वैदिक ज्योतिष में राशि, भाव, नक्षत्र तथा ग्रहों के आधार पर सम्पूर्ण फलित टिका हुआ है. बारह राशियाँ, बारह भाव तथा नौ ग्रह का वर्णन सभी स्थानों पर मिलता है. ग्रहों की स्थिति के आधार पर हजारों योग बने हुए हैं. कुण्डली के बारह भावों को

आयोलाइट, नीलम रत्न का उपरत्न है. इसे हिन्दी में "काका नीली" के नाम से जाना जाता है(Iolite is called kaka-Nili in Hindi). यह नीले रंग और बैंगनी रंग तक के रंगों में पाया जाता है. जैसे नीला रंग, गहरा नीला रंग, बैंगनी रंग, जामुनी रंग और नीले

यह उपरत्न "दहाना फरहग" भी कहलाता है. यह उपरत्न मुख्यत: हरे रंग में पाया जाता है. इस उपरत्न को काटने के बाद इसमें शैल के समान गोल आकृति दिखाई देती है. यह उपरत्न बहुत ही छोटे क्रिस्टल में पाया जाता है. बडे़ आकार में इसके क्रिस्टल कम ही पाए

द्वितीया तिथि को कई नामों से जाना जाता है. यह तिथि दौज व दूज के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है. इस तिथि के देव ब्रहा जी है. इस तिथि में जन्म लेने वाले व्यक्ति को ब्रह्मा जी पूजन करना चाहिए. इस तिथि का एक अन्य नाम सुमंगला है. अगर किसी माह

जैमिनी चर दशा में पदों का अपना महत्वपूर्ण स्थान है. पद की गणना के विषय में कई मतभेद हैं. आपके सामने पद निर्धारण में केवल वही नियम लगाएँ अथवा बताए जाएँगें जो अधिक प्रचलित हैं. कई विद्वान पद लग्न अथवा आरुढ़ लग्न और उप-पद की ही गणना करते हैं.

सूर्य की गति पूरे वर्ष एक-सी नहीं रहती है. यह गति घटती-बढ़ती रहती है. इस कारण संसार के विभिन्न स्थानों पर समय - समय भिन्न होता है. हर देश का मानक समय अलग-अलग होता है. हर देश के विभिन्न क्षेत्रों का स्थानीय समय भी एक-सा नहीं होता है. पूरे

यह उपरत्न नीले रंग में पाया जाता है. पीले रंग में हरे तथा नीले रंग की आभा लिए यह उपरत्न मिलता है. किसी उपरत्न में हरे नीले रंग से लेकर गहरे नीले रंग तक की आभा होती है. गहरे नीले रंग के अक्वामरीन बहुत दुर्लभ पाए जाते हैं. यह एक नरम रत्न है.

बेरिल बहुत ही लोकप्रिय उपरत्न हैं.(Beryl is a very popular sub-stone) बेरिल एक उपरत्न ना होकर कई उपरत्नों का एक समूह है. बेरिल में कई रंग के उपरत्न आते हैं. यह कई उपरत्नों की जड़ है. बेरिल नाम को भारत की देन माना गया है. यह संस्कृत के शब्द

नारद और वशिष्ठ के फलित ज्योतिष सिद्धान्तों के संबन्ध में आचार्य पराशर रहे है. आचार्य पराशर को ज्योतिष के इतिहास की नींव कहना कुछ गलत न होगा. यह भी कहा जाता है, कि कलयुग में पराशर के समान कोई ज्योतिष शास्त्री नहीं हुआ. ज्योतिष शास्त्रों का

चन्द्रमा ग्रहों में मां का प्रतिनिधित्व करता है. इसे शरीर में दिल का स्थान दिया गया है. इसके साथ ही चन्द्र व्यक्ति की भावनाओं पर नियन्त्रण रखता है. वह जल तत्व ग्रह है. सभी तरल पदार्थ चन्द्र के प्रभाव क्षेत्र में आती है. इसके अतिरिक्त

आधुनिक समय में सभी अपनी शिक्षा का स्तर उच्च रखने की चाह रखते हैं. अभिभावक भी अपने बच्चो की शिक्षा को लेकर चिन्तित रहते हैं. प्राचीन समय में ब्राह्मण का कार्य शिक्षा प्रदान करना था. विद्यार्थीगण आश्रम में रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे. लेकिन

यह एक उत्तम तथा दुर्लभ उपरत्न है. यह उपरत्न संग्रहकर्त्ताओं में अधिक लोकप्रिय है. उनके लिए यह विशेष रुप से तराशा जाता है. यह उपरत्न अन्य कई उपरत्नों से मिलता - जुलता उपरत्न है. इससे कई अन्य रत्नों का भ्रम उत्पन्न होता है. रंगहीन अवस्था में

पराशर ऋषि ने कारकाध्याय में त्रिकोण तथा केन्द्र स्वामियों को शुभ माना है. लग्न को केन्द्र तथा त्रिकोण का स्वामी होने से अधिक शुभफल प्रदान करने वाला माना गया है. जिन जातकों की कुण्डली में चन्द्रमा तथा शनि किसी भी एक त्रिकोण भाव के स्वामी

कैरोआइट उपरत्न की खोज सर्वप्रथम 1947 में रुस में मुरुन की पहाड़ियों में यकुतिया में हुई थी लेकिन इससे भी पहले इस उपरत्न के बारे में 1940 में भी जाना जाता था. तब यह उपरत्न उत्तर से 325 मील दूर् बाइकल झील के किनारे पर पाया गया था. स्थानीय

खोये व्यक्ति के संबंध बहुत से सवाल प्रश्नकर्त्ता द्वारा पूछे जाते हैं. इन प्रश्नों का बारी-बारी से तथा समझदारी से उत्तर देना चाहिए. प्रश्न कुण्डली में खोये व्यक्ति के घर वापिस आने के लिए बहुत से योग दिए होते हैं. आइए उन योगों का अध्ययन

विवाद प्रश्न में लग्न से प्रश्नकर्त्ता को देखा जाएगा या प्रश्न पूछने वाला जिस व्यक्ति का समर्थन कर रहा हो उसका विश्लेषण लग्न से किया जाएगा. आधुनिक समय में विवाद के प्रश्न भी काफी पूछे जाते हैं. इसमें घरेलू विवाद, व्यवसायिक विवाद तथा अन्य

सिंह राशि के व्यक्ति तेजयुक्त, सक्रिय और दुसरों पर शीघ्र प्रभाव डालने वाले होते है. इस राशि के व्यक्तियों में उच्च अभिलाषा, गर्मजोशी और सर्जनात्मकता पाई जाती है. अपनी उर्जा शक्ति का सही उपयोग करने वाले होते है. सिंह राशि जिस व्यक्ति की हो

11th भाव-आय भाव क्या है. | Labha Bhava Meaning | Ekadasha House in Horoscope | 11th House in Indian Astrology एकाद्श भाव लाभभाव है. इस भाव को उपचय भाव और त्रिषडाय भाव भी कहा जाता है. चर राशि के व्यक्तियों के लिए यह स्थान बाधक स्थान होता

प्रश्न कुण्डली के द्वारा इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि चोरी किया सामान कहाँ हैं. शहर में ही है या शहर से दूर चला गया है अथवा घर के आस-पास ही है. * मेष लग्न यदि प्रश्न कुण्डली में उदय होता हो तो चोरी का सामान भूमि के नीचे होता है. *

Saptami fast is observed on seventh date of Shukla Paksha of every month. This fast is specially for, conceiving a child, safety of child, and growth of child. Although, every month’s fast on Shukl Paksha is significant, but, fast of