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बुध का अश्विनी नक्षत्र गोचर का प्रभाव

बुध का अश्विनी नक्षत्र गोचर का प्रभाव बुध के मेष राशि में गोचर के समय पर होता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह को अधिक प्रभावशाली माना जाता है यह बुद्धि, तर्क क्षमता और अच्छे संचार कौशल का कारक

सूर्य का राहु के साथ गोचर क्यों है इतना खास

सूर्य मजबूत व्यक्तित्व के सबसे बड़े कारणों में से एक होता है और राहु छल और भ्रम में कम नहीं है. अब जब सूर्य के साथ राहु का मेल होता है तो यह स्थिति परेशानी को दिखाने वाली अधिक हो सकती है. सूर्य वैदिक

विवाह के लिए बृहस्पति और शुक्र आखिर क्यों है इतने महत्वपूर्ण

ज्योतिष शास्त्र में कुछ ग्रह विशेष चीजों के कारक रुप में जाने जाते हैं. कारक होने के कारण ग्रह की अहमियत उस चीज के लिए बढ़ जाती है जिस चीज के वह कारक होते हैं. जैसे सूर्य सरकार का कारक है तो मंगल

राहु - चंद्रमा का मीन राशि में गोचर फल

राहु के साथ चंद्रमा का गोचर मीन राशि पर होने के विभिन्न फल प्राप्त होते हैं. इसका असर मीन राशि के अलावा अन्य राशियों पर भी गहराई से पड़ता है. राहु एक पाप ग्रह है चंद्रमा एक शुभ ग्रह है और मीन राशि एक

सूर्य राशि से जाने जीवन में सफलता स्वभाव और विशेषता का गुण

सूर्य राशि की स्थिति का असर चंद्रमा के अनुरुप ही विशेष होता है. पाश्चात्य ज्योतिष में विशेष रुप से सूर्य को आधार मानक भविष्यवाणी होती है. वहीं किसी कुंडली के आधार स्तंभ के रुप में सूर्य चंद्रमा ओर

शनि के साथ मंगल का षडाष्टक होना देता है गंभीर प्रभाव?

शनि और मंगल से बनने वाला षडाष्टक योग कई तरह से कुंडली पर अपना असर डालता है. सामान्य रुप से यह एक विपरित स्थिति को ही अधिक दर्शाता है. यह खराब योगों के रुप में जाना जाता है. ग्रह की ये स्थिति कई बार

कन्या राशि में केतु का राशि प्रवेश 2024

केतु का गोचर एक बेहद महत्वपूर्ण समय होता है क्योंकि इनका असर जीवन में होने वाले बदलावों की स्थिति पर असर दिखाता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, केतु किसी व्यक्ति की कुंडली में बहुत महत्व रखता है, कुंडली

मकर लग्न के लिए सभी ग्रहों का प्रभाव

मकर लग्न दसवें स्थान पर आने वाला लग्ब्न है. यह शनि के स्वामित्व का लग्न है और जीवन में व्यवहारिक रुप से आगे बढ़ने की इसकी क्षमता भी बेहतरीन है. किसी भी लग्न के लिए तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव के

मेष राशि में वक्री बृहस्पति का सभी राशियों पर प्रभाव

4 सितंबर 2023 को गुरु मेष राशि में वक्री हो रहे हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति को विस्तार, प्रचुरता और समृद्धि का ग्रह कहा गया है. बृहस्पति का वक्री होना काफी चीजों को बदल देने वाला समय होता

वक्री शनि का कुंभ राशि गोचर फल 29 जून 2024

शनि 29 जून, 2024 को 24:29 पर अपनी वक्री गति से चलने वाले हैं. शनि वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह है, जिसे कर्म का ग्रह कहा जाता है और इसलिए जब शनि वक्री होता है तो जीवन में कई बदलाव लाता है. हर

मंगल-केतु का तुला राशि में गोचर देगा गंभीर परिणाम

वैदिक ज्योतिष में केतु के साथ मंगल का गोचर बेहद परिवर्तन के साथ ही एक महत्वपूर्ण घटना का समय भी बन जाता है. मंगल ऊर्जा, साहस और पराक्रम का कारक है और केतु क्रोध अलगाव को दर्शाता है. ऎसे में तुला राशि

आठवें भाव में मंगल का होना मांगलिक प्रभाव क्यों देता है परेशानी

आठवें भाव में मंगल की स्थिति को व्यापकर रुप से शोध का विषय माना गया है. यहां मंगल की उपस्थिति को साधारण रुप से नहीं देखा जा सकता है. जन्म कुंडली में सभी ग्रहों का और भाव स्थिति का महत्व किसी न किसी

नवांश कुंडली में 12 लग्नों के उदय होने का फल

नवांश कुंडली का निर्माण ग्रहों के बल को मापने हेतु किया जाता है. यह कुंडली प्रत्येक ग्रह की स्थिति एवं उसके प्रभाव के लिए महत्वपूर्ण मानी गई है. नवांश कुंडली में लग्न की विशेष भूमिका होती है. यह जीवन

लग्न अनुसार जाने कैसा होगा आपके भाग्य और कर्म का संबंध

कुंडली में लग्न का प्रभाव काफी महत्वपूर्ण माना गया है. यह व्यक्ति के लिए मूल गुण को दर्शाता है जो जीवन के हर पहलू पर अपना असर डालता है. लग्न में मौजूद जो राशि होगी वह महत्व पूर्ण होगी. इसी के द्वारा

कुंडली में पुष्कर नवांश का महत्व

पुष्कर नवांश एक शुभ नवांश है जो जन्म कुंडली में आशाजनक ऊर्जा लाता है. बृहस्पति एक लाभकारी ग्रह है और सौभाग्य, ज्ञान और ज्ञान का कारक है. पुष्कर नवांश और बृहस्पति के योग के अलावा अन्य ग्रहों की स्थिति

बृहस्पति की विवाह में भूमिका पर कैसे करें विचार

ग्रहों की शुभता की बात जब आती है तो बृहस्पति को सबसे अधिक शुभ ग्रह की श्रेणी में रखा जाता है. यह सभी ग्रहों में विशेष होता है ओर अपनी शुभता का प्रभाव जब दिखाता है तो समय को पलट देने वाला भी होता है.

यूरेनस का मेष राशि में होने का प्रभाव

जहां वैदिक ज्योतिष में नव ग्रहों का उल्लेख मिलता है उसी प्रकार पाश्चात्य ज्योतिष में तीन ग्रहों का विशेष रुप से उल्लेख मिलता है. यह तीन गर्ह बाहरी ग्रह के रुप में भी जाने जाते हैं. इनके नाम यूरेनस,

जन्म कुंडली में राहु कब देता है शुभ फल

जन्म कुंडली में सभी ग्रह अपने अनुसार शुभ फलों एवं अशुभ फलों को देने में आगे रहते हैं लेकिन जब बात आती है राहु की तो यह एक काफी गंभीर होता है. राहु ग्रह व्यक्ति को सबसे अधिक प्रभावित करने वाला होता

चंद्रमा के साथ गुरु का योग भाग्य को बनाता है प्रबल

चंद्रमा के साथ गुरु का होना एक अनुकूल स्थिति का निर्देश देने वाला सिद्धांत है. यह दोनों ग्रह बेहद शुभ माने जाते हैं. चंद्रमा एक शीतल प्रधान ग्रह है वहीं गुरु शुभता प्रदान करने वाला ग्रह है. इन दोनों

संकटा दशा का आपकी कुंडली पर असर

संकटा दशा का समय काफी चुनौतियों एवं जीवन में होने वाले बदलावों से भरा माना गया है. संकटा दशा का समय आठ वर्ष का होता है. यह समय जिन कार्यों को करते हैं या जो फैसले लेते हैं उन सभी पर दूरगामी असर