तुलागत मंगल फल | Mars Aspecting Libra
तुलागत मंगल के होने पर जातक अधिकतम यात्राओं में अपना समय व्यतीत करता है. जहां एक ओर मंगल आक्रामक ग्रह के रूप में जाना जाता है इस राशि में उसका स्वरूप ऎसा नहीं रहता है. जब तक परिस्थिति अनियंत्रित न हो जाए तब तक जातक प्रतिक्रिया नहीं करता है. जातक मानसिक रूप से काफी सोच विचार कर सकता है. किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले उसे समय अधिक लगता है. इनमें सभी के साथ सद्भाव के साथ कार्य करने की क्षमता होती है. दूसरों पर ध्यान देने कि बजाय स्वयं पर अधिक सोच विचार कर सकते हैं. काम में निशाना साधते हुए और संतुलन बहाल करने की पूरी कोशिश भी करते हैं.
जातक में सफलता पूर्वक व्यापार करने का गुण भी होता है. इस क्षेत्र में उसे काफी सफलता भी मिल सकती है. जातक में रिस्क लेने की क्षमता होती है. यह एक अच्छा वक्ता बनता है और सुंदर व आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी होता है. जातक स्वयं की बडाई करने वाला हो सकता है. शारिरीक रूप से जातक कमजोर हो सकता है किंतु साहस में कमी नहीं होती है.
जातक को स्त्री पक्ष और मित्रों से सम्मान की प्राप्ति होती है उनका प्रिय होता है, गुरूजनों से भी सम्मान पाता है. बुरे कामों में लिप्त होने से इसे आर्थिक क्षती व सम्मान की हानी भी झेलनी पड़ सकती है. सहयोगात्मक रूप से काम करने वाला होता है, विशेष रूप से साझेदारी का हिस्सा बनकर काम में प्रगती करता है. साथ ही अपने विचारों को समझने में भी सफल होता है. अभिनय करना खूब आता है. जीवन साथी के साथ संबंधों में काफी अग्रसर रहते हैं.
वृश्चिकगत मंगल फल | Mars Aspecting Scorpio
अपनी इस राशि में होने के कारण जातक को कई क्षेत्रों में लाभ मिलता है. समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है. घर-परिवार में भी इनका प्रभाव बढ़ता रहता है.शत्रुओं से किसी प्रकार का भय नहीं रहता है. वृश्चिक में मंगल ग्रह के स्थित होने से जातक में उत्साह खूब होता है. यह जो कुछ भी करने का मन बना लें तो उस कार्य को सफलता से पूरा भी कर सकते हैं. ध्यान केंद्रित करने और कुछ भी हासिल करने के लिए इनमे एक मजबूत इच्छा शक्ति होती है.
वृश्चिक लग्न व राशि वालों के लिए लग्न से ही भ्रमण करने से साहस बल में वृद्धि होती है. दूसरों पर प्रभाव बढ़ता है. बिगड़े कार्य बनते हैं. इनमें जिद्दीपन भी देखा जा सकता है. हालांकि यह विरोधियों को सह नहीं पाते फिर भी शांत रहकर मामलों को सुलझाने की कोशिश अवश्य करते हैं. वृश्चिक में मंगल ग्रह होने से जातक व्यापार और वेदादि तत्वों में स्क्त रहने वाला हो सकता है. अपने कार्यों को पूरी चतुराई के साथ करता है और कभी कभी अपनी प्रतिभा द्वरा दूसरों को दबाने की कोशिश भी कर सकता है.
वृश्चिक में मंगल ग्रह शक्तिशाली इच्छाओं और भावनाओं के साथ उच्च ऊर्जा का स्तर पाता है, जातक मजबूत, कुशल, आत्मनिर्भर और आत्म - अनुशासित होता है. साधारणत: क्रोध को दबाते हैं लेकिन जब एक बार गुस्सा आ जाए तो आपे से बाहर हो जाते हैं. आसानी से किसी को माफ भी नहीं करते हैं ओर पलट कर वार करने वाले हो सकते हैं. बातों को याद रखने कि अच्छी क्षमता होती है. बहुत भावुक और कामुक हो सकते हैम. विपरीत लिंग के प्रति अधिक आकर्षित रह सकते हैं. अपने साथी के प्रति पूर्ण वफादार होते हैं.
धनुर्गत मंगल फल | Mars Aspecting Sagittarius
धनु राशि में मंगल के स्थित होने पर जातक काफी आक्रामक हो सकता है. इसमें गुस्से की भावना अधिक देखी जा सकती है. जातक को चोट अधिक लग सकती है बोलने में काफी कठोर हो सकता है जिस कारण दूसरों को इसके वचनों से कष्ट भी हो सकता है. लडाई में पारंगत होता है और अस्त्रों से सुशोभित रहने वाला होता है.
मेहनत करने पर ही उचित फल की प्राप्ति हो पाती है. युद्ध कार्य में काफी निपुणता पाता है. क्रोध और मनमुटाव होने से जातक को हानि का सामना करना पड़ सकता है. स्वतन्त्र रूप से काम करना इन्हें पसंद होता है और इनके लिए सामान्य से अधिक फलदायी भी हो सकता है.
"मंगलराशि दृष्टि योगफल - भाग 1"
"मंगलराशि दृष्टि योगफल - भाग 2"