Articles in Category Ascendant

मंगल के भिन्नाष्टकवर्ग का विवेचन | Analysis of Bheenshastakvarga of Mars

मंगल के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा कुण्डली का अध्ययन करके जातक को मंगल के शुभाशुभ प्रभावों को बताया जा सकता है. मंगल के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा प्राप्त अंकों से जातक की अनुकूल और विपरित परिस्थितियों को

मृत्यु भाग के ग्रह ऎसे बनते हैं मृत्यु तुल्य कष्ट कारण

वैदिक ज्योतिष में जीवन के हर पहलू का विश्लेषण किया गया है. जन्म से लेकर मृत्यु तक का फलकथन किया जाता है. जीवन की सभी घटनाओं की जानकारी का अध्ययन सूक्ष्मता से किया जा सकता है बशर्ते कि ज्योतिषी

विवाह मिलान में अगर इन बातों का रखेंगे ध्यान तो नहीं होगा तलाक/अलगाव

विवाह के सन्दर्भ में कुंडली मिलान का जिक्र आता ही है. कुंडली मिलान वह प्रक्रिया है जिसे लड़का और लड़की की कुंडली मिलाकर पूरा किया जाता है. कुंडली मिलान में मुख्य रुप से गुण मिलान और मांगलिक योग देखा

अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक शर्ते | Important Tips for Good Health

अच्छे स्वास्थ्य के लिए जन्म कुण्डली में बहुत सी बातो का आंकलन किया जाता है जो निम्नलिखित है :- सबसे पहले तो लग्न, लग्नेश का बली होना आवश्यक है. यदि अशुभ भाव का स्वामी जन्म लग्न में स्थित है तब

तत्वों के अनुसार व्यवसाय का चयन | Classification of Career on the Basis of Ruling Element

ज्योतिष शास्त्र व्यवसाय एवं नौकरी का चयन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. नौ ग्रह और बारह राशियां मिलकर जातक के कैरियर या व्यवसाय का निर्धारण करती हैं तथा उनसे संबंधित कामों को दर्शाती हैं.

खुद जाने, की क्या आपकी कुंडली में भी बनता है काल सर्प दोष ?

ज्योतिष में बहुत से अच्छे अथवा बुरे योगों का उल्लेख किया गया है. इन्हीं योगो में से एक योग कालसर्प योग भी है. इस योग के बारे में बहुत सी भ्रांतिया लोगो के मध्य फैली हुई है. किन्तु सही क्या है यह कहना

ज्योतिष से व्यक्तित्व विचार | Analyzing Personality Through Astrology

ज्योतिष की मान्यता है कि प्राणपद लग्न कर्क राशि में स्थित होने पर व्यक्ति में दिखावे की प्रवृति होती है. चन्द्रमा अथवा राहु पांचवे घर में स्थित हो अथवा उनमें दृष्टि सम्बन्ध बन रहे हों तो व्यक्ति

भ्रामरी योगिनी दशा | Bhramari Yogini Dasha

भ्रामरी दशा योगिनि दशा में चौथे स्थान पर आती है. यह मंगल की दशा होती है. मंगल से प्रभावित इस दशा में व्यक्ति के भीतर पराक्रम एवं परिश्रम द्वारा समाज में अपना स्थान अर्जित करने की कोशिश में प्रयासरत

धान्या योगिनी दशा | Dhanya Yogini Dasha

धान्या दशा योगिनी दशाओं में तीसरे स्थान पर आती है. इसका संबंध गुरू से है और इसके स्वामी भी वही हैं. इसकी समय अवधि 3 वर्ष की मानी गई है. धान्या संबंध गुरू से होने के कारण यह दशा शुभता देने वाली कही गई

पिंगला योगिनी दशा | Pingala Yogini Dasha

योगिनी दशा क्रम के अगले चरण में पिंगला दशा आती है. पिंगला दशा की समय अवधि 2 वर्ष की मानी गई है. इस समय के अनुसार जातक को पिंगला दशा फलों की प्राप्ति होती है. सूर्य से संबंधित इस दशा में व्यक्ति को

सभी लग्नों के लिए शुभ व अशुभ ग्रह | Auspicious and Inauspicious Planets for All Ascendants

नैसर्गिक रूप से कुछ ग्रहों को शुभ और कुछ को अशुभ कहा गया है. लेकिन इनका शुभ या अशुभ फल जन्म समय पर निर्धारित होता है. इसी के आधार पर फल का निर्धारण होता है परंतु साथ ही साथ भिन्न भिन्न लग्नों के लिए

क्या होती है योगिनी दशा और जानिए इसके प्रकार विस्तार से

योगिनी दशा की कुल अवधि 36 वर्ष की होती है. मंगला, पिंगला, धन्या, भ्रामरी, भद्रिका, उल्का, सिद्धा, संकटा नामक आठ योगिनी दशाएं होती हैं. संख्याक्रम से मंगला एक वर्ष रहती है, पिंगला दो वर्ष, धन्या तीन,

कुण्डली में सप्तमस्थ सूर्य का महत्व | Importance of Sun in the Seventh house of a Kundali

कुण्डली के सातवें भाव में स्थित सूर्य को अलगाववादी और विच्छेदकारी कहा गया है. इसी के साथ साथ वैवाहिक जीवन के लिए भी इसे अच्छा नहीं माना गया है परंतु इन तथ्यों की सत्यता के विषय में जानने के लिए

वर्षफल कुण्डली के एकादश भाव में कौन सा ग्रह देगा कैसा फल आईये जानें

वर्ष फल कुण्डली में एकादश भाव के फलों को जानने के लिए उनमें सभी विभिन्न भावों में स्थित ग्रहों के कारकों का फल देखना होता है जिसके अनुसार वह अपने फल देने में सक्ष्म होते हैं. इसमें से कुछ इस प्रकार

वर्ष फल कुण्डली के दूसरे भाव से जाने कैसी होगी इस साल आपकी इनकम

वर्ष फल कुण्डली में दूसरे भाव के फलों को जानने के लिए उनमें सभी विभिन्न भावों में स्थित ग्रहों के कारकों का फल देखना होता है जिसके अनुसार वह अपने फल देने में सक्ष्म होते हैं. इसमें से कुछ इस प्रकार

वर्षफल कुण्डली के तीसरे भाव में ग्रहों का महत्व | Varshphal Kundali and Analysis of Third House

वर्ष फल कुण्डली जिसे ताजिक भी कहा जाता है, ज्योतिष शास्त्र की तीन शाखाओं में से एक है. वर्ष फल मुख्यत: किसी विशेष घटनाओं को अध्ययन करने के संदर्भ में प्रयुक्त किया जाता है. फलों को जानने के लिए उनमें

वर्षफल कुण्डली का पहला भाव बताएगा आपके बारे में ऎसी बातें जिन्हें जान कर आप हो जाएंगे हैरान

विभिन्न भावों में ग्रह स्थिति के परिणाम पराशरी सिद्धांतों पर आधारित यह परिणाम वर्ष कुण्डली में भी उपयोगी होते हैं. ग्रह अपने विभिन्न भावों में अपने कारकतत्व राशि आधिपत्य व अपनी स्थिति के अनुसार फल

वर्षफल कुण्डली से जाने कैसा रहेगा दशम भाव में ग्रहों का फल

वर्ष फल कुण्डली में दशम भाव में स्थित ग्रहों के प्रभाव, जातक के जीवन को अनेक प्रकार से प्रभावित करते हैं. वर्ष फल कुण्डली ज्योतिष शास्त्र की तीन शाखाओं में से एक है. वर्ष फल मुख्यत: किसी विशेष घटनाओं

वर्षफल कुंडली के नवम भाव में अगर हों ये ग्रह तो बन सकते हैं भाग्यशाली

ग्रह स्थिति के परिणाम पराशरी सिद्धांतों पर आधारित यह परिणाम वर्ष कुण्डली में भी उपयोगी होते हैं. ग्रह अपने विभिन्न भावों में अपने आधिपत्य व अपनी स्थिति के अनुसार फल देता है. सभी ग्रह चाहें वह शुभ हों

वर्षफल कुण्डली का सातवां भाव और उसमें बैठे ग्रहों का फल

वर्ष फल कुण्डली के सातवें भाव में ग्रहों के प्रभाव का विशलेषण करके इस भाव से संबंधित फलों को जाना जा सकता है. सातवें भाव में ग्रहों का प्रभाव जातक के जीवन में कई तरह से बदलाव ला सकता है, समाज में