दशमाँश कुण्डली तथा द्वादशांश कुण्डली | Dashmansha Kundali and Dwadashansha Kundali
दशमाँश कुण्डली या D-10 | Dashmansha Kundali or D-10
यह कुण्डली व्यवसाय की सफलता तथा असफलताओं के लिए देखी जाती है. इस कुण्डली से इस बात का आंकलन किया जाता है कि जातक का व्यवसाय कैसा होगा. वह अधिक समय तक एक ही व्यवसाय में रहेगा या बार-बार परिवर्तन करेगा. कई बार जन्म कुण्डली में व्यवसाय भाव अर्थात दशम भाव बहुत ही अच्छा दिखाई देता है लेकिन फिर भी व्यक्ति के व्यवसाय में स्थिरता की कमी होती है. इसके लिए दशम भाव के 12 भाग करके दशमाँश कुण्डली का उपयोग किया जाता है. यदि दशमाँश कुण्डली में भी व्यवसाय को लेकर परेशानियाँ दिखाई देती हैं तो जातक को परेशानियाँ उठानी ही पड़ती है.
दशमाँश कुण्डली बनाने के लिए 30 अंश को 10 बराबर भागों में बाँटा जाता है. एक भाग 3 अंश का होता है. 3-3 अंश के 10 दशमाँश होते हैं. आइए दशमाँश कुण्डली का विभाजन करन सीखें.
- 0 से 3 अंश का पहला दशमाँश होता है.
- 3 से 6 अंश का दूसरा दशमाँश होता है.
- 6 से 9 अंश का तीसरा दशमाँश होता है.
- 9 से 12 अंश का चौथा दशमाँश होता है.
- 12 से 15 अंश का पांचवाँ दशमाँश होता है.
- 15 से 18 अंश का छठा दशमाँश होता है.
- 18 से 21 अंश का सातवाँ दशमाँश होता है.
- 21 से 24 अंश का आठवाँ दशमाँश होता है.
- 24 से 27 अंश का नौवाँ दशमाँश होता है.
- 27 से 30 अंश का दसवाँ दशमाँश होता है.
दशमाँश कुण्डली के 30 बराबर भाग करने आपने सीख लिए हैं. अब आप दशमाँश कुण्डली में ग्रहों को स्थापित करना समझें. जन्म कुण्डली में यदि कोई ग्रह विषम राशि में स्थित है तो ग्रह की गणना वहीं से आरम्भ होगी जहाँ वह स्थित है. जन्म कुण्डली में यदि ग्रह सम राशि में स्थित है तो गणना ग्रह से नौवीं राशि से आरम्भ होगी. माना कोई ग्रह सम राशि वृष में 22 अंश का है. इसका अर्थ यह हुआ कि ग्रह आठवें दशमाँश में स्थित है. अब जन्म कुण्डली में वृष राशि से नौवीं राशि नोट करें. वृष राशि से नौवीं राशि मकर राशि है. गिनती मकर राशि से शुरु होगी. मकर से आठवाँ दशमाँश सिंह राशि आती है.
इसका अर्थ यह हुआ कि जो ग्रह जन्म कुण्डली में वृष राशि में स्थित था वह दशमाँश कुण्डली में सिंह राशि में जाएगा. दशमाँश कुण्डली का लग्न तथा सभी ग्रहों की स्थापना दशमाँश कुण्डली में इसी प्रकार से की जाएगी.
द्वादशांश कुण्डली या D-12 | Dwadashansha Kundali or D-12
इस कुण्डली से माता-पिता के बारे में जानकारी मिलती है. माता-पिता के जीवन के सभी पहलुओं को इस कुण्डली के अध्ययन से जाना जा सकता है. इस कुण्दली को बनाने के लिए 30 अंश के 12 बराबर भाग किए जाते हैं. एक भाग 2 अंश 30 मिनट का होता है. 30 अंश को 12 बराबर भागों में बाँटना सीखें.
- 0 से 2 अंश 30 मिनट तक पहला द्वादशाँश होता है.
- 2 अंश 30 मिनट से 5 अंश तक दूसरा द्वादशाँश होता है.
- 5 अंश से 7 अंश 30 मिनट तक तीसरा द्वादशाँश होता है.
- 7 अंश 30 मिनट से 10 अंश तक चौथा द्वादशाँश होता है.
- 10 अंश से 12 अंश 30 मिनट तक पांचवाँ द्वादशाँश होता है.
- 12 अंश 30 मिनट से 15 अंश तक छठा द्वादशाँश होता है.
- 15 अंश से 17 अंश 30 मिनट तक सातवाँ द्वादशाँश होता है.
- 17 अंश 30 मिनट से 20 अंश तक आठवाँ द्वादशाँश होता है.
- 20 अंश से 22 अंश 30 मिनट तक नौवाँ द्वादशाँश होता है.
- 22 अंश 30 मिनट से 25 अंश तक दसवाँ द्वादशाँश होता है.
- 25 अंश से 27 अंश 30 मिनट तक ग्यारहवाँ द्वादशाँश होता है.
- 27 अंश 30 मिनट से 30 अंश तक बारहवाँ द्वादशाँश होता है.
द्वादशाँश कुण्डली बनाने के लिए जन्म कुण्डली में जो ग्रह जिस राशि में होता है उसकी गिनती वहीं से आरम्भ होती है. माना मंगल जन्म कुण्डली में धनु राशि में 21 अंश का स्थित है. इसका अर्थ है कि मंगल दसवें द्वादशाँश में स्थित है. धनु से दसवीं राशि में मंगल की स्थापना की जाएगी. धनु से दसवीं राशि कन्या राशि है अर्थात द्वादशाँश कुण्डली में मंगल कन्या राशि में जाएगा.
द्वादशाँश कुण्डली के लग्न को भी इस प्रकार से निर्धारित किया जाएगा. जन्म कुण्डली का लग्न देखें कि किस द्वादशाँश में आ रहा है. फिर जन्म कुण्डली के लग्न से उतने भाव आगे तक गिनें. माना जन्म कुण्डली का लग्न सिंह, 12 अंश का है. 12 अंश का अर्थ है कि यह पांचवाँ द्वादशाँश है. अब सिंह से पांचवीं राशि देखें कि कौन सी है. सिंह से पांचवीं राशि मकर है. इस प्रकार द्वादशाँश कुण्डली के लग्न में मकर राशि आएगी. अन्य सभी ग्रहों को भी इसी प्रकार से लिखा जाएगा.