Articles in Category Basic Astrology

लाभ पर केतु कैसे डालता है असर जाने अपनी कुंडली से

ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों और राशियों का अपना-अपना महत्व है. वैदिक ज्योतिष में किसी भी अन्य घर की तुलना में ग्यारहवां घर अधिक महत्वपूर्ण है. ग्यारहवां भाव केतु के लिए शुभ फल देता है. केतु इस

सूर्य राशि से जाने जीवन में सफलता स्वभाव और विशेषता का गुण

सूर्य राशि की स्थिति का असर चंद्रमा के अनुरुप ही विशेष होता है. पाश्चात्य ज्योतिष में विशेष रुप से सूर्य को आधार मानक भविष्यवाणी होती है. वहीं किसी कुंडली के आधार स्तंभ के रुप में सूर्य चंद्रमा ओर

शनि के साथ मंगल का षडाष्टक होना देता है गंभीर प्रभाव?

शनि और मंगल से बनने वाला षडाष्टक योग कई तरह से कुंडली पर अपना असर डालता है. सामान्य रुप से यह एक विपरित स्थिति को ही अधिक दर्शाता है. यह खराब योगों के रुप में जाना जाता है. ग्रह की ये स्थिति कई बार

शुक्र के आत्मकारक होने पर मिलता है विशेष लाभ

ग्रहों में आत्मकारक रुप जैमिनी के महत्वपूर्ण सूत्र की परिभाषा है. आत्म कारक ग्रह का असर जीवन में व्यक्ति को कई तरह से असर दिखाने वाला होता है. आत्मक कारक ग्रह यदि कुंडली में शुभस्थ होगा तो उसका बेहतर

मेष राशि में वक्री बृहस्पति का सभी राशियों पर प्रभाव

4 सितंबर 2023 को गुरु मेष राशि में वक्री हो रहे हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति को विस्तार, प्रचुरता और समृद्धि का ग्रह कहा गया है. बृहस्पति का वक्री होना काफी चीजों को बदल देने वाला समय होता

मंगल-केतु का तुला राशि में गोचर देगा गंभीर परिणाम

वैदिक ज्योतिष में केतु के साथ मंगल का गोचर बेहद परिवर्तन के साथ ही एक महत्वपूर्ण घटना का समय भी बन जाता है. मंगल ऊर्जा, साहस और पराक्रम का कारक है और केतु क्रोध अलगाव को दर्शाता है. ऎसे में तुला राशि

मंगल के साथ राहु का क्यों बनाता है दुर्घटना का योग

कुंडली में मंगल और राहु एक साथ होने पर दुर्घटना का योग बनाता है. यह एक ऐसा ज्योतिषीय योग है जिसे नकारात्मक योगों की श्रेणी में रखा जाता है. यह वैदिक ज्योतिष में कई चुनौतियों को दर्शाता है. यदि राहु

नौकरी में कब होगा बदलाव जानें अपनी कुंडली से

कार्यक्षेत्र में होने वाले बदलाव कई तरह के हो सकते हैं. यह कभी अच्छे तो कभी खराब या फिर सामान्य रुप से अपना असर डालने वाले होते हैं. नौकरी में प्रगत्ति के लिए कई बार व्यक्ति बदलाव को चुनते हैं तो कुछ

आठवें भाव में मंगल का होना मांगलिक प्रभाव क्यों देता है परेशानी

आठवें भाव में मंगल की स्थिति को व्यापकर रुप से शोध का विषय माना गया है. यहां मंगल की उपस्थिति को साधारण रुप से नहीं देखा जा सकता है. जन्म कुंडली में सभी ग्रहों का और भाव स्थिति का महत्व किसी न किसी

ज्योतिष से संपत्ति के मामलों में समस्या या कोर्ट केस का कारण ?

मकान एवं संपत्ति ऎसी चीजें हैं जिनका सुख पाना एक बड़ा संघर्ष हो सकता है. कई बार इन चीजों में जीवन का संपुर्ण समय उलझा सा रहता है. संपत्ति के विवाद की स्थिति किसी न किसी रुप में जब जीवन पर आती है तो

आपकी कुंडली में चंद्रमा की एक से बारह भाव की कहानी

चंद्रमा ओर सुर्य यह ज्योतिष में दो मुख्य आधार स्तंभ हैं इनके द्वारा संपूर्ण व्यक्तित्व के सबसे प्रमुख गुण दृष्टिगोचर हो सकते हैं. जब चंद्रमा की बात आती है तो चंद्रम अके प्रत्येक पक्ष की स्थिति विशेष

कुंडली में पुष्कर नवांश का महत्व

पुष्कर नवांश एक शुभ नवांश है जो जन्म कुंडली में आशाजनक ऊर्जा लाता है. बृहस्पति एक लाभकारी ग्रह है और सौभाग्य, ज्ञान और ज्ञान का कारक है. पुष्कर नवांश और बृहस्पति के योग के अलावा अन्य ग्रहों की स्थिति

बृहस्पति की विवाह में भूमिका पर कैसे करें विचार

ग्रहों की शुभता की बात जब आती है तो बृहस्पति को सबसे अधिक शुभ ग्रह की श्रेणी में रखा जाता है. यह सभी ग्रहों में विशेष होता है ओर अपनी शुभता का प्रभाव जब दिखाता है तो समय को पलट देने वाला भी होता है.

जन्म कुंडली में राहु कब देता है शुभ फल

जन्म कुंडली में सभी ग्रह अपने अनुसार शुभ फलों एवं अशुभ फलों को देने में आगे रहते हैं लेकिन जब बात आती है राहु की तो यह एक काफी गंभीर होता है. राहु ग्रह व्यक्ति को सबसे अधिक प्रभावित करने वाला होता

चंद्रमा के साथ गुरु का योग भाग्य को बनाता है प्रबल

चंद्रमा के साथ गुरु का होना एक अनुकूल स्थिति का निर्देश देने वाला सिद्धांत है. यह दोनों ग्रह बेहद शुभ माने जाते हैं. चंद्रमा एक शीतल प्रधान ग्रह है वहीं गुरु शुभता प्रदान करने वाला ग्रह है. इन दोनों

कुंभ राशि में शनि के अस्त होने का प्रभाव

शनि का गोचर या स्थिति जब कुंभ राशि में अस्त होती है तो इसका असर काफी धीमे रुप से मिलने वाले परिणाम के रुप में दिखाई देता है. कुंभ राशि शनि की स्वराशि है ओर यह शनि के स्वामित्व की मूलत्रिकोण राशि भी

गुरु आदित्य योग का कुंडली में क्या होता है असर

वैदिक ज्योतिष के अनुसार गुरु के साथ आदित्य अर्थात सूर्य का होना गुरु आदित्य योग का निर्माण करता है. सूर्य राजा ग्रह है. सूर्य आत्मा, अधिकार, अहंकार, पिता और आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करता है.

अपनी कुंडली से जाने ग्रहों के असर को और दूर करें सारे भ्रम

ज्योतिष के थोड़े से ज्ञान के साथ भी सभी जानते होंगे कि वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक कुंडली में बारह भाव और नौ ग्रह होते हैं. लेकिन इन भाव और ग्रहों के संबंध को समझ कर ही हम अपनी कुंडली का सही से रहस्य

भरणी नक्षत्र का प्रत्येक ग्रहों पर असर

राशि चक्र में 13° 20 मेष - 25° 40 डिग्री मेष में भरणी नक्षत्र का स्थान समाहित होता है. भरणी नक्षत्र मंगल मेष राशि के अंतर्गत आता है और शुक्र द्वारा प्रभावित होता है. भरणी का प्रभाव भरण से संबंधित

बुध का अन्य ग्रहों से संबंध क्यों है विशेष

बुध का कुंडली में अस्थित्व जीवन के उन पहलुओं से होता है जो हमें सामाजिक रुप से एवं विश्लेषणात्मक रुप से महत्वपूर्ण बनाते हैं बुध के मित्र ग्रहों में सूर्य और शुक्र का स्थान विशेष रुप से आता है. इसके