Articles in Category Vedic Astrology

कुण्डली से जाने संबंधों में अलगाव का कारण | Reasons For Separation in Astrology

कुण्डली का सप्तम भाव विवाह का प्रमुख स्थान होता है. यदि आपकी कुण्डली में सप्तम भाव या सप्तमेश का संबंध लग्न या लग्नेश, पंचम भाव या पंचमेश और नवम भाव या नवमेश से नहीं बनता है तब प्रेम संबंध विवाह में

कुण्डली के दूसरे भाव में ग्रहों प्रभाव | Effects of Planets in the Second House of Kundli

जन्म कुण्डली में दूसरे भाव के फलों को जानने के लिए उनमें सभी विभिन्न भावों में बैठे हुए ग्रहों के कारकों को समझना आना चाहिए तभी उनके फलों को समझना आवश्यक होगा. ग्रह अपने कारक तत्व के अनुसार फल देने

कैसा होता है तीसरे भाव में सभी नौ ग्रहों का फल ?

जन्म कुण्डली में किसी भी घटनाओं को अध्ययन करने के संदर्भ में प्रत्येक भाव का आंकलन किया जाता है. कुण्डली से संबंधित फलों को जानने के लिए उनमें सभी विभिन्न भावों में स्थित ग्रहों के कारकों का फल देखना

जानिये। अपनी कुंडली में राहु का फल

राहु ग्रह को विच्छेद कराने वाले ग्रह के रुप में जाना जाता है. वास्तविक रुप में राहु बिन्दू मात्र है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार राहु का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर बहुत गहरा पड़ता है जिस कारण इन्हें ग्रह

आठवां भाव बनता है अचानक से होने वाली घटनाओं का कारक

अष्टम भाव आयु भाव है इस भाव को त्रिक भाव, पणफर भाव और बाधक भाव के नाम से जाना जाता है. आयु का निर्धारण करने के लिए इस भाव को विशेष महत्ता दी जाती है. इस भाव से जिन विषयों का विचार किया जाता है. उन

कुंडली पर ग्रहों का प्रभाव ऎसे बदल सकता है आपका जीवन

कुण्डली पर ग्रहों का प्रभाव विशेष रूप से पड़ता है. इनके बिना कुण्डली कि विवेचना का आधार नहीं किया जा सकता है. व्यक्ति की कुण्डली के योग ग्रह दशाओं में फल देते है. किसी व्यक्ति की कुण्डली में अगर शुभ

वर्षफल कुण्डली के लग्न में विभिन्न भावों के उदय होने का फल

वर्ष कुण्डली का अध्ययन बहुत सी बातों के आंकलन के लिए किया जाता है. लेकिन वर्ष कुण्डली का अपना स्वतंत्र महत्व ज्यादा नहीं होता है. जन्म कुण्डली की दशा और योगो को ध्यान में रखते हुए ही वर्ष कुण्डली का

आईये जाने कैसा रहता है जन्म कुंडली के बारह भावों पर शनि का प्रभाव

आज के संदर्भ में शनि के विषय में जो भी धारणाएं बनाई गई हैं वह ज्योतिष की कसौटी पर कितनी उचित ठहरती है इस का अनुमोदन करने की आवश्यकता है. वर्तमान समय में कई भ्रांतियां इसके साथ जोड़ दि गई ज्योतिष

उल्का योगिनी दशा | Ulka Yogini Dasha | Ulka Yogini Dasha in Astrology

योगिनी दशा क्रम के अगले चरण में उल्का दशा आती है. उल्का दशा की समय अवधि 6 वर्ष की मानी गई है. इस समय के अनुसार जातक को योगिनी दशा फलों की प्राप्ति होती है. शनि से संबंधित इस दशा में व्यक्ति को संघर्ष

भद्रिका योगिनी दशा | Bhadrika Yogini Dasha

भद्रिका दशा को बुध की दशा के रूप में जाना जाता है इस दशा की कुल अवधि पांच वर्ष की मानी गई है. यह दशा शुभ ग्रह की दशा होती है इसलिए इस दशा में जातक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. यह दशा परिवार में

तलाक के ज्योतिषीय कारण | Astrological Reasons for Divorce

ज्योतिष में बहुत से योगो का उल्लेख मिलता है. यह सभी योग हमारे ऋषि मुनियो द्वारा हजारो वर्षो पूर्व लिख दिए गए हैं. जब यह सभी योग लिखे गए थे तब से लेकर अब तक समय में बहुत अंतर आ चुका है इसलिए इन योगो

कुंडली के 6,8 और 12वें भाव में चंद्रमा की स्थिति | Effects of Moon in 6th, 8th or 12th of the Kundali

किसी भी जन्म कुण्डली के मजबूत आधार लग्न, सूर्य तथा चंद्रमा को माना जाता है. अगर ये तीनो कुण्डली में बली है तब जीवन की बहुत सी बाधाओ पर काबू पाया जा सकता है. लग्न से व्यक्ति का व्यक्तित्व, सूर्य से

ज्योतिष में वर्ग कुंडलियो का महत्व | Importance of Varga Kundali in Astrology

जन्म कुण्डली के आधार पर व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में बताया जाता है. सभी का भविष्य अलग होता है. कोई सुखी तो कोई दुखी रहता है अथवा किसी को मिश्रित फल जीवन में मिलते हैं. किसी भी बात के

अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक शर्ते | Important Tips for Good Health

अच्छे स्वास्थ्य के लिए जन्म कुण्डली में बहुत सी बातो का आंकलन किया जाता है जो निम्नलिखित है :- सबसे पहले तो लग्न, लग्नेश का बली होना आवश्यक है. यदि अशुभ भाव का स्वामी जन्म लग्न में स्थित है तब

ज्योतिष द्वारा जाने कौन सा व्यवसाय करने से मिलेगी आपको सफलता

व्यवसाय के विषय में जानने के लिए दशम भाव का विश्लेषण करना अत्यंत आवश्यक माना गया है. इसी के द्वारा जातक के कार्य के बारे में अनुमान लगाया जाता है. इसी के साथ यह भी जानना आवश्यक है कि कुण्डली में

तत्वों के अनुसार व्यवसाय का चयन | Classification of Career on the Basis of Ruling Element

ज्योतिष शास्त्र व्यवसाय एवं नौकरी का चयन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. नौ ग्रह और बारह राशियां मिलकर जातक के कैरियर या व्यवसाय का निर्धारण करती हैं तथा उनसे संबंधित कामों को दर्शाती हैं.

अपने लग्न से जाने शुभ और अशुभ ग्रह के बारे में

ज्योतिष में नौ ग्रहों का जिक्र किया गया है. इन ग्रहों में से कोई भी ग्रह शुभ अथवा अशुभ हो सकता है क्योकि हर लग्न के लिए शुभ अथवा अशुभ ग्रह भिन्न होते हैं. इस लेख में पाठको को सभी बारह लग्नों के लिए

ज्योतिष से व्यक्तित्व विचार | Analyzing Personality Through Astrology

ज्योतिष की मान्यता है कि प्राणपद लग्न कर्क राशि में स्थित होने पर व्यक्ति में दिखावे की प्रवृति होती है. चन्द्रमा अथवा राहु पांचवे घर में स्थित हो अथवा उनमें दृष्टि सम्बन्ध बन रहे हों तो व्यक्ति

लाल किताब के ये आसान उपाय दिला सकते सूर्य के शुभ फल

लग्न में सूर्य | Sun in Ascendant लाल किताब के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के लग्न में ही अशुभ सूर्य स्थित है तब सार्वजनिक स्थलों पर प्याऊ या नल लगाना चाहिए. इससे सूर्य को बल मिलेगा. सूर्य को शुभ बनाने

भ्रामरी योगिनी दशा | Bhramari Yogini Dasha

भ्रामरी दशा योगिनि दशा में चौथे स्थान पर आती है. यह मंगल की दशा होती है. मंगल से प्रभावित इस दशा में व्यक्ति के भीतर पराक्रम एवं परिश्रम द्वारा समाज में अपना स्थान अर्जित करने की कोशिश में प्रयासरत