Articles in Category Vedic Astrology
वक्री मंगल होने पर क्या होगा, जानिये
ज्योतिष के अनुसार सभी ग्रह भ्रमण करते हुए विभिन्न प्रकार की गति को में चलते हैं जैसे कि तेज चलना या मंद गति से चलना, वक्री या अति वक्री, मध्यम गति या कुटिल गति इत्यादि. ग्रहों का अपने भ्रमण पथ पर
कुण्डली में यूप योग
ज्योतिष में हजारों योगों के विषय में उल्लेख प्राप्त होता है. कुण्डली में बनने वाले अनेक योग किसी न किसी प्रकार से जीवन को अवश्य प्रभावित करते हैं. यूप योग लग्न से चतुर्थ भाव अर्थात कुण्डली के पहले
उच्च ग्रह की दशा अगर चल जाये तो इस प्रकार जीवन बदल जायेगा
ग्रहों का दशाफल अनेक प्रकार से अपने प्रभावों को दर्शाता है. ग्रह के दशाफल का अंतर सप्ष्टता से देखा जा सकता है क्योंकि कोई एक ग्रह यदि उच्च का है तो उसके प्रभावों में शुभता अधिक देखी जा सकती है लेकिन
कुण्डली के बारह भावों की महादशा | Mahadasha of the twelve house of Kundali
कुण्डली के प्रत्येक भाव की महादशा भिन्न भिन्न फल प्रदान करने वाली होती है. बारह भावों में स्थित शुभ और अशुभ प्रभाव जातक के जीवन को पूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं. प्रत्येक भाव अनुसार महादशा के
ग्रह स्थिति में दशा फल | Results of Dasha according to state of planets
संपूर्ण दशा | Sampoorna Dasha जन्म कुण्डली में जो ग्रह उच्च राशिस्थ या अतिबल (षडबल) हो उसकी दशा अन्तर्दशा संपूर्णदशा कहलाती है. इस दशा काला में मनुष्य सुख वैभव एवं समृद्धि प्राप्त कर पाता है. जातक को
राहु ग्रह आपके लिये कैसा है? ज्योतिष द्वारा जानिये
राहु के विषय में अनेकों कथाएँ शास्त्रो तथा पुराणों में मिलती है. राहु की जानकारी ब्रह्म पुराण, विष्णु पुराण, मत्स्य पुराण, ऋग्वेद, महाभागवत तथा महाभारत आदि में मिलती है.राहु को ग्रहों में क्रूर
पाप ग्रह कब देते हैं शुभ फल | When do malefic planets give auspicious results
ज्योतिष शास्त्र में मंगल, शनि, राहु केतु को पाप ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है और सूर्य को क्रूर ग्रह कहा जाता है. परंतु यहां यह अर्थ बिल्कुल भी नहीं है कि यह ग्रह शुभ फलों को प्रदान नहीं करते.
दशा में भाव कारक तत्व विचार | Karak elements of houses during Dasha
दशानाथ जिस भाव का स्वामी या कारक होता है वह उसके फल अपनी दशा भुक्ति में कई प्रकार से देने का प्रयास करता है. जैसे कि कोई ग्रह जिस भाव में स्थित है उस भाव का फल वह पहले देगा, उसके पश्चात वह जिस राशि
मुंथा क्या है और इसको अपनी कुण्डली में कैसे देखें?
वर्ष कुण्डली में गणना के संदर्भ में मुंथा का अत्यधिक उपयोग किया जाता है. जन्म कुण्डली में मुन्था सदैव लग्न में स्थित रहती है और हर वर्ष यह एक राशि आगे बढ़ जाती है. उदाहरण के लिए यदि किसी का जन्म मेष
शनि के मार्ग परिवर्तन का आपके जीवन पर प्रभाव
शनि देव मार्गी हो रहे हैं और इसी के साथ ही मंगल ग्रह के साथ एक ही राशि में युति करते हुए दिखाई देंगे. इन दो मुख्य बदलावों के फलस्वरुप कुछ प्रमुख घटनाएं अवश्य ही अपना प्रभाव दिखाएंगी. ज्योतिष के
नवग्रह | Navagraha | Nine Planets
ज्योतिष में राशि चक्र में नवग्रहों मंगल, बुध, बृहस्पति,शुक्र, और शनि, सूर्य, चंद्रमा, राहू और केतु का जातक के जीवन और संपूर्ण सृष्टी पर गहरा प्रभाव पड़ता है. ज्योतिष के अनुसार ब्रह्माण को यह नव ग्रह
दान द्वारा ग्रहों को अनुकूल कैसे करें
ग्रहों के लिए क्या-क्या दान करना चाहिए इसके उनसे संब्म्धित वस्तुओं के बारे में जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है. ग्रहों से संबंधित वस्तुओं का दान करके आप उनके शांति उपाय उपयोग में ला सकते हैं जिससे उनके
चामर योग | Chamar Yoga | Chamar Yoga in Kundli
जातक परिजात के अनुसार “लग्नेश केन्द्रगते स्वतुग्डें जीवेक्षिते चामरनाम योग:” अर्थात कुण्डली में यदि लग्नेश उच्च राशि में स्थित होकर केन्द्र में हो और यह योग केवल मेष, मिथुन कन्या, मकर लग्न में उपन्न
शनि का ज्योतिष में महत्व | Importance of Saturn in Astrology
ज्योतिष में शनि ग्रह कुंडली से लेकर गोचर, महादशा तथा साढ़ेसाती से हमें प्रभावित करते हैं. शनि ग्रह की स्थिति और उससे होने वाले लाभ या हानि से कोई भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता. शनि ग्रह को शनिदेव
कलानिधि योग | Kalanidhi Yoga | Kalanidhi Yoga in a Kundali
फलित ज्योतिष में योगों का बहुत महत्व रहता है. फलित करते समय योगों की विवेचना द्वारा जातक के जीवन में होने वली घटनाओं और परिस्थितियों का बोध होता है. योगों के निर्माण में एक से अधिक ग्रह जब युति,
दशा फल विचार | Results of Dashas
कई बार जन्म कुण्डली में शुभ योग होने पर भी जातक को शुभ फलों की प्राप्ति नही हो पाती. जन्म कुण्डली शुभ होने पर भी जातक के जीवन में कभी तो दशा या गोचर में ग्रहों की स्थिति विषम हो जाती है कि जीवन में
शुक्र का ज्योतिष में महत्व | Importance of Venus in astrology
वैदिक ज्योतिष में शुक्र को मुख्य रूप से पत्नी का का कारक माना गया है. यह विवाह का कारक ग्रह है, ज्योतिष में शुक्र से काम सुख, आभूषण, भौतिक सुख सुविधाओं का कारक ग्रह है. शुक्र से आराम पसन्द होने की
गुरू का ज्योतिष में महत्व | Importance of Jupiter in astrology
गुरु (बृहस्पति) ज्योतिष के नव ग्रहों में सबसे अधिक शुभ ग्रह माने जाते हैं. गुरू मुख्य रूप से आध्यात्मिकता को विकसित करने का कारक हैं. तीर्थ स्थानों तथा मंदिरों, पवित्र नदियों तथा धार्मिक क्रिया कलाप
मूल नक्षत्र क्या है और उससे आपके जीवन पर क्या प्रभाव होगा, जानिये
अश्वनी ,आश्लेषा ,मघा ,ज्येष्ठा ,मूल तथा रेवती नक्षत्र गण्डमूल नक्षत्र कहे जाते हैं. यह नक्षत्र संधि क्षेत्र में आने से दुष्परिणाम देने वाले माने जाते हैं. इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले बच्चों के
कुण्डली से जाने संतान सुख का योग | Yogas for a Child in a kundali
कुण्डली में स्थित ग्रहों कि स्थिति के द्वारा संतान सुख के विषय में जाना जा सकता है. किसी की कुण्डली में ग्रहों की ऐसी स्थिति होती है जो उन्हें कई संतानों का सुख देती है. तो किसी कि कुण्डली संतान में