Articles in Category Vedic Astrology
कौन से ग्रह की होरा देगी क्या फल यहां जानिये
ज्योतिष में होरा को तीन रूपों में विभाजित किया गया है. होरा से आशय इस बात का है कि किसी भी राशि के दो समान हिस्सों में विभाजन से लिया गया है.प्रत्येक राशि तीस अंशों की होती है और किसी राशि के पहले 15
द्रेष्काण की उपयोगिता | Use of Drekkana | What is Drekkana
ज्योतिष में कुण्डली की उपयोगिता को समझने हेतु अन्य तथ्यों के आधारभूत सिद्धांतों को जानकर ही फलित करने में सहायता प्राप्त होती है. षडवर्ग राशि, द्रेष्काण, नवांश, द्वादशांश और त्रिशांश में राशि तथा
इस कारण मिलता है नौकरी में प्रमोशन : क्या आपकी कुंडली में भी ये योग ?
वर्तमान समय में व्यक्ति के व्यवसाय का प्रश्न बहुत ही महत्वपूर्ण बन चुका है. नौकरी लगने पर भी व्यक्ति उसमें पदोन्नति व सम्मान की चाह रखता ही है. आज हम आपको पदोन्नति के कारकत्व तथा पदोन्नति में होने
आपका लग्न क्या है और कैसे होंगे आप खुद जाने
जन्म कुण्डली के लग्न द्वारा जातक के जीवन के विषय में प्रभावशाली तरीके से फलित का निर्धारण किया जाता है. लग्न संपूर्ण कुण्डली की पृष्ठभूमि होता है इसके द्वारा व्यक्ति के गुणों व अवगुणों का अवलोकन करने
सिंह लग्न का चौथा नवांश | Fourth Navansh of Leo Ascendant
सिंह लग्न के चौथे नवांश का स्वामी कर्क है इस नवांश में जन्मे जातक पर सूर्य व चंद्रमा का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ता है. इस नवांश से प्रभावित होने पर जातक के जीवन पर द्वादश भाव से संबंधित बातें जुडी़ रह
आपकी कुंडली में ग्रह युति होने पर मिलेगा ये फल
दो ग्रहों का एक साथ युति का प्रभाव कुण्डली के अनेक प्रभावों को दिखाने में सहायक होता है. इसके प्रभाव से ग्रहों की युति का संबंध होने पर ग्रह मिलजुल कर फल देने में सक्षम होते हैं. किसी भी ग्रह की यह
जन्म कुंडली में पदोन्नति के विभिन्न योग | Yogas related to Promotion in Janma Kundali
हर व्यक्ति जीवन में किसी ना किसी रुप में अपनी आजीविका कमाता है. कोई अपना व्यवसाय करता है तो कोई नौकरी कर के जीवनयापन करता है. नौकरी में भी व्यक्ति समय - समय पर अपनी तरक्की व पदोन्नति की चाह रखता है.
सिंह लग्न का दूसरा नवांश | Second Navansh of Leo Ascendant
सिंह लग्न का दूसरा नवांश वृष राशि का होता है. इस राशि के नवांश स्वरूप जातक को जीवन में कार्य क्षेत्र की ओर अधिक ध्यान देना होगा उसका जीवन अपएन काम के विस्तार और उसमें उन्नती पाने की चाह में व्यतीत
मेष राशि के गुरू को अगर सूर्य-चंद्रमा-मंगल देखते हों तो ये होगा असर
धर्मिष्ठमनृतभीरूं विख्यातसुतं महाभाग्यं। भौमगृहे रविदृष्टो ह्मतिरोमचितं गुरू: कुरूते ।। मेष राशि में स्थित गुरू पर सूर्य की दृष्टि हो तो जातक धार्मिक कर्म करने वाला सदाचरण से युक्त होता है. व्यक्ति
मंगल जब तुला, वृश्चिक, धनु राशि को देखता है तो देता है ये फल
तुलागत मंगल फल | Mars Aspecting Libra तुलागत मंगल के होने पर जातक अधिकतम यात्राओं में अपना समय व्यतीत करता है. जहां एक ओर मंगल आक्रामक ग्रह के रूप में जाना जाता है इस राशि में उसका स्वरूप ऎसा नहीं
सिंह लग्न का तीसरा नवांश | Third Navansh of Leo Ascendant
सिंह लग्न का तीसरा नवांश मिथुन राशि का होता है, इस नवांश के स्वामी ग्रह बुध हैं. सिंह लग्न के तीसरे नवांश में जन्म लेने के प्रभावस्वरूप जातक की बनावट सुंदर होती है जातक के कंधे चौडे़ व भुजाएं लम्बी
कैसा होगा मंगल दृष्टि का मेष वृष और मिथुन राशि पर असर
मेषस्थ मंगल योगफल | Mars Aspecting Aries Sign मेष में स्थित होने पर मंगल अपने ही स्वामित्व को पाकर बली बन जाता है. यह स्थिति मंगल को अधिक बल देने में सहायक बनती है. मंगल रूक्ष व दाहक माना जाता है अत:
तुला, वृश्चिक और धनु को जब भी देखे बुध तो मिलते हैं ये फल
तुलागत बुधफल | Mercury Aspecting Libra तुलागत बुध के होने पर जातक को शिल्पकला में बहुत रूचि हो सकती है और उसे इसका अच्छा ज्ञान भी होता है. जातक की वाणी में कलात्मकता का पुट साफ झलकता होगा. वह अपने
बुध दृष्टि फलकथन : कर्क-सिंह-कन्या राशि को बुध का देखना कर सकता है बेचैन
कर्कस्थ बुध योगफल | Mercury Aspecting Cancer कर्कस्थ राशिगत में बुध के होने पर जातक में वाक चातुर्य के साथ एक हास्यात्मक पुट भी आता है जो उसकी शैली को अलग ही अंदाज देता है. इस प्रभाव में जातक में
दूसरे भाव से कुण्डली का आंकलन | Analysis of Kundali through Second House
जन्म कुण्डली के लग्न भाव के बाद दूसरा भाव आता है. दूसरे भाव को द्वितीय भाव, धनभाव, कुटुम्ब स्थान, वाणी स्थान, पनफर और मारक स्थान भी कहा जाता है. दूसरे भाव की कई बाते हैं जिनके द्वारा कुण्डली को समझने
संतान प्राप्ति का समय - एक विश्लेषण | Time of Conception - An Analysis
वैदिक ज्योतिष में किसी बात के निर्धारण के लिए सबसे पहले कुंडली के योगो को देखा जाता है. फिर उस बात से संबंधित दशा/अन्तर्दशा का विश्लेषण किया जाता है. अंत में गोचर के ग्रहों को देखा जाता है कि वह कब
कर्क लग्न का सातवां नवांश | Seventh Navamsha of Cancer Ascendant
कर्क लग्न का सातवां नवांश मकर राशि का होता है यह शनि की राशि का नवांश है. जातक की कुण्डली में यह जन्म कुण्डली के नवांश में सप्तम भाव का उदय है इस स्थिति में जातक के जीवन का यह भाग उसे अधिक प्रभावित
सूर्य का 12 भावों पर प्रभाव
वैदिक ज्योतिष में हर ग्रह अच्छे और बुरे दोनो ही प्रकार के फल प्रदान करने में सक्षम होता है. यह फल ग्रह की कुंडली में स्थित पर निर्भर करते हैं कि वह कि किसी कुंडली विशेष के लिए शुभ है या अशुभ है अथवा
चंद्रमा का तुला-वृश्चिक और धनु राशि को देखने का फल
तुलागत चंद्रफल | Moon Aspecting Libra Sign चंद्रमा के तुला राशि में होने से जातक का मन ख्यालों और कल्पनाओं की उडा़न में लगा रहता है. तुलागत चंद्रमा होने से व्यक्ति अकेले रहना पसंद नहीं करता है उसे
कर्क लग्न का पांचवां नवांश | Fifth Navamsha of Cancer Ascendant
कर्क लग्न का पांचवां नवांश वृश्चिक राशि का होता है. जातक गम्भीर, प्रखर बुद्धि का आदर्शवादी, उत्साही व चंचल प्रकृति का होता है. इस नवांश वाले जातक सौम्य प्रकृति के होते हैं. इस नवांश का स्वामी मंगल है