सप्तमांश कुण्डली या D-7 | Saptamansha Kundali or D-7 इस कुण्डली से संतान का अध्ययन किया जाता है. इस वर्ग कुण्डली को बनाने के लिए 30 अंश के सात बराबर भाग किए जाते हैं. जो ग्रह विषम राशि में होगें उनकी गिनती वहीं से आरम्भ
ज्योतिष में जन्म कुण्डली के अतिरिक्त बहुत सी वर्ग कुण्डलियां भी होती हैं. ये वर्ग कुण्डलियां जातक के जीवन के किसी न किसी क्षेत्र को बारीकी से जांचने के लिए उपयोग की जाती है. वर्ग कुण्डली से धन, संतान, स्वास्थ्य, जीवन
षोडशाँश कुण्डली या D-16 | Shodhshansha Kundli or D-16 इस कुण्डली का विश्लेषण वाहन सुख के लिए किया जाता है. इस वर्ग का उपयोग वाहन से संबंधित कष्ट, दुर्घटना तथा मृत्यु का आंकलन करने के लिए भी किया जाता है. यह वर्ग कालांश
त्रिशाँश कुण्डली या D-30 | Trishansha or D-30 इस कुण्डली का अध्ययन जीवन में होने वाली बीमारी तथा दुर्घटनाओं के लिए किया जाता है. इस कुण्डली का अध्ययन जातक के जीवन में आने वाले सभी प्रकार के अरिष्ट देखने के लिए किया जाता
चतुर्विशांश कुण्डली या D-24 | Chaturvishansha Kundali or D-24 इस कुण्डली का अध्ययन शिक्षा, दीक्षा, विद्या तथा ज्ञान के लिए किया जाता है. शिक्षा में सफलता तथा बाधाओं को देखा जाता है. इस वर्ग को सिद्धांश भी कहते हैं. इस
दशमाँश कुण्डली या D-10 | Dashmansha Kundali or D-10 यह कुण्डली व्यवसाय की सफलता तथा असफलताओं के लिए देखी जाती है. इस कुण्डली से इस बात का आंकलन किया जाता है कि जातक का व्यवसाय कैसा होगा. वह अधिक समय तक एक ही व्यवसाय में
वर्ग कुण्डलियाँ | Varga Kundalis किसी भी कुण्डली का अध्ययन करते समय संबंधित भाव की वर्ग कुण्डली का अध्ययन अवश्य करना चाहिए. वैदिक ज्योतिष में कई वर्ग कुण्डलियों का अध्ययन किया जाता है. जिनमें से कुछ वर्ग कुण्डलियाँ