कर्क लग्न का चौथा नवांश तुला राशि का होता है. यह नवांश जातक के सुख स्थान संबंधी परिस्थितियों का स्थान बी होता है जिससे जुडी़ सभी बातें जातक के लिए आवश्यक होती हैं और जीवन भर वह इन सभी के विषय में अधिक सोच-विचार भी करता है.

कर्क लग्न के चौथे नवांश तुला के स्वामी शुक्र हैं . इस नवांश में जातक का जन्म होने के कारण इनकी काया छरहरी रहती है. भौहें काली ओर आकर्षक आकार में ढली हुई होती हैं. छाती चौडी और कन्धे उठे हुए होते हैं. नाक उँची और नैन नक्श अच्छे होते हैं और पैनी दृष्टि होती है.

जातक में योग्यता होती है वह किसी भी कार्य को करने में शालीनता की भावना जरूर रखेगा और उसके काम में उसकी कलात्मकता का भी अनुभव होता है. यह अपने काम में एकाग्रता रखते हैं लेकिन कहीं-कहीं इनकी एकाग्रता टूट भी सकति है क्योंकि मन में चंचलता बहुत रहती है लेकिन फिर भी विचारों की उडा़न होने पर यह अपने लक्ष्य को पाने में सदैव तत्पर रहते हैं.

एक अच्छे रूप में यह अपनी प्रतिभा को निखारने की कोशिश भी करते हैं जिससे इनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है. इन्हें किसी एक जगह पर रहकर काम करने में मजा नहीं आता यह अपने स्थान में परिवर्तन की चाह भी रखते हैं जिस कारण इनके पूर्ण प्रदर्शन में कमी आ सकती है.

मित्रता निभाने में भी अच्छे रहते हैं किसी कि सहायता करने में इनका झुकाव बहुत रहता है और यह अपने सहानभूति पूर्ण कामों से दूसरों के लिए मददगार सिद्ध होते हैं. विचारों में उलझन होने पर भी यह शांत स्वभाव के होते हैं अपनी बात को समजाने का पूरा प्रयास करते हैं पर किसी भी बात को भूलते नहीं हैं बातें उनके अंत: मन में पूरी तरह से बस जाती हैं ओर सभी कुछ उनके विचारों को भी प्रभावित करता है. यह लोग स्थिरता और सुरक्षा में अच्छा प्रदर्शन करते हैं.

इस नवांश के प्रभाव स्वरूप व्यक्ति ऐश्वर्य और आराम पसंद करने वाला होता है. वह साजो सामान खरीदने कि चाह रखने वाला होता है और महंगी वस्तुओं का शौकीन हो सकता है. वैभव में जीना तथा विलास पूर्ण ठाट-बाट की चाह रख सकता है. व्यक्ति के काम में भी सौंदर्य और सजावट का अनोखा मेल दिखाई दे सकता है.

इनके संबंध समय के साथ धीरे - धीरे विकसित होते जाते हैं. प्रारंभ में यह किसी रिश्ते में कुछ अलग से दिखाई दे सकते हैं लेकिन जब यह किसी से अच्छी तरह से परिचित हो जाते हैं तो संबंधों में मजबूती आने लगती है और दूसरों की प्रशंसा के पात्र भी बनते हैं.

कर्क लग्न के चौथे नवांश का महत्व | Importance of Fourth Navamsha of Cancer Ascendant

व्यक्ति का भावनात्मक और बौद्धिक स्तर अच्छा रहता है. इनमें भावनाओं का ज्वार बना रहता है व बहुत उच्च अभिलाषी भी रहता है. इनके करिश्माई और विनम्र स्वभाव से सभी इनसे मोहित रहते हैं. किसी भी विपरित स्थिति को समझने में इन्हें देर नहीं लगती है और यह परिस्थिति के अनुरूप स्वयं को ढालने में काफी सफल रहते हैं.

जातक में चालाकी और समझ का अच्छा संगम होता है वह किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले एक स्थिति के सभी पहलुओं पर विचार करते हैं और यदि कभी स्थिति असमंजस की बनी हो तो दृढ़ संकल्प और दृढ़ता द्वारा उसे करने में भी पूरी तत्परता रखते हैं.

इस नवांश के प्रभाव से जातक को संपन्नता की प्राप्ति होती है. वह सुख के साथ जीवन यापन करता है. अपने काम को आगे बढा़ने में लगा रहता है. जातक अपने वर्ग के लोगों को आगे ले जाने में काफी सहायक बनते हैं. यह लोग काव्य व साहित्य के क्षेत्र में भी काफी अच्छे प्रयास करते हैं.

इनका ऎसे लोगों के साथ मेल जोल भी बना रहता है जो साहित्य प्रेमी होते हैं. इनकी पसंद काफी उत्कृष्ट होती है तथा लोग इनकी तारीफ भी करते हैं. जीवन साथी के रूप में इन्हें कभी कभी विचारों का मतभेद झेलना पड़ सकता है लेकिन प्रेम की कमी नहीं रहती है. आपमें समर्पण का पूरा भाव बना रहता है.