहता है, धनी, काम आकर्षण से युक्त होता है, कमजोर होने पर दुखी, भयभीत होता है, मित्रों से असुरक्षा की भावना बनी रहती है.