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मेष राशि में चंद्रमा के साथ राहु का गोचर

गोचर में जब ग्रहों के भ्रमण की स्थिति बनती है तब ग्रहों का योग अन्य ग्रहों के साथ अवश्य बनता है. इस योग में सभी ग्रह युति अनुसार अपना प्रभाव भी देते हैं. कुछ युति योग गोचर में अच्छे होते हैं तो कुछ

भरणी नक्षत्र का प्रत्येक ग्रहों पर असर

राशि चक्र में 13° 20 मेष - 25° 40 डिग्री मेष में भरणी नक्षत्र का स्थान समाहित होता है. भरणी नक्षत्र मंगल मेष राशि के अंतर्गत आता है और शुक्र द्वारा प्रभावित होता है. भरणी का प्रभाव भरण से संबंधित

बुध का अन्य ग्रहों से संबंध क्यों है विशेष

बुध का कुंडली में अस्थित्व जीवन के उन पहलुओं से होता है जो हमें सामाजिक रुप से एवं विश्लेषणात्मक रुप से महत्वपूर्ण बनाते हैं बुध के मित्र ग्रहों में सूर्य और शुक्र का स्थान विशेष रुप से आता है. इसके

आत्मकारक बुध का प्रभाव और उसकी विशेषता

बुध ग्रह का आत्मकारक रुप में होना कुंडली में बुध के द्वारा पड़ने वाले विशेष प्रभावों को दर्शाता है. जैमिनी ज्योतिष अनुसार ग्रहों का विभिन्न कारक रुपों में होना उनके द्वारा मिलने वाले फलों के लिए बेहद

मेष राशि में राहु और गुरु की युति गोचर का विभिन्न राशियों पर प्रभाव

राहु के साथ गुरु का योग मेष राशि में जब गोचर के लिए होता है तब इस स्थिति में बदलाव और बौद्धिक ज्ञान में नए विचारों के साथ जानकारी बढ़ाने की स्थिति भी हमारे सामने होती है. वैदिक ज्योतिष में राहु एक

वक्री शुक्र का मेष राशि में गोचर का असर

शुक्र का मेष राशि में गोचर करना उसके परिभ्रमण का एक हिस्सा है, किंतु जब भ्रमण की इस स्थिति पर वक्रता का प्रभाव पड़ता है तो यह अपने प्रभाव में कई तरह के बदलाव दिखाता है. शुक्र के मेष राशि में होने का

नवांश में बैठे मंगल का बल कैसे जानें

नवांश कुंडली ग्रहों की शक्ति एवं उनके प्रभाव को देखने हेतु महत्वपूर्ण होती है.  नवांश कुंडली में मंगल की उपस्थिति जिस स्थान एवं ग्रहों के साथ होगी उसकी क्षमता एवं प्रभाव उसी के अनुरुप प्राप्त

मीन राशि में बृहस्पति अस्त होने का प्रभाव

वर्तमान में मीन राशि में स्थित बृहस्पति अब एक बार पुन: गोचर में अस्त होने वाले हैं. बृहस्पति का अस्त होना गोचर एवं आध्यात्मिक दोनों ही पहलुओं से काफी विशेष माना जाता है. गुरु की स्थिति को अत्यंत शुभ

बृहस्पति के केतु के साथ योग का 12 भावों पर प्रभाव

बृहस्पति एक अत्यंत शुभ ग्रह है ओर केतु एक नकारात्मक ग्रह के रुप में पाप ग्रह माना गया है. यह छाया ग्रह है जो जब कुंडली में बृहस्पति के साथ होता है तो इसका योग बेहद महत्वपूर्ण बन जाता है. बृहस्पति

शुक्र का कुंडली के विभिन्न भावों में गोचर फल

शुक्र को बेहद शुभ ग्रह के रुप में देखा जाता है. यह जीवन में इच्छाओं को उत्पन्न करने एवं सुखों को प्रदान करने वाला माना गया है. शुक्र की स्थिति व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक एवं विशेष असर दिखाने वाली

बुध का कुंडली के 12 भाव में गोचर फल

बुध एक ऎसा ग्रह है जो अपनी तेज रफता के साथ चलते हुए गोचर में अपना असर हर राशि पर जल्द से जल्द देने की कोशिश करता है. बुध को राशि चक्र का एक चक्र पूरा करने में लगभग साल का समय लग जाता है यह सूर्य के

बुद्धि के विकास के लिए क्यों अहम होता है बुध ग्रह ?

बुध को संस्कृत में बुद्ध कहा जाता है और इसका अर्थ बुद्धिमत्ता और तर्क की कुशलता. बुध जितना अच्छा होगा उतना ही गुण बेहतर होता चला जाएगा. बुध एक ऎसा ग्रह है जो वाणी और बुद्धि का ऎसा संतुलन देता है

चंद्रमा के गोचर का फल कैसे मिलता है ?

गोचर नियम अनुसार ग्रहों की स्थ्ति भाव अनुरुप फल प्रदान करती है. चंद्रमा का गोचर भी उसी अनुसार काम करता है. जन्म कुंडली में चंद्रमा का असर जिस भाव में होगा उसी अनुसार परिणाम मिलते हैं. गोचर के चंद्रमा

सूर्य सिद्धांत : सूर्य गोचर में कब देता है शुभ और शुभ फल

गोचर नियम अनुसर ग्रहों की शुभता एवं अशुभता का प्रभाव जन्म राशि होने वाले ग्रह के गोचर की स्थिति पर निर्भर करता है. सभी ग्रहों की गोचर का फल उनकी इसी स्थिति के अनुसर मिलता है. जन्म कुंडली में कुछ

बुध का मीन राशि में गोचर 2024

07 मार्च 2024 को बुध का मीन राशि में गोचर होना तय है. यह विभिन्न राशियों के जातकों के जीवन में बड़े बदलाव ला सकता है. बुध एक व्यक्तिगत ग्रह है जो हमारे व्यक्तित्व का प्रतीक हैं, बुध हमारे व्यवहार को

शुक्र का मेष राशि गोचर

शुक्र नई ऊर्जा और नई चीजों को बनाने का मौका देने के अलावा, लक्ष्यों को प्राप्त करने के तरीके में साहस को लाता है. 12 मार्च 2023 को शुक्र का गोचर मेष में होगा. मेष से पूर्व शुक्र जहां अपनी उच्च राशि

मकर राशि में शुक्र का गोचर फल 2024

वैदिक ज्योतिष पंचांग अनुसार शुक्र का प्रभाव धनु राशि से निकल कर मकर राशि में होगा और यह प्रवेश 2024 में काफी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि मकर राशि में शनि के साथ मंगल का युति संबंध हो रहा है और अब शुक्र

सूर्य का कुम्भ राशि में गोचर

सूर्य गोचर समय 13 फरवरी 2023, को होगा इस समय गोचर 09:44 सुबह के समय पर होगा. सूर्य का कुम्भ राशि में गोचर 13 फरवरी की प्रात:काल में प्रवेश होगा. मकर राशि से निकल कर कुंभ में सूर्य का प्रवेश शनि की

मंगल का कर्क राशि गोचर, पराक्रम और प्रयास में कमी का समय

मंगल का कर्क राशि में प्रवेश विशेष होगा. इस समय मंगल अपनी नीचस्थ राशि में प्रवेश करेंगे. ज्योतिष में कर्क राशि में मंगल का बल कम हो जाता है. इस स्थान पर मंगल को नीच का मंगल माना गया है. मंगल के इस

शुक्र उदय क्यों है विशेष और क्या है इसका महत्व

शुक्र का उदय ओर अस्त होना ज्योतिष शास्त्र में गोचर की विशेष घटना क्रम में से होता है. जिस प्रकार बृहस्पति अपनी शुभता एवं सौभाग्य के प्रतिक माने जाते हैं उसी प्रकार शुक को भी शुभता एवं समृद्धि का