Articles in Category Vedic Astrology

दो ग्रहों से बनने वाले योग का फल | Yogas Formed With a Combination of Two Planets

सूर्य और चंद्रमा का युतिफल | Combination of Sun and Moon सूर्य के साथ चंद्रमा की स्थिति में जातक स्त्रियों के नियंत्रण में रहने वाला होता है और उनकी बात को समझता है. इसलिए स्त्रियों का साथ इन्हें

मुहूर्त कैसे निकालें आईये जानें महत्वपूर्ण बातें

आज इस लेख के माध्यम से हम मुहूर्त से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातों पर विचार करना चाहेगें कि कौन सा मुहूर्त कब अच्छा होता है और इसमें किन - किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. गोधूलि लग्न | Godhuli Lagna

जानें शनि की साढ़ेसाती और नक्षत्रों का व्यक्ति पर प्रभाव

जन्म चंद्र से जब गोचर का शनि बारहवें भाव में आता है तब व्यक्ति की साढ़ेसाती का प्रभाव आरंभ हो जाता है. यह साढ़ेसाती का पहला चरण माना जाता है. अब जन्म चंद्र के ऊपर शनि आता है तब दूसरा चरण और जन्म

क्या होते हैं कारक ग्रह और कैसे दिखाते हैं अपना असर ?

ज्योतिष में कई प्रकार की युतियां और संबंध बनते हैं जिनके बनने से कई प्रकार से कुण्डली का आंकलन करने में सहायता प्राप्त होती है. जातक के जीवन में इन सभी का प्रखर प्रभाव पड़ता है जिससे जीवन में अनेक

जाने, 12 राशियों में कैसा रहेगा राहु का फल

वैदिक ज्योतिष में राहु/केतु का महत्वपूर्ण स्थान माना गया है हालांकि दोनो ही छाया ग्रह हैं लेकिन तब भी मानव जीवन पर इनका बहुत प्रभाव पड़ता है. आज हम राहु का प्रभाव मेष से मीन राशि तक में करेगें. राहु

सूर्य का विभिन्न राशियों में स्थिति पर विचार - भाग 1 | Sun in Different Signs - Part 1

वैदिक ज्योतिष में हर ग्रह का अपना स्वतंत्र महत्व होता है. ग्रह किस राशि में और किस भाव में क्या फल देगें, यह विस्तार का विषय है. जिसे हम धीरे-धीरे समझ सकते हैं. आज हम सूर्य की विभिन्न राशियों मेष,

कर्क लग्न के दूसरे नवांश की विशेषताएं

कर्क लग्न का दूसरा नवांश सिंह राशि का होता है, जिसके स्वामी सूर्य होते हैं. इस नवांश में जन्मा जातक सौंदर्य व जोश से युक्त होता है. जातक का रंग गुलाबीपन लिए हुए साफ होता है.आंखें मोटी व तेजवान होती

कर्क लग्न का पहला नवांश | First Navamsha of Cancer Ascendant

कर्क लग्न का पहला नवंश वर्गोत्तम होता है. यह कर्क राशि का ही होता है. इस नवांश में जन्में जातक के जीवन में स्वयं की स्थिति का ही आधार बना रहेगा. अर्थात वह कुध के विषयों से ही अधिक सोच विचार करेगा.

जानें कैसा है आपका स्वभाव: क्या आपकी कुंडली में भी बनते हैं ये योग

वैदिक ज्योतिष में यदि हम सूक्ष्मता से देखें तो हर व्यक्ति के चारित्रिक गुण तथा दोषो का पता लगाने में कामयाब हो सकते हैं. व्यक्ति की जन्म कुंडली उसके व्यक्तित्व के बारे में सभी कुछ बताने में सक्षम

कुण्डली में भाव परिवर्तन का महत्व | Importance of Interchange of Planets in Kundali

कुण्डली में ग्रहों की स्थिति और उनकी युति कई प्रकार के प्रभावों को सामने लाती है. जातक पर उनका अनेक प्रकार से प्रभाव देखा जा सकता है जीवन में आने वाले उतार-चढावों में ग्रहों की स्थिति व संबंध बहुत

मिथुन लग्न का नौवां नवांश | Ninth Navamsha of Gemini Ascendant

मिथुन लग्न का नौवां नवांश मिथुन का ही होता है इस कारण से यह वर्गोत्तम स्थिति को पाता है. यह स्थिति काफी अच्छी मानी गई है इस नवांश के फलस्वरूप जातक को बुध से संबंधित फलों की प्राप्ति होती है. यह नवांग

कुंडली में दुर्घटना तथा चोट लगने के योग

वैदिक ज्योतिष के अन्तर्गत ही चिकित्सा ज्योतिष का भी वर्णन मिलता है. इसके माध्यम से व्यक्ति के साथ होने वाले अरिष्ट का पता पहले से ही लगाया जा सकता है. हर कुंडली में स्वास्थ्य के कुछ मापदंड पहले से ही

तीसरे भाव से कुण्डली का आंकलन | Assessment of Kundli by Third House

जातक की जन्म कूण्डली में तीसरा भाव उसके पराक्रम और साहस की कहानी बताता है. इसके साथ साथ इन प्रमुख बातों के अतिरिक्त इस भाव से भई बहनों का सुख और यात्राओं के बारे में भी जाना जा सकता है. पराक्रम भाव

जन्म कुंडली में प्रापर्टी योग | Yoga for Property in Janam Kundali

हर व्यक्ति का सपना होता है कि वह अपने सपनो का घर अवश्य बनाएँ. जिसे वह अपने मन से सजाए-संवारे. आप में से बहुत से लोगों का यह सपना पूरा हो जाता है लेकिन बहुत से लोग अपने इस सपने को पूरा ही नही कर पाते

मिथुन लग्न के छठे नवमांश का फल

मिथुन लग्न का छठा नवांश मीन राशि का होता है जिसके स्वामी ग्रह बृहस्पति हैं. मिथुन लग्न का यह नवांश काफी अनुकूल फल देने वाला होता है. इसके प्रभाव से जातक का व्यक्तिव आकर्षण से युक्त होता है और जातक

कुण्डली में बनने वाला वज्रमुष्टि योग | Vajra Mushti Yoga in Kundli

वज्रमुष्टि योग के विषय में कई ज्योतिषी ग्रंथों में लिखा गया है, इस योग के बारे में कई प्रकार के फलों को भी बताया गया है जिसमें से प्रमुख तो यह है कि स्वास्थ्य में कमी का सामना करना पड़ता है और जातक

मिथुन लग्न का 5वां नवांश और उसका प्रभाव

मिथुन लग्न का पांचवां नवांश कुम्भ राशि का होता है. इस नवांश के स्वामी ग्रह शनि हैं जिनके अनुरूप इस नवांश पर शनि का प्रभाव भी परिलक्षित होता है. पांचवें नवांश में जन्म होने के कारण जातक का चेहरा बडा़

मिथुन लग्न का सातवां नवांश | Seventh Navamsha of Gemini Ascendant

मिथुन लग्न के सातवें नवांश में मेष राशि आती है. इस नवांश के स्वामी ग्रह मंगल हैं. मिथुन राशि के सातवें नवांश में जन्मा जातक मंगल के प्रभाव से पूर्ण होता है. जिसके फलस्वरूप जातक का कद लम्बा और रंग साफ

मिथुन लग्न का चौथा नवांश और इसका प्रभाव

मिथुन लग्न का चौथा नवांश मकर राशि का होता है. मकर राशि का स्वामी शनि है इस लिए इस नवांश लग्न पर शनि का स्वामित्व रहता है. इस नवांश लग्न के प्रभावस्वरूप जातक का मस्तक चौडा़ तथा आंखे सुंदर होती हैं.

जानिये मिथुन लग्न के तीसरे नवांश का फलकथन

मिथुन लग्न का तीसरा नवांश धनु राशि का होता है और इसके स्वामी ग्रह बृहस्पति हैं. इस नवांश के होने से जातक में साहस की कमी नहीं होती है. जातक अपने परिश्रम और मेहनत के बल पर आगे बढ़ता रहता है. जीवन में