कार्यक्षेत्र में होने वाले बदलाव कई तरह के हो सकते हैं. यह कभी अच्छे तो कभी खराब या फिर सामान्य रुप से अपना असर डालने वाले होते हैं. नौकरी में प्रगत्ति के लिए कई बार व्यक्ति बदलाव को चुनते हैं तो कुछ न चाहते हुए भी नौकरी बदलने को मजबूर होते हैं. इसी तरह कई बार व्यवसाय में भी हम कई तरह के चेंज को देखते है. कुछ परिस्थितियों में तो कई बार एक व्यापार को बदल कर दूसरे काम को अपनाने के लिए आगे बढ़ते हैं. ऎसे में प्रश्न यह उठता है की आखिर कार्यक्षेत्र को लेकर बदलाव इतना असर क्यों डालने वाला होता है.
नौकरी या करियर में बदलाव अधिकांश मामलों में कुछ पसोपेश की स्थिति, संकट या अशांति का विषय अधिक दिखाई देता है. कभी-कभी आपके पास इस परिवर्तन या स्थानांतरण को स्वीकार करने का विकल्प होता है लेकिन अधिकांश समय यह स्थिति मनोकूल नहीं रह पाती है. इन बातों को समझने में ज्योतिष में कई सारे सुत्रों का उल्लेख मिलता है.
ज्योतिष अपने कई ज्योतिषीय कारकों के साथ नौकरी में परिवर्तन या स्थानांतरण की भविष्यवाणी कर सकता है. परिवर्तन कैसा रहेगा, किसी व्यक्ति के लिए फायदेमंद साबित हो भी सकता है या नहीं इन बातों को ज्योतिष के कारकतत्वों के आधार पर जाना जा सकता है. नौकरी में बदलाव के साथ लोग हमेशा बेहतर अवसर चाहते हैं लेकिन चीजें हमेशा वांछित नहीं होती हैं. आइए देखें कि ज्योतिष आपके जीवन में नौकरी में बदलाव या स्थानांतरण की भविष्यवाणी या संकेत कैसे दे सकता है.
नौकरी बदलाव अथवा स्थानांतरण के सूत्र
जन्म कुंडली में नौकरी में होने वाले बदलाव या व्यवसाय के क्षेत्र में होने वाले बदलाव के लिए कुछ भावों की स्थिति पर विशेष रुप से विचार किया जाता है. जन्म कुंडली में तीसरे भाव, चौथे भाव, छठे भाव, नौवें भाव, दसवें भाव और बारहवें भाव को नौकरी बदलने या स्थानांतरण के लिए विशेष रुप से देखा जाता है. यह भाव जीवन में आर्थिक स्थिति, मकान, भागय कर्म और व्यय को दर्शाने वाले होते हैं.
कुंडली में दूसरे भाव, छठे भाव और दसवें भाव को अर्थ भाव कहा जाता है. अर्थ का संबंध व्यक्ति की आर्थिक स्थिति एवं समृद्धि से संबंधित होता है. जीवन में लक्ष्य या उद्देश्य और इसके प्रति व्यक्ति के समर्पण का संकेत भी इसी के द्वारा प्राप्त होता है.
दूसरा भाव संपत्ति और संचित चीजों का प्रतिनिधित्व करता है. इस प्रकार, यह परिवार, धन, बैंक बचत, संचित ज्ञान और भावनात्मक जुड़ाव का भाव बनता है. इस भाव के द्वारा व्यक्ति को अपने कर्म क्षेत्र में अपनी स्थिति को जानने का भी मौका मिलता है.
छठा भाव व्यक्ति की शक्ति और कार्य करने की क्षमता को दर्शाता है. यह प्रतियोगिता, दैनिक कार्य दिनचर्या, दूसरों की मदद करने, नौकरी और समस्याओं को सुलझाने का भाव है. अब इस भाव के द्वारा कार्यक्षेत्र में होने वाले बदलावों की भूमिका भी तय होती देखी जा सकती है.
दशम भाव यह कर्म का स्थान माना गया है. इस भाव से ही व्यक्ति की स्थिति और उसे मिलने वाले सम्मान को देखा जाता है. दसवां भाव बहुत प्रमुख होता है क्योंकि इस भाव के द्वारा ही करियर को देखा जाता है और करियर से संबंधित मामलों में इसकी प्रमुख भूमिका होती है.
छठे और दसवें दोनों भाव कमाने और काम करने की क्षमता को प्रभावित करते हैं. जीवन की आरंभिक कमाई और अंतिम कमाई का इन्हीं से संबंध होता है. संचित धन, कमाई को आपके द्वितीय भाव द्वारा दर्शाया गया है. पीड़ित या कमजोर द्वितीय भाव अर्जित धन के संचय या प्रबंधन में कठिनाई को दर्शाता है. जबकि मजबूत होने पर यह भाव पैसे बचाने और समय के साथ इसे बढ़ाने के लिए इसे बेहतर बनाता है.
यदि कोई व्यक्ति अच्छी नौकरी पाना चाहता है तो उसके लिए छठे और दसवें भाव को दर्शाने वाले सक्रिय ग्रहों की आवश्यकता होती है. इन भाव के स्वामियों का नौकरी और करियर पर गहरा प्रभाव भी पड़ता है.
नौकरी में बदलाव के भाव
नौकरी में परिवर्तन या हानि को पंचम भाव और नवम भाव से देखा जा सकता है. दोनों का छथे भाव, दशम भाव और द्वादश भाव में होना नुकसान या नौकरी में बदलाव का कारण बनता है. इन ग्रहों की दशा अवधि के दौरान या तो नौकरी खोने या बदलने की संभावना भी प्रबल होती है. व्यक्ति को दूसरी नौकरी पाने के लिए करियर के लिए सकारात्मक भावों यानी छठे भाव और दसवें भाव को दर्शाने वाले ग्रह की दशा का इंतजार करना पड़ता है. यदि कोई ग्रह पंचम भाव और नवम भाव के साथ-साथ 6वें और 10वें भाव का कारक है तो भी जातक नौकरी में बदलाव की उम्मीद कर सकता है, वह एक को छोड़ देगा और दूसरे को स्वीकार कर लेगा.
लग्न और उसका स्वामी इसका विशेष महत्व होता है. लग्न या लग्न का स्वामी व्यक्ति के व्यक्तित्व और परिवेश को दर्शाता है. काम करने के प्रति उसकी अभिरुचि का भी निर्धारण इसी के द्वारा होता है. दूसरा भाव और उसका स्वामी धन, बचत और वित्तीय संसाधनों को दर्शाता है. तीसरा भाव और उसका स्वामी व्यक्ति के साहस, उसके प्रयासों और छोटी यात्राओं को दर्शाता है.
चौथा घर और उसका स्वामी घरेलू वातावरण को दर्शाता है और पीड़ित होने पर स्थान में परिवर्तन का कारण बनता है. छठा भाव और उसका स्वामी यह नौकरी और सेवा का भाव है.
आठवां भाव और उसका स्वामी बाधाओं, नौकरी की हानि और शोध को दर्शाता है. नौवां भाव और उसका स्वामी दसवें घर से बारहवां होने के कारण स्थानांतरण, लंबी यात्रा और नौकरी में बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है. दसवां भाव और उसका स्वामी व्यक्ति के काम को, करियर और उसमें मिलने वाली सफलता को दर्शाता है. भारहवां भाव और इसका स्वामी व्यय, हानि स्थानान्तरण का भाव होता है