भचक्र में स्थित सभी बारह राशियों का अपना स्वतंत्र महत्व होता है. सभी के अपने कारकत्व, विशेषताएँ और महत्व होता है. जब कोई एक राशि लग्न में उदय होती है तब उसका प्रभाव व्यक्ति विशेष की कुंडली पर पड़ता है.
राशियों की इस श्रृंखला में आज हम कर्क राशि के बारे में बात करेगें कि जब यह लग्न में उदय होती है तब क्या - क्या प्रभाव पड़ता है. कर्क लग्न के लिए शुभ - अशुभ ग्रहो की चर्चा भी की जाएगी.
कर्क राशि की विशेषताएँ | characteristics of Cancer Sign
कर्क राशि भचक्र की चतुर्थ राशि है और इसका विस्तार 90 अंश से 120 अंश तक फैला हुआ है. इस राशि का स्वामी ग्रह चंद्रमा है और इसका चिन्ह केकड़ा होता है. केकड़ा पानी के पास दलदली जमीन में रहता है.
इस राशि का तत्व जल होता है और यह स्त्री संज्ञक राशि होती है इसलिए इस राशि के पुरुषों में भी स्त्रियोचित्त व्यवहार देखने को मिल सकता है. कर्क राशि की गणना चर राशि में होती है इसलिए इस राशि के प्रभाव वाला व्यक्ति सदा कुछ ना कुछ करते रहता है.
कर्क लग्न के व्यक्ति का व्यक्तित्व | Cancer Ascendant and Your Personality Traits
कर्क लग्न के व्यक्ति का व्यक्तित्व कैसा होगा, आइए इस पर चर्चा करते हैं. यदि आपका लग्न कर्क है तब चंद्र कलाओ की भांति आपका मूड बना रहेगा, इसका अर्थ यह हुआ कि आप किसी भी बात पर बहुत जल्दी नाराज हो सकते हैं तो शीघ्र ही किसी अन्य बात पर खुश भी हो सकते हैं.
कर्क लग्न जल तत्व होता है इसलिए आप अत्यधिक भावुक व्यक्ति होगें. आप दूसरों के दुख से भी जल्दी ही पिघलने वाले व्यक्ति होगें. जरा - जरा सी बात से आपका मन बेचैन व व्याकुल हो सकता है. अत्यधिक भावुक होने से आपकी भावनाएँ आपके सभी निर्णयों में शामिल हो सकती है. इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले आपको एक बार विचार अवश्य कर लेना चाहिए.
आप लचीले स्वभाव के व्यक्ति होते हैं इसलिए हर तरह की परिस्थिति में स्वयं को ढ़ालने में सक्षम भी होते हैं. आप केकड़े के समान होगें अर्थात जिस प्रकार केकड़ा अपने पंजें में एक बार किसी चीज को जकड़ लेता है तब उसे आसानी से छोड़ता नही हैं. उसी प्रकार आप जिस बात को पकड़ लेगें फिर उसे नहीं छोड़ेगें. एक बार जो मित्र बन गया उसकी मित्रता के लिए जी जान भी दे देगें लेकिन जिससे शत्रुता हो गई फिर उस से अच्छी तरह से शत्रुता ही निभाएंगे.
यदि किसी व्यक्ति से आप भावनात्मक रुप से जुड़ जाते हैं तब बरसों तक आप उसे निभाते भी हैं. आप बड़ी - बड़ी योजनाओ के सपने अधिक देखते हैं लेकिन साथ ही आप परिश्रमी व उद्यमी भी होते हैं. आपको कला से संबंधित क्षेत्रों में रुचि होती है. इसके अलावा आपको प्राकृतिक सौन्दर्य से भी लगाव होता है. आपको जलीय स्थान अच्छे लगते हैं और आप भ्रमणप्रिय व्यक्ति होते हैं.
कर्क लग्न के लिए शुभ ग्रह | Auspicious Planets for Cancer Ascendant
कर्क लग्न के लिए कौन से ग्रह शुभ फल देगें उसके बारे में बात करते हैं. कर्क लग्न का स्वामी चंद्रमा होता है इसलिए आपके लिए यह अति शुभ प्रदान करने वाला ग्रह होगा. इस लग्न के लिए मंगल योगकारी ग्रह होता है इसलिए यह भी आपके लिए अति शुभ होगा.
मंगल पंचम भाव और दशम भाव का स्वामी होने से शुभ फल प्रदान करता है. पंचम त्रिकोण स्थान तो दशम केन्द्र स्थान होता है और केन्द्र्/त्रिकोण का संबंध होने पर शुभ फल मिलते हैं. गुरु इस लग्न के लिए भाग्येश होकर अति शुभ फल प्रदान करने वाला ग्रह होता है. गुरु की दूसरी राशि मीन नवम भाव में आती है. हालांकि गुरु की मूल त्रिकोण राशि, धनु छठे भाव में आती है लेकिन तब भी गुरु अशुभ फल नहीं देते हैं.
कर्क लग्न के लिए अशुभ ग्रह | Inauspicious Planets for Cancer Ascendant
अंत में कर्क लग्न के लिए अशुभ ग्रहों की बात करते हैं. इस लग्न के लिए सूर्य सम माना जाता है क्योकि यह दूसरे भाव के स्वामी हैं और दूसरा भाव सम होता है. दूसरे भाव को मारक माना गया है लेकिन सूर्य को मारक का दोष नहीं लगता है. इसलिए यह कर्क लग्न के लिए सम हो जाते हैं.
इस लग्न के लिए बुध तीसरे और द्वादश भाव के स्वामी होने से अति अशुभ होते हैं. शुक्र चतुर्थ व एकादश भाव के स्वामी है लेकिन शुभ नहीं है. चतुर्थ भाव केन्द्र स्थान होने से तटस्थ हो जाता है और एकादश भाव त्रिषडाय भाव कहा जाता है.
कर्क लग्न के लिए शनि सबसे अधिक अशुभ माने जाते हैं क्योकि यह दो अशुभ भावों के स्वामी बन जाते हैं. शनि सप्तम भाव व अष्टम भाव के स्वामी हैं और दोनो ही भाव अशुभ हैं. सप्तम भाव मारक तो अष्टम भाव त्रिक भाव है.
कर्क लग्न के लिए उपाय | Remedies for Cancer Ascendant
अंत में आपको कर्क लग्न के लिए शुभ रत्नो के बारे में भी बता देते हैं. आपके लिए मोती, मूंगा व पुखराज धारण करना शुभ होगा. अगर आप महंगे रत्न खरीदने में असमर्थ हैं तब आप चाहे तो इनके उपरत्न भी पहन सकते हैं.
लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि इन रत्नों को आप तभी पहनें जब इनके स्वामी ग्रह कुंडली में कमजोर अवस्था में स्थित हों. आप चंद्रमा के लिए मोती, मंगल के लिए मूंगा व गुरु के लिए पुखराज पहन सकते है.
यदि आपकी जन्म कुंडली में किसी अशुभ ग्रह की दशा या अन्तर्दशा चल रही हो तब आप उसके मंत्रों का जाप अवश्य करें इससे अशुभ फलों में कमी होगी. आपकी कुंडली में जिस ग्रह की दशा चल रही हो उससे संबंधित दान व व्रत भी आप कर सकते हैं.