Articles in Category Vedic Astrology
नवमांश कुंडली में सिंह लग्न का आठवां नवांश देता है ये फल
सिंह लग्न का आठवां नवांश वृश्चिक राशि का होता है. जातक का रंग व नैन नक्श प्रभावशाली होते हैं. उसकी देह मजबूत होती है तथा वह हृष्ट-पुष्ट दिखाई देता है. आवाज में भारीपन हो सकता है उसका व्यवहार रौब
कुंडली में शुक्र का मकर, कुम्भ, मीन राशि में होना दे सकता है ये फल
मकरगत शुक्र का योगफल | Venus Aspecting Capricorn मकरगत शुक्र के होने पर जातक के व्यय अधिक रह सकते हैं, उसे अपनी आर्थिक स्थिति पर निगाह बनाए रखी चाहिए. व्यक्ति को अज्ञात भय का डर सताए रहता है.
तुला वृश्चिक और धनु वालों के लिए ऎसा होगा शुक्र का असर
तुलागत शुक्र का योगफल | Venus Aspecting Libra तुलागत शुक्र का फल व्यक्ति को वैचारिक सोच में स्वतंत्रता देने वाला होता है. इस स्थान पर व्यक्ति साहस से पूर्ण होता है अपने वचनों का शुद्ध मन से आचरण करने
अगर आपकी कुण्डली में शुक्र : कर्क, सिंह या कन्या राशि में बैठा है तो संभल कर करें हर काम
कर्कस्थ शुक्र का योगफल | Venus Aspecting Cancer कर्कस्थ शुक्र के होने पर जातक कई प्रकार की सुंदर वस्तुओं से सुशोभित होता है. व्यक्ति में भावनाओं और इच्छाओं का संसार समाया होता है. वह सभी वस्तुओं को
शुक्र अगर इन राशि में हो तो कर देता है कमाल
मेषगत शुक्र का योगफल | Venus Aspecting Aries मेष राशि में शुक्र की स्थिति होने पर जातक को नेत्र से संबंधी तकलिफ हो सकती है या कोई दृष्टि दोष हो सकता है. स्वभाव में क्रोध अधिक हो सकता है, कठोर हो सकता
गंडमूल नक्षत्र से डरें नहीं : ऎसे होती है इसकी शांति और दोष का उपाय
वैदिक ज्योतिष में गण्डमूल नक्षत्रों को लेकर बहुत से मत पाए जाते हैं लेकिन सभी के अनुसार गण्डमूल नक्षत्रों को अशुभ ही बताया गया है. इनमें जन्मा बच्चा अपने माता-पिता अथवा परिवार के किसी अन्य सदस्य के
चंद्रमा की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा का फल
चंद्रमा ग्रह की महादशा 10 वर्ष की होती है. चंद्रमा की महादशा में जातक को चंद्रमा से संबंधित फलों की प्राप्ति होती है. जन्म कुण्डली में चंद्रमा की स्थिति को हम यहां अवलोकन नहीं कर रहे अपितु उसकी
गुरु का मकर, कुम्भ और मीन राशि में होने पर ये होगा असर
मकरगत गुरू का योगफल | Jupiter Aspecting Capricorn मकरगत गुरू के होने पर गुरू अपनी निर्बल स्थिति में होता इस स्थिति में गुरू के फल को पूर्ण रूप से बली नहीं माना जाता है. यहां गुरू की स्थिति के कारण
कुंडली में शुभ ग्रह की दृष्टि से दूर होते हैं अशुभ प्रभाव
शुभ दर्शन बल सहित: पुरूषं कुर्याद्धनान्वितं ख्यातम् । सुभंग प्रधानमखिलं सुरूपदेहं सुसौख्यं च ।। अर्थात शुभ ग्रह की दृष्टि किसी ग्रह पर पड़ने पर जातक को शुभ फलों की प्राप्ति में सहायक बनती है. जातक को
सिंह लग्न का छठा नवांश | Sixth Navansh of Leo Ascendant
सिंह लग्न का छठा नवांश कन्या राशि का होता है. इस नवांश में जन्में जातक को अपने जीवन में कर्म क्षेत्र के प्रति काफी विचारशील रहना होता है. उसे अपने शत्रु पक्ष एवं जीवन में आने वाले उतार-चढावों को
मित्र क्षेत्री ग्रह का प्रभाव | Effects Of Planets Placed In Their Friendly House
किसी ग्रह के मित्र क्षेत्री ग्रह होने पर उक्त ग्रह का प्रभाव बली अवस्था में मौजूद रहता है. ग्रह की मित्र क्षेत्र में स्थिति के होने पर कुण्डली में उसके अनुकूल प्रभाव देखने को मिलते हैं. कहीं न कहीं
कुण्डली के स्वक्षेत्री ग्रह का प्रभाव | Effects Of Planets Placed In Their Own House
वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म कुण्डली में स्वक्षेत्री ग्रहों की स्थिति होने पर अनुकूल फलों की प्राप्ति होती है. स्वक्षेत्री होने पर जातक को धन धान्य की प्राप्ति होती है. वह दूसरों के समक्ष आदर व
कैसा होगा आपका व्यवसाय: जानने का आसान तरीका
वैदिक ज्योतिष में यूँ तो बहुत सी बातों की जानकारी दी गई है लेकिन वर्तमान समय में शिक्षा के पश्चात हर व्यक्ति अपना व्यवसायिक क्षेत्र जानने का इच्छुक रहता है. कई बार व्यक्ति अपने मनपसंद क्षेत्र में चला
नौकरी हो या बिजनेस कैसा रहेगा आपके लिए जानिये बृहस्पति/गुरु से
बृहस्पति को समस्त ग्रहों में शुभ ग्रह माना गया है. इसी के साथ इन्हें ज्ञान, विवेक और धन का कारक माना जाता है. इस बात से यह सपष्ट होता है कि अगर कुण्डली में गुरू उच्च एवं बली हो तो स्वभाविक ही वह शुभ
कर्क, सिंह और कन्या राशि पर मंगल की दृष्टि का फल
कर्कस्थ मंगल फल | Mars Aspecting Cancer कर्क राशि में मंगल के स्थित होने पर जातक को अनुकूल फलों की प्राप्ति होती है. मित्र राशि में रहकर मंगल को कुछ शीतलता का अनुभव भी होता है. मंगल के आक्रामक और
संकटा योगिनी दशा | Sankata Yogini Dasha
संकटा दशा राहु की दशा होती है इस दशा की अवधि आठ वर्ष की मानी गई है. यह दशा धन, यश और पद प्रतिष्ठा की हानि करती है. परिवार से वियोग कष्ट प्राप्त होता है. जातक में मनमानी व हठ की प्रवृत्ति अधिक रहती
सिंह लग्न का पांचवां नवांश होता है देता है शुभ फल
सिंह लग्न का पांचवां नवांश वर्गोत्तम होता है यह सिंह राशि का ही होता है. इस लग्न के नवांश की यह स्थिति त्रिकोण की अवस्था की द्योतक है. इस नवांश में जातक का जन्म होने पर वह बुद्धिमान और योग्य स्थिति
कब हो सकता है धन लाभ या होगी हानि अपनी कुंडली से जाने
वैदिक ज्योतिष में बनने वाले योगों द्वारा धन संबंधी मामलों को समझने में बहुत आसानी होती है. जैसे की जातक के जीवन में कौन सी ग्रह दशाएं ऎसी हैं जो उस धन प्राप्ति में मददगार हो सकती हैं और कौन सी उसके
विभिन्न ग्रहों का स्थान बल में प्रभाव | Effects of Strongly Placed Planets
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कोई भी ग्रह मित्र राशि में, उच्चराशिस्थ, मूल त्रिकोण या स्वक्षेत्री होने से अधिक बल प्राप्त करता है. स्थान बल के अंतर्गत पांच प्रकार के बलों को शामिल किया गया है. जिसमें उच्च
गुरु अगर कर्क, सिंह और कन्या में हो कैसा होता है असर
कर्कस्थ गुरू का योगफल | Jupiter Aspecting Cancer कर्कस्थत होती है और वह अपने कर्मों द्वारा समाज में शुभता लाता है. किसी के हृदय को नहीं दुखाता है और सभी के लिए अच्छे काम करने की चाह रखता है. कर्क में