Articles in Category Vedic Astrology

कुंडली के 12 भावों में कमजोर शुक्र ग्रह का फल

कुंडली में अपनी स्थिति विशेष के कारण अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में आकर भी शुक्र बलहीन हो जाते हैं. इसके बलहहीन होने के प्रभाव जातक के वैवाहिक जीवन अथवा प्रेम संबंधों मेंतनाव को उत्पन्न कर सकते

कमजोर बृहस्पति के फल | Effects of Weak Jupiter in Different Houses

कोई ग्रह कुण्डली में किस अवस्था में है यदि ग्रह नीच का है, वक्री है, पाप ग्रहों के साथ है या इनसे दृष्ट है, खराब भावों में स्थित है, षडबल में कमजोर है, अन्य अवस्थाओं में निर्बल हो इत्यादि तथ्यों से

शरीर में ग्रहों से संबंधित अंग और रोग

चिकित्सा ज्योतिष में हर ग्रह शरीर के किसी ना किसी अंग से संबंधित होता है. कुंडली में जब संबंधित ग्रह की दशा होती है और गोचर भी प्रतिकूल चल रहा होता है तब उस ग्रह से संबंधित शारीरिक समस्याओं व्यक्ति

मेष राशि और मेष जातक के बारे में जाने संपूर्ण जानकारी

वैदिक ज्योतिष का मुख्य आधार जन्म कुंडली और उसमें स्थापित नौ ग्रह, बारह राशियाँ व 27 नक्षत्र हैं. इन्हीं के आपसी संबंध से योग बनते हैं और इन्हीं के आधार पर दशाएँ होती है. ज्योतिष में बारह राशियों का

अगर आपकी कुंडली में हैं ये योग तो जा सकते हैं विदेश

जन्म कुंडली में बहुत से शुभ - अशुभ योगो के साथ विदेश यात्रा के योग भी मौजूद होते हैं. जब अनुकूल ग्रहों की दशा/अन्तर्दशा कुंडली में चलती है तब व्यक्ति विदेश जाता है. वर्तमान समय में विदेश जाना सम्मान

काम बनेगा या नहीं: खुद जाने कुंडली से

वैदिक ज्योतिष में बहुत सी बातों का अध्ययन करने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है. किसी एक बात के आधार पर फलित करना किसी की जान को खतरे में डालने जैसा काम हो सकता है. इसलिए फलकथन कहने के लिए

क्यों होता है मानसिक रोग और अवसाद आईये जाने ज्योतिष से

आज के इस लेख में हम मानसिक बीमारियों के अध्ययन की बात करेगें. मानसिक बीमारी होने के बहुत से कारण होते हैं लेकिन इन कारणों का ज्योतिषीय आधार क्या है, इसकी चर्चा इस लेख के माध्यम से की जाएगी. चिकित्सा

मृत्यु भाग के ग्रह ऎसे बनते हैं मृत्यु तुल्य कष्ट कारण

वैदिक ज्योतिष में जीवन के हर पहलू का विश्लेषण किया गया है. जन्म से लेकर मृत्यु तक का फलकथन किया जाता है. जीवन की सभी घटनाओं की जानकारी का अध्ययन सूक्ष्मता से किया जा सकता है बशर्ते कि ज्योतिषी

अभिनेता बनने के योग | Yogas For Becoming An Actor

फिल्म लाईन में जाने के लिए प्रमुख भाव | Primary Houses For Entering Film Industry जन्म कुण्डली का हर भाव महत्वपूर्ण होता है. सभी की अपनी विशेषता होती है. कुण्डली के दशम भाव से व्यवसाय का आंकलन किया

बुध के कमजोर या खराब होने पर हो सकती है ये परेशानियां

ग्रह कमज़ोर कब होता है इस बात का निर्धारण इससे किया जाता है कि कोई ग्रह कुण्डली में किस अवस्था में है यदि ग्रह नीच का है, वक्री है, पाप ग्रहों के साथ है या इनसे दृष्ट है, खराब भावों में स्थित है,

कमज़ोर मंगल का प्रभाव | Effects of Weak Mars in Different Houses

ग्रह कमज़ोर कब होता है इस बात का निर्धारण इससे किया जाता है कि कोई ग्रह कुण्डली में किस अवस्था में है यदि ग्रह नीच का है, वक्री है, पाप ग्रहों के साथ है या इनसे दृष्ट है, खराब भावों में स्थित है,

त्रिकोण शोधन करने का तरीका | Method To Compute Trikon Shodhan

सर्वाष्टकवर्ग में मंडल शोधन करने के पश्चात त्रिकोण शोधन करना होता है. जन्म कुण्डली में स्थित बारह राशियों को अग्नि, पृथ्वी, वायु और जल के आधार पर चार वर्गों में विभाजित किया जाता है. इस तरह से हर एक

बलहीन सूर्य का विभिन्न भावों में फल | Effects of Weak Sun in Different Houses

सूर्य को समस्त ग्रहों में राजा का स्थान प्राप्त है. वैदिक ज्योतिष सूर्य की महिमा को जगत की आत्मा का स्वरूप कहा गया है. इनसे जीवनदायी शक्ति का आधार माना गया है. इसी के साथ इसे पूर्वजों से भी संबंधित

इन कारणों से होता है चंद्रमा कमजोर

ग्रह कमज़ोर कब होता है इस बात का निर्धारण इससे किया जाता है कि कोई ग्रह कुण्डली में किस अवस्था में है यदि ग्रह नीच का है, वक्री है, पाप ग्रहों के साथ है या इनसे दृष्ट है, खराब भावों में स्थित है,

छिद्र ग्रह की दशा | Dasha of Chhidra Planet

वैदिक ज्योतिष में अरिष्ट व प्रतिकूल घटनाओं का अध्ययन करने के लिए बहुत सी बातों का आंकलन किया जाता है. जन्म कुंडली, संबंधित वर्ग कुंडली, दशा/अन्तर्दशा तथा घटना के समय का गोचर देखा जाता है. इन सभी में

सिद्धा योगिनी दशा | Siddha Yogini Dasha

योगिनी दशा में अलगी दशा सिद्धा की आती है यह शुक्र की दशा होती है इसकी दशा अवधि सात वर्ष की होती है. यह शुभ दशा मानी गई है. इस दशा में व्यक्ति सुख, सौभाग्य को पाता है. उच्चपद व अधिकार की प्राप्ति होती

कुण्डली से जाने संबंधों में अलगाव का कारण | Reasons For Separation in Astrology

कुण्डली का सप्तम भाव विवाह का प्रमुख स्थान होता है. यदि आपकी कुण्डली में सप्तम भाव या सप्तमेश का संबंध लग्न या लग्नेश, पंचम भाव या पंचमेश और नवम भाव या नवमेश से नहीं बनता है तब प्रेम संबंध विवाह में

कुण्डली के दूसरे भाव में ग्रहों प्रभाव | Effects of Planets in the Second House of Kundli

जन्म कुण्डली में दूसरे भाव के फलों को जानने के लिए उनमें सभी विभिन्न भावों में बैठे हुए ग्रहों के कारकों को समझना आना चाहिए तभी उनके फलों को समझना आवश्यक होगा. ग्रह अपने कारक तत्व के अनुसार फल देने

कैसा होता है तीसरे भाव में सभी नौ ग्रहों का फल ?

जन्म कुण्डली में किसी भी घटनाओं को अध्ययन करने के संदर्भ में प्रत्येक भाव का आंकलन किया जाता है. कुण्डली से संबंधित फलों को जानने के लिए उनमें सभी विभिन्न भावों में स्थित ग्रहों के कारकों का फल देखना

जानिये। अपनी कुंडली में राहु का फल

राहु ग्रह को विच्छेद कराने वाले ग्रह के रुप में जाना जाता है. वास्तविक रुप में राहु बिन्दू मात्र है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार राहु का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर बहुत गहरा पड़ता है जिस कारण इन्हें ग्रह