Articles in Category Planets
जन्म कुंडली में कैंसर रोग के कारण | Causes for Cancer Disease in Janam Kundli
किसी भी रोग के होने की संभावना को एक कुशल ज्योतिषी अपने पूर्वानुमान से बता सकता है लेकिन इसके लिए कुंडली में मौजूद बहुत सी बातों का मिलना जरुरी है. पाठको को किसी एक बात को लेकर किसी भी प्रकार का भ्रम
अगर आपकी कुंडली में हैं ये योग तो जा सकते हैं विदेश
जन्म कुंडली में बहुत से शुभ - अशुभ योगो के साथ विदेश यात्रा के योग भी मौजूद होते हैं. जब अनुकूल ग्रहों की दशा/अन्तर्दशा कुंडली में चलती है तब व्यक्ति विदेश जाता है. वर्तमान समय में विदेश जाना सम्मान
चंद्रमा का भिन्नाष्टक और उसका फलकथन
चंद्रमा के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा जातक के शुभाशुभ फलों के बारे में बताया जा सकता है. कुण्डली में 4 बिन्दुओं के साथ स्थित चंद्रमा औसत स्तर का फल देने वाला बनता है. परंतु यदि यह 5 से 8 बिन्दुओं के साथ
मृत्यु भाग के ग्रह ऎसे बनते हैं मृत्यु तुल्य कष्ट कारण
वैदिक ज्योतिष में जीवन के हर पहलू का विश्लेषण किया गया है. जन्म से लेकर मृत्यु तक का फलकथन किया जाता है. जीवन की सभी घटनाओं की जानकारी का अध्ययन सूक्ष्मता से किया जा सकता है बशर्ते कि ज्योतिषी
विवाह मिलान में अगर इन बातों का रखेंगे ध्यान तो नहीं होगा तलाक/अलगाव
विवाह के सन्दर्भ में कुंडली मिलान का जिक्र आता ही है. कुंडली मिलान वह प्रक्रिया है जिसे लड़का और लड़की की कुंडली मिलाकर पूरा किया जाता है. कुंडली मिलान में मुख्य रुप से गुण मिलान और मांगलिक योग देखा
भद्रिका योगिनी दशा | Bhadrika Yogini Dasha
भद्रिका दशा को बुध की दशा के रूप में जाना जाता है इस दशा की कुल अवधि पांच वर्ष की मानी गई है. यह दशा शुभ ग्रह की दशा होती है इसलिए इस दशा में जातक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. यह दशा परिवार में
तलाक के ज्योतिषीय कारण | Astrological Reasons for Divorce
ज्योतिष में बहुत से योगो का उल्लेख मिलता है. यह सभी योग हमारे ऋषि मुनियो द्वारा हजारो वर्षो पूर्व लिख दिए गए हैं. जब यह सभी योग लिखे गए थे तब से लेकर अब तक समय में बहुत अंतर आ चुका है इसलिए इन योगो
कुंडली के 6,8 और 12वें भाव में चंद्रमा की स्थिति | Effects of Moon in 6th, 8th or 12th of the Kundali
किसी भी जन्म कुण्डली के मजबूत आधार लग्न, सूर्य तथा चंद्रमा को माना जाता है. अगर ये तीनो कुण्डली में बली है तब जीवन की बहुत सी बाधाओ पर काबू पाया जा सकता है. लग्न से व्यक्ति का व्यक्तित्व, सूर्य से
ज्योतिष में वर्ग कुंडलियो का महत्व | Importance of Varga Kundali in Astrology
जन्म कुण्डली के आधार पर व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में बताया जाता है. सभी का भविष्य अलग होता है. कोई सुखी तो कोई दुखी रहता है अथवा किसी को मिश्रित फल जीवन में मिलते हैं. किसी भी बात के
अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक शर्ते | Important Tips for Good Health
अच्छे स्वास्थ्य के लिए जन्म कुण्डली में बहुत सी बातो का आंकलन किया जाता है जो निम्नलिखित है :- सबसे पहले तो लग्न, लग्नेश का बली होना आवश्यक है. यदि अशुभ भाव का स्वामी जन्म लग्न में स्थित है तब
ज्योतिष द्वारा जाने कौन सा व्यवसाय करने से मिलेगी आपको सफलता
व्यवसाय के विषय में जानने के लिए दशम भाव का विश्लेषण करना अत्यंत आवश्यक माना गया है. इसी के द्वारा जातक के कार्य के बारे में अनुमान लगाया जाता है. इसी के साथ यह भी जानना आवश्यक है कि कुण्डली में
अश्विनी नक्षत्र वालों में होती हैं ये खूबियां जो जीत सकती हैं आपका दिल
भचक्र में शून्य से 13 अंश 20 कला तक का विस्तार अश्विनी नक्षत्र के अधिकार में आता है. अश्चिनी नक्षत्र दो "अश्विन" से उत्पन्न हुआ नक्षत्र है. यह दो सितारो का समूह है. लेकिन कुछ अन्य मतानुसार अश्विनी
अपने लग्न से जाने शुभ और अशुभ ग्रह के बारे में
ज्योतिष में नौ ग्रहों का जिक्र किया गया है. इन ग्रहों में से कोई भी ग्रह शुभ अथवा अशुभ हो सकता है क्योकि हर लग्न के लिए शुभ अथवा अशुभ ग्रह भिन्न होते हैं. इस लेख में पाठको को सभी बारह लग्नों के लिए
खुद जाने, की क्या आपकी कुंडली में भी बनता है काल सर्प दोष ?
ज्योतिष में बहुत से अच्छे अथवा बुरे योगों का उल्लेख किया गया है. इन्हीं योगो में से एक योग कालसर्प योग भी है. इस योग के बारे में बहुत सी भ्रांतिया लोगो के मध्य फैली हुई है. किन्तु सही क्या है यह कहना
ज्योतिष से व्यक्तित्व विचार | Analyzing Personality Through Astrology
ज्योतिष की मान्यता है कि प्राणपद लग्न कर्क राशि में स्थित होने पर व्यक्ति में दिखावे की प्रवृति होती है. चन्द्रमा अथवा राहु पांचवे घर में स्थित हो अथवा उनमें दृष्टि सम्बन्ध बन रहे हों तो व्यक्ति
भ्रामरी योगिनी दशा | Bhramari Yogini Dasha
भ्रामरी दशा योगिनि दशा में चौथे स्थान पर आती है. यह मंगल की दशा होती है. मंगल से प्रभावित इस दशा में व्यक्ति के भीतर पराक्रम एवं परिश्रम द्वारा समाज में अपना स्थान अर्जित करने की कोशिश में प्रयासरत
आदित्य हृदयम स्त्रोत- सूर्य के शुभ फल पाने का अचूक उपाय
ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्। रावणं चाग्रतो दृष्टवा युद्धाय समुपस्थितम्।1। दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्। उपगम्याब्रवीद् राममगरत्यो भगवांस्तदा।2। राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्यं
राहु-केतु का फल कथन | Results of Rahu-Ketu | Shadow Planets
राहु केतु का फलकथन छाया ग्रह के रूप में किया जाता है. राहु एवं केतु आकाशीय पिंड नहीं हैं यह चंद्रमा तथा क्रांतिवृत्त के कटाव बिंदु हैं. पाश्चात्य ज्योतिष शास्त्र में राहु को नार्थ नोड ऑफ द मून कहा
सभी लग्नों के लिए शुभ व अशुभ ग्रह | Auspicious and Inauspicious Planets for All Ascendants
नैसर्गिक रूप से कुछ ग्रहों को शुभ और कुछ को अशुभ कहा गया है. लेकिन इनका शुभ या अशुभ फल जन्म समय पर निर्धारित होता है. इसी के आधार पर फल का निर्धारण होता है परंतु साथ ही साथ भिन्न भिन्न लग्नों के लिए
वर्षफल कुण्डली से जाने कैसा रहेगा दशम भाव में ग्रहों का फल
वर्ष फल कुण्डली में दशम भाव में स्थित ग्रहों के प्रभाव, जातक के जीवन को अनेक प्रकार से प्रभावित करते हैं. वर्ष फल कुण्डली ज्योतिष शास्त्र की तीन शाखाओं में से एक है. वर्ष फल मुख्यत: किसी विशेष घटनाओं