भगवान सूर्य जिन्हें आदित्य के नाम से भी जाना जाता है. इनके बारह नामों में से एक नाम है. इनके बारह नामों में इनके विभिन्न स्वरूपों की झलक मिलती है. इनका हर रूप एक दूसरे से अलग होता है जो अपने आप में एक अलग महत्व रखता है. यह बारह आदित्य इस प्रकार हैं:-
इन्द्र | Indra
यह भगवान सूर्य का प्रथम रूप है. यह देवाधिपति इन्द्र को दर्शाता है. देवों के राज के रूप में आदित्य स्वरूप हैं. इनकी शक्ति असीम हैं इन्द्रियों पर इनका अधिकार है. शत्रुओं का दमन और देवों की रक्षा का भार इन्हीं पर है.
धाता | Dhata
दूसरे आदित्य धाता हैं जिन्हें श्री विग्रह के रूप में जाना जाता है. यह प्रजापति के रूप में जाने जाते हैं जन समुदाय की सृष्टि में इन्हीं का योगदान है, सामाजिक नियमों का पालन ध्यान इनका कर्तव्य रहता है. इन्हें सृष्टि कर्ता भी कहा जाता है.
पर्जन्य | Parjanya
तीसर आदित्य का नाम पर्जन्य है. यह मेघों में निवास करते हैं. इनका मेघों पर नियंत्रण हैं. वर्षा के होने तथा किरणों के प्रभाव से मेघों का जल बरसता है.
त्वष्टा | Twashtha
आदित्यों में चौथा नाम श्री त्वष्टा का आता है. इनका निवास स्थान वनस्पति में हैं पेड़ पोधों में यही व्याप्त हैं औषधियों में निवास करने वाले हैं. अपने तेज से प्रकृति की वनस्पति में तेज व्याप्त है जिसके द्वारा जीवन को आधार प्राप्त होता है.
पूषा | Pusha
पांचवें आदित्य पूषा हैं जिनका निवास अन्न में होता है. समस्त प्रकार के धान्यों में यह विराजमान हैं. इन्हीं के द्वारा अन्न में पौष्टिकता एवं उर्जा आती है. अनाज में जो भी स्वाद और रस मौजूद होता है वह इन्हीं के तेज से आता है.
अर्यमा | Aryama
आदित्य का छठा रूप अर्यमा नाम से जाना जाता है. यह वायु रूप में प्राणशक्ति का संचार करते हैं.चराचर जगत की जीवन शक्ति हैं. प्रकृति की आत्मा रूप में निवास करते हैं.
भग | Bhag
सातवें आदित्य हैं भग, प्राणियों की देह में अंग रूप में विध्यमान हैं यह भग देव शरीर में चेतना, उर्जा शक्ति, काम शक्ति तथा जीवंतता की अभिव्यक्ति करते हैं.
विवस्वान | Vivswana
आठवें आदित्य हैं विवस्वान हैं. यह अग्नि देव हैं, इनमें जो तेज व उष्मा व्याप्त है वह सूर्य से. कृषि और फलों का पाचन, प्राणियों द्वारा खाए गए भोजन का पाचन इसी अगिन द्वारा होता है.
विष्णु | Vishnu
नवें आदित्य हैं विष्णु, देवताओं के शत्रुओं का संहार करने वाले देव विष्णु हैं. संसार के समस्त कष्टों से मुक्ति कराने वाले हैं.
अंशुमान | Anshumaan
वायु रूप में जो प्राण तत्व बनकर देह में विराजमान है वहीं दसवें आदित्य अंशुमान हैं. इन्हीं से जीवन सजग और तेज पूर्ण रहता है.
वरूण | Varuna
जल तत्व का प्रतीक हैं वरूण देव. यह ग्यारहवें आदित्य हैं. मनुष्य में विराजमान हैं जीवन बनकर समस्त प्रकृत्ति में के जीवन का आधार हैं. जल के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं कि जा सकती है.
मित्र | Mitra
बारहवें आदित्य हैं मित्र. विश्व के कल्याण हेतु तपस्या करने वाले, ब्रह्माण का कल्याण करने की क्षमता रखने वाले हैं मित्र देवता हैं. यह बारह आदित्य सृष्टि के विकासक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
 
                 
                     
                                             
                                             
                                             
                                            