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2022 में सावन माह का आरंभ 14 जुलाई से होगा श्रावण माह का समय 14 जुलाई को कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से शुरु होगा. सावन के पहले दिन ही अशून्यशयन व्रत भी होगा जो भगवान शिव हेतु रखा जाता है. सावन के कृष्ण पक्ष में दो सोमवार व्रत
दिसंबर 2023 - मार्गशीर्ष माह 2023 मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष (सूर्य दक्षिणायन) | Margashirsha Krishna Paksha (Surya Dakshinayan) - December 2023 दिनांक व्रत और त्यौहार हिन्दु तिथि 01 दिसंबर श्री गणेश चतुर्थी मार्गशीर्ष कृष्ण
नवंबर माह 2023 - कार्तिक कृष्ण पक्ष (सूर्य दक्षिणायन) | Kartik Krishna Paksha (Surya Dakshinayan) - November 202 3 दिनांक व्रत और त्यौहार हिन्दु तिथि 01 नवंबर करवाचौथ, श्री गणेश चतुर्थी व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी
अक्टूबर माह 2023 - आश्विन कृष्ण पक्ष (सूर्य दक्षिणायन) | Ashwin Krishna Paksha (Surya Dakshinayan) - October 2023 दिनाँक व्रत और त्यौहार हिन्दु तिथि 01 अक्टूबर पंचक, द्वितीया तिथि का श्राद्ध आश्विन कृष्ण पक्ष द्वितीया
सितंबर माह - भाद्रपद कृष्ण पक्ष (सूर्य दक्षिणायन) | Bhadrapada Krishna Paksha (Surya Dakshinayan) - September 2023 दिनांक व्रत और त्यौहार हिन्दु तिथि 01 सितंबर भाद्रपद कृष्ण पक्ष आरंभ भाद्रपद कृष्ण पक्ष द्वितीया (2) 02
अगस्त माह – श्रावण शुक्ल पक्ष (प्रथम अधिक)(सूर्य दक्षिणायन) | Shravan Shukla Paksha (Surya Dakshinayan) – August 2023 दिनांक व्रत और त्यौहार हिन्दु तिथि 01 अगस्त भद्रा 13:57 तक, अधिक श्रावण पूर्णिमा, श्री
जुलाई माह 2023 – आषाढ़ शुक्ल पक्ष (सूर्य उत्तर दक्षिणायन) | Ashad Shukla Paksha (Surya Uttar Dakshinayan) – July 2023 दिनांक व्रत और त्यौहार हिन्दु तिथि 01 जुलाई शनि प्रदोष व्रत आषाढ़ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी
जून माह 2023 - ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष (सूर्य उत्तर दक्षिणायन) | Jyeshtha Shukla Paksha (Surya Uttar Dakshinayan) - June 2023 दिनांक व्रत और त्यौहार हिन्दु तिथि 01 जून प्रदोष व्रत, वट सावित्रि व्रत आरंभ, चम्पक द्वादशी
मई माह - वैशाख कृष्ण पक्ष (सूर्य उत्तरायण) | Vaishakh Krishna Paksha (Surya Uttarayan) - May 2024 दिनांक व्रत और त्यौहार हिन्दु तिथि 01 मई गुरु कृतिका नक्षत्र गोचर, वैशाख शुक्ल पक्ष कृष्ण (08) 02 मई पंचक आरंभ 14:33,
अप्रैल माह - चैत्र कृष्ण पक्ष (सूर्य उत्तरायण) Chaitra Krishna Paksha (Surya Uttarayan) - 2024 दिनांक व्रत और त्योहार हिन्दु तिथि 01 अप्रैल भद्रा 09:21 तक, शीतला सप्तमी चैत्र कृष्ण पक्ष सप्तमी (7) 02 अप्रैल शीतलाष्टमी
मार्च माह 2024 - फाल्गुन कृष्ण पक्ष (सूर्य उत्तरायण) | Phalgun Krishna Paksha (Surya Uttarayan) - 2024 दिनांक व्रत और त्योहार हिन्दु तिथि 01 मार्च फाल्गुन कृष्ण पक्ष षष्ठी, तिथि वृद्धि फाल्गुन कृष्ण पक्ष षष्ठी (6) 02
फरवरी 2024 - माघ कृष्ण पक्ष (सूर्य उत्तरायण) | Magh Krishna Paksha (Surya Uttarayan) - February 2024 दिनांक व्रत और त्यौहार हिन्दु तिथि 01 फरवरी बुध मकर राशि प्रभाव माघ कृष्ण पक्ष षष्ठी (6) 02 फरवरी स्वामी विवेकानंद
जनवरी 2024 - पौष कृष्ण पक्ष (सूर्य उत्तरायण) | Paush Krishna Paksha (Surya Uttarayan) - January 2024 दिनांक व्रत और त्यौहार हिन्दु तिथि 1 जनवरी सन 2024 ईस्वी आरंभ पौष कृष्ण पक्ष पंचमी (05) 4 जनवरी रुक्मिणी अष्टमी पौष
13 अप्रैल 2021 को नव विक्रम संवत का आरंभ होगा. 2078 का नव संवत्सर “राक्षस” नाम से पुकारा और जाना जाएगा. इस वर्ष संवत के राजा मंगल होंगे और मंत्री भी मंगल ही होंगे. राक्षस नामक संवत के प्रभाव से विकास के कार्यों में
हिन्दु माह के दौरान एकादशी तिथि का बहुत महत्व माना जाता है. इसमें भी निर्जला एकादशी को विशेष स्थान प्राप्त है. एकादशी तिथि को भगवान कृष्ण को भी अति प्रिय रहती है. एकादशी तिथि में भगवान कृष्ण का पूजन होता है साथ ही व्रत
हिन्दू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ मास हिन्दू वर्ष का तीसरा माह है. हिन्दी माह में हर माह की एक विशेषता रही है. सभी की कोई न कोई खासियत होती ही है. जीवन में आने वाले उतार-चढा़वों में ये सभी माह कोई न कोई महत्वपूर्ण भूमिका
पूर्णिमा तिथि जिसमें चंद्रमा पूर्णरुप में मौजूद होता है. पूर्णिमा तिथि को सौम्य और बलिष्ठ तिथि कहा जाता है. इस तिथि को ज्योतिष में विशेष बल महत्व दिया गया है. पूर्णिमा के दौरान चंद्रमा का बल अधिक होता है और उसमें आकर्षण
एक हिन्दू तिथि सूर्य के अपने 12 अंशों से आगे बढने पर तिथि बनती है. सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य देव है, तथा प्रत्येक पक्ष में एक सप्तमी तिथि होती है. सप्तमी तिथि को शुभ प्रदायक माना गया है. इस तिथि में जातक को सूर्य का
वार व्रत करने का उद्देश्य नवग्रहों की शान्ति करना है, वार व्रत इसलिये भी श्रेष्ठ माना गया है. क्योकि यह व्रत सप्ताह में एक नियत दिन पर रखा जा सकता है. वार व्रत प्राय: जन्मकुण्डली में होने वाले ग्रह दोषों और अशुभ ग्रहों
माता लक्ष्मी की कृ्पा पाने के लिये शुक्रवार के दिन माता वैभव लक्ष्मी का व्रत किया जाता है. शुक्रवार के दिन माता संतोषी का व्रत भी किया जाता है. दोनों व्रत एक ही दिनवार में किये जाते है. परन्तु दोनों व्रतों को करने का
चतुर्दशी तिथि के स्वामी देव भगवान शिव है. इस तिथि में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को नियमित रुप से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. यह तिथि रिक्ता तिथियों में से एक है. इसलिए मुहूर्त कार्यो में सामान्यत: इस तिथि का त्याग
कार्तिक माह हिन्दू कैलेंडर का 8वां महिना है. शास्त्रों में कहा भी गया है कि कार्तिक के समान दूसरा कोई मास नहीं है. तुला राशि पर सूर्य का गोचर होने पर कार्तिक माह का आरंभ हो जाता है. कार्तिक का माहात्म्य के बारे में
हिन्दू मास चन्द्र तिथियों से मिलकर बना होता है और चन्द्र मास के दो पक्ष होते है, एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष, दोनों ही पक्षों में चतुर्थी तिथि आती है. इन दोनों पक्षों की चतुर्थी क्रमश: शुक्ल पक्ष की चतुर्थी व
चन्द्र मास में सप्तमी तिथि के बाद आने वाली तिथि अष्टमी तिथि कहलाती है. चन्द्र के क्योंकि दो पक्ष होते है. इसलिए यह तिथि प्रत्येक माह में दो बार आती है. जो अष्टमी तिथि शुक्ल पक्ष में आती है, वह शुक्ल पक्ष की अष्टमी
एक समय की बात है कि एक शहर में एक शीला नाम की स्त्री अपने पति के साथ रहती थी. शीला स्वभाव से धार्मिक प्रवृ्ति की थी. और भगवान की कृ्पा से उसे जो भी प्राप्त हुआ था, वह उसी में संतोष करती थी. शहरी जीवन वह जरूर व्यतीत कर
द्वादशी तिथि अर्थात बारहवीं तिथि. इस तिथि के दौरान सूर्य से चन्द्र का अन्तर 133° से 144° तक होता है, तो यह शुक्ल पक्ष की द्वादशी होती है और 313° से 324° की समाप्ति तक कृष्ण द्वादशी तिथि होती है. इस तिथि के स्वामी श्री
त्रयोदशी तिथि – हिन्दू कैलेण्डर तिथि त्रयोदशी तिथि हिन्दु माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों समय पर आती है. अन्य तिथियों की भांति ही इस तिथि का भी अपना एक अलग महत्व रहा है. इस तिथि का मुहूर्त पंचाग और पर्व
11 करणों में तैतिल करण तीसरे क्रम में आता है. तैतिल करण को मिलाकर कुल 11 करण है. ज्योतिष का मुख्य भाग समझने जाने वाले पंचाग ज्ञात करने के लिए करण की गणना कि जाती है. विभिन्न कार्यो के लिए शुभ मुहूर्त निकालने के लिए भी
तिथियों के बिना कोई भी मुहुर्त नहीं होता है. ज्योतिष में तिथियों का एक महत्वपूर्ण स्थान है. अलग-अलग तिथियों के अनुसार विभिन्न कार्य किए जाते हैं. सभी कार्यों का मुहुर्त तिथियों के अनुसार बाँटा गया है. कृष्ण पक्ष की
आश्चिन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से माता के नवरात्रे शुरु होते है. इन नौ दिनों में माता का पूजन और उपवास करने पर भक्तों को विशेष पुन्य की प्राप्ति होती है. इस माह के शुरु होने के साथ ही पितृ पक्ष भी प्रारम्भ होता
फाल्गुन माह को फागुन माह भी हा जाता है. इस माह का आगमन ही हर दिशा में रंगों को बिखेरता सा प्रतीत होता है. मौसम में मन को भा लेने वाला जादू सा छाया होता है. इस माह के दौरान प्रकृति में अनूपम छटा बिखरी होती है. इस मौसम
ऊँ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता । विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ऊँ।। तेरे नाम गिनाऊँ देवी, भक्ति प्रदान करनी । गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ऊँ।। मार्गशीर्ष के कृ्ष्णपक्ष की
नवमी तिथि हिन्दू मास की नवीं तिथि. यह तिथि चन्द्र मास के दोनों पक्षों में आती है. इस तिथि की स्वामिनी देवी माता दुर्गा है. तथा साथ ही यह तिथि रिक्ता तिथियों में से एक है. इस तिथि के नाम के अनुसार इस तिथि में किए गए
चन्द्र मास की पहली तिथि प्रतिपदा कहलाती है. एक चन्द्र मास कुल 30 तिथियों से मिलकर बना होता है. जिसमें दो पक्ष होते है. इसका एक पक्ष शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष होता है. शुक्ल पक्ष में 14 तिथियां तथा कृष्ण पक्ष में भी
Saptami fast is observed on seventh date of Shukla Paksha of every month. This fast is specially for, conceiving a child, safety of child, and growth of child. Although, every month’s fast on Shukl Paksha is
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी मोहिनी एकादशी कहलाती है. इस दिन भगवान पुरुषोतम राम की पूजा करने का विधि-विधान है. व्रत के दिन भगवान की प्रतिमा को स्नानादि से शुद्ध कर श्वेत वस्त्र पहनाये जाते है. वर्ष 2024 में 19 मई